बार-बार घूम फिर कर थाना मोरवा पदस्थ हो रहे कुछ चुनिंदा पुलिसकर्मी
पुलिस की तबादला नीति को पुलिसकर्मी ही दिखा रहे ठेंगा

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जिले का मोरवा थाना हर हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। इसकी मुख्य वजह कोयले से जुड़े अवैध कारोबार और कारोबारियों से संबद्ध चुनिंदा कारखास है। क्षेत्रीय सूत्रों की माने तो जिन पुलिसकर्मियों को पूर्व में अवैध कारोबार में संलिप्तता के आरोपों में थाना मोरवा से लाइन हाजिर किया गया था। वही पुलिसकर्मी घूम फिरकर 6 महीने बाद पुनः थाना मोरवा में पदस्थ हो जाता है। जिले के थानों में सबसे ज्यादा राजस्व वसूली को लेकर शुमार थाना मोरवा कि एक सच्चाई ये भी है कि कोयले के अवैध कारोबार में निपुण चुनिंदा कारखाश पुलिसकर्मियों की पदस्थापना खुद प्रभारी ही करवाता है। इसके पीछे की मुख्य वजह इनके सारे सिंडिकेटो से पुराना संबंध है। जो पूर्व से सारे सिस्टम की जमावट को जानते है।
छत्तीसगढ़ से आने वाली छाई और क्षेत्रीय क्रेशरों के डस्ट का कारखाश जमावट में है माहिर—
गौरतलब हो कि कोयले के अवैध कारोबार का दो तरीका यहां नायाब है। एक तो मिलावटखोरी और दूसरा चोरी का कोयला। चोरी के कोयलों की हर रात निकल रही गाड़ियों को शायद ही कोई हाथ देने की हिमाकत करे। यह सारा कारोबार रात के अंधेरे में ही संचालित होता है। जब कोई आम आदमी घर से बाहर निकलने की सोचे भी न। दूसरा छत्तीसगढ़ से आने वाला छाई और क्षेत्रीय क्रेशरों का डस्ट जो मिलावटखोरी में उपयोग होता है। अक्सर ट्रेन की बोगियों से जाने वाले कोयले मे यह मिलावट ज्यादा होता है। जिसकी फील्डिंग के लिए खुद नाइट पेट्रोलिंग की टीम पहरेदारी करती है। बदस्तूर चल रहे इस कारोबार में हाथ डालने की हिमाकत कोई नही कर पाता।
सिंह साहब सुर्खियों में —
कुछ दिनों पहले थाना मोरवा में पदस्थ जिन चर्चित सिंह साहब को खुद जिले के कप्तान ने दूसरे थाने के कारोबार में दखलंदाजी के आरोपों में लाइन हाजिर किया था। वही सिंह साहब 4-6 महीने इधर-उधर बिताकर पुनः मोरवा में कुंडली मारकर बैठ गए। चर्चा है कि टारगेट पूरा करने के लिए खुद प्रभारी से लेकर जिम्मेदारों ने सिंह साहब की पदस्थापना मोरवा करवाई है।