
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। निकट भविष्य में ऊर्जाधानी सिंगरौली की धरती से निकलने वाले खनिज तत्वों का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों व इलेक्ट्रानिक्स में उपयोग होगा क्योंकि सिंगरौली के कोयला क्षेत्रों में दुर्लभ मृदा तत्वों के आशाजनक भंडार मिले हैं। ये बात तब सामने आई जब बीते सोमवार को केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद को ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई) स्कैंडियम और यिट्रियम जैसे धात्विक तत्वों का एक समूह है। जिनका उपयोग आधुनिक तकनीकों जैसे स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन व विभिन्न अन्य औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है। दरअसल कोयला एवं खान मंत्री ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि कोल इंडिया लि. (सीआईएल) ने कोयला खदान के कचरे में पाए जाने वाले आरईई से संबंधित अनुसंधान व विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। कोयले के नमूनों में 250 पीपीएम और नॉन कोल नमूनों में 400 पीपीएम तक रेयर अर्थ एलिमेंट्स पाए गए हैं।
क्या हैं रेयर अर्थ एलिमेंट्स स्कैंडियम व यट्रियम—
रेयर अर्थ एलिमेंट्स एक तरह के धात्विक तत्व होते हैं। जैसे स्कैंडियम, और यट्रियम आदि। ये क्लीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों व अन्य उन्नत औद्योगिक तकनीकों में उपयोग किए जाते हैं। राज्यसभा में दिए उत्तर के अनुसार सिंगरौली कोलफील्ड की गोंडवाना परतों जैसे कोयला, मिट्टी, शेल, बलुआ पत्थर में रेयर अर्थ एलिमेंट्स की सांद्रता की जांच के नतीजे उत्साहजनक आए हैं। हालांकि, इनका व्यावसायिक दोहन तकनीकी प्रगति और लागत प्रभावशीलता पर निर्भर करेगा। पूर्वोत्तर भारत के कोलफील्ड में भी जांच के दौरान रेयर अर्थ एलिमेंट्स की मात्रा कम मिली है। मगर हैवी रेयर अर्थ एलिमेंट्स की मात्रा तुलनात्मक रूप से अधिक है।
स्थानीय तकनीक से निकाले जाएंगे मिनरल्स—
सरकार ने संसद में जो जानकारी दी है उसके अनुसार उत्तर-पूर्वी कोलफील्ड की कोयला परतों से क्रिटिकल मिनरल्स को निकालने के लिए एक स्थानीय तकनीक विकसित की जा रही है। इसमें दो मुख्य लक्ष्य हैं। पहला फिजिकल सेपरेशन द्वारा नॉन कोल परतों से मिनरल्स को समृद्ध करने के साथ ही आयन एक्सचेंज रेजिन तकनीक द्वारा एसिड माइन ड्रेनेज और नॉन कोल परतों से धातुएं निकालना।।