महदेइया से लेकर मोरवा तक के कोल यार्डों में पहुंच रहा डस्ट
शाकाम्बरी स्टोन क्रेशर में मानक से ज्यादा डस्ट का स्टॉक

ऑपरेशन टाइम्स सिंगरौली।। पत्थर व्यवसाय भले ही जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हो लेकिन इससे उत्पन्न प्रदूषण से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान से भी सभी अवगत हैं। सिंगरौली जिले के इलाकों में बड़े पैमाने पर स्टोन क्रेशर यूनिट स्थापित हैं लेकिन इनमें एक भी इकाई ऐसी नहीं है। जो प्रदूषण के मानकों का अनुपालन कर रही है। क्रेशर यूनिट प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करते हए संचालित की जा रही है। जो इंसानी जिदगी के साथ साथ पर्यावरण के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। मिली जानकरी के अनुसार बता दें कि शाकाम्बरी स्टोन क्रेशर ने मानक से ज्यादा डस्ट स्टॉक किया है। बताया जाता है कि लगभग सैकड़ो गाड़ी स्टोन डस्ट का स्टॉक बना हुआ है। जो की गोरख नाथ शुक्ला के नाम से परमिटेड है। बताया जाता है कि शाकाम्बरी स्टोन क्रेशर से डस्ट की टीपी किसी और जगह ले जाने के लिए निकली जाती है। और डस्ट वहाँ न पहुंच कर बरगवां कोल यार्ड में पहुंच रहा है। अगर इनकी जाँच हुई तो सब पानी का पानी हो जायेगा। अब जैसे ही कोल रेलवे रैक लगेगा पहले से तैयारी में बैठे माफिया रेलवे साइडिंग के आसपास क्षेत्रों में स्टाक स्टोन डस्ट कुछ ही घंटो में कोयले में मिला देंगे। माफिया इसके लिए पहले से पूरी तैयारी करके रखते हैं। रेलवे साइडिंग में कई जेसीबी मशीने कोयले में डस्ट को मिलाने का काम शुरू कर देते हैं। सूत्र तो बताते हैं कि रेलवे साइडिंग में पानी की भी व्यवस्था रहती है। जिससे कोयले में डस्ट मिलाया जाए तो यह सही ढंग से कोयले में मिक्स हो जाए। उसके लिए माफिया पानी भी डालते हैं। जिससे डस्ट कोयले के कलर में दिखने लगे। खनिज विभाग के विभागीय सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार बताया गया कि क्रेशर मालिक अगर जो भी स्टॉक बना रखे है ।अगर उतने की टीपी उनके पास उपलब्ध है। तब ठीक है। नहीं तो उन पर भी कार्रवाई हो जाएगी।