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आधुनिक ओलम्पिक खेलों के 129 वर्ष

नई दिल्ली।। भारत आधुनिक ओलम्पिक खेलों में 105 वर्ष का सफर पूरा कर रहा है। भारत ने पहली बार वर्ष 1900 में ओलम्पिक मैं हिस्सा लिया था। तब भारत की ओर से केवल एक एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड को भेजा गया था। जिसने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थे। हालांकि भारत ने अधिकारिक तौर पर पहली बार 1920 में ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया था। 2024 में पेरिस ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 पदक भारत की झोली में डाले थे जबकि उससे पहले 2021 में टोक्यो ओलम्पिक में भारत 7 पदक जीतने में सफल हुआ था। ओलम्पिक खेलों की शुरूआत करीब 2798 वर्ष पूर्व ग्रीस में जीयस के पुत्र हेराकल्स द्वारा की गई मानी जाती है किन्तु ऐसी धारणा है कि यह खेल उससे भी काफी पहले से ही खेले जाते रहे थे। 776 ईसा पूर्व विधिवत रूप से शुरू हुए ओलम्पिक खेलों का सिलसिला उसके बाद निर्बाध रूप से 393 ई. तक अर्थात् 1169 वर्षों तक चलता रहा। इन खेलों के माध्यम से ऐसा प्रदर्शन किया जाता था, जो मानव की शक्ति, गति एवं ऊजर्जा का परिचायक माना जाता था। प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन ईश्वर को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता था।अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस मनाए जाने की शुरूआत 23 जून 1948 को हुई थी। दरअसल आधुनिक ओलम्पिक खेलों का पहला आयोजन तो वर्ष 1896 में हुआ था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) की स्थापना पियरे द कुबर्तिन द्वारा 23 जून 1894 को की गई थी, जिसके प्रथम अध्यक्ष बने थे यूनानी व्यापारी डेमट्रियोस विकेलास। आईओसी का नुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लॉजेन में स्थित है और वर्तमान में दुनियाभर में 205 राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियां इसकी सदस्य हैं। आईओसी के स्थापना दिवस 23 जून को ही बाद में अंतर्राष्ट्रीय ओलग्गिक समिति द्वारा प्रतिवर्ष ओलम्पिक दिवस के रूप में ननाया जाना शुरू किया गया। आईओसी द्वारा प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल, शीतकालीन ओलम्पिक खेल और युवा ओलम्पिक खेल का आयोजन किया जाता है। पहला ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक वर्ष 1896 में यूनान के एथेंस में तथा पहला शीतकालीन ओलम्पिक 1924 में फांस के चेमोनिक्स में आयोजित किया गया था। ओलम्पिक दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें दो सौ से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं। फ्रांस के युवा शिक्षाशास्त्री पियरे द कुवर्तिन ने आधुनिक ओलम्पिक खेलों की आधारशिला रखी थी और उनके द्वारा 23 जून 1894 को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक सनिति की स्थापना किए जाने के बाद नए रूप में 1896 से आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन शुरू हुआ। उसके बाद ओलम्पिक खेल प्राचीन ओलम्पिक खेलों की ही भांति हर चार वर्ष के अंतराल पर आयोजित किए जाने लगे। एक जनवरी 1863 को जन्मे पियरे द कुवर्तिन की उम्र उस वक्त सिर्फ सात साल थी, जब 1870 में फ्रेंच-परसियन लड़ाई में जर्मनी ने फांस पर कब्जा कर लिया था। माना जाता है कि उस हार के कुछ वर्षों बाद कुवर्तिन इसका विश्लेषण करने पर इस नतीजे पर पहुंचे कि फास की हार का कारण उसकी सैन्य कमजोरियां नहीं बल्कि फांसीसी सैनिकों में ताकत की कमी थी। जर्मन, ब्रिटिश और अमेरिकन बच्चों की शिक्षा का अध्ययन करने के बाद कुबर्तिन ने पाया कि उन्हें और हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने में खेलों में उनकी भागीदारी की सबसे प्रमुख भूमिका थी जबकि फांसीसी खेलों में भागीदारी के मामले में काफी पिछड़े थे। उसके बाद कुबर्तिन ने कोशिशें की कि फांसीसियों को किसी भी तरह खेलों के प्रति आकर्षित किया जाए लेकिन उन्हें इन प्रयासों में उसाहजनक सफलता नहीं मिली किन्तु कुवर्तिन अपने इरादों पर दृढ़ थे। 1890 में कुवर्तिन ने ‘यूनियन डेस सोसायटीज फांसीसीज द स्पोर्ट्स एथलेटेक्स’ नामक एक खेल संगठन की नींव रखी और उसके दो वर्ष बाद कुबर्तिन के दिमाग में ओलम्पिक खेलों को पुनर्जीवन देने का विचार आया। खेल संगठन की 25 नवम्बर 1892 को पेरिस में हुई एक मीटिंग में उन्होंने इस संबंध में अपने विचार भी रखें किन्तु उनके उस भाषण से कुछ हासिल नहीं हुआ। उसके दो वर्ष बाद कुवर्तिन ने देशों के कुल 79 डेलीगेट्स की एक मीटिंग आयोजित की। इस मीटिंग में कुबर्तिन ने पूरे उत्साह से ओलम्पिक खेलों की नए सिरे से पुनः शुरूआत करने संबंधी भाषण दिया और इस बार वह लोगें को अपने विचारों से प्रभावित करने में सफल हुए। कांफैस में सभी डेलीगेट्स ने एकमत से ओलम्पिक खेल कराए जाने के पक्ष में वोट दिया और तय किया गया कि कुवर्तिन इन खेलों के आयोजन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समिति का गठन करें। उसके बाद ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति’ का गठन हुआ, जिसके प्रथम अध्यक्ष के रूप में ग्रीस के डेमट्रियोस विकेलास का चयन हुआ। प्रथम ओलम्पिक खेलों के आयोजन के लिए आकृष्ट करना होता है। 5 अप्रैल 1896 को प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों की शुरूआत हुई। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों का उद्घाटन 5 अप्रैल 1896 को एथेंस (यूनान) में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा किया गया। अमेरिका के जेम्स बी. कोनोली को पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल में प्रथम ओलम्पिक चैम्पियन बनने का गौरव हासिल है। पहले ओलम्पिक खेल की प्रतियोगिताओं में महिलाओं के भाग लेने पर प्रतिबंध था किन्तु सन् 1900 में दूसरे ओलम्पिक में महिलाओं को भी ओलम्पिक खेलों के जरिये अपनी प्रतिभा का परिचय देने का अवसर मिल गया। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक में भाग लेने वाले कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी थे, जो उस वक्त एथेंस में ही पर्यटक के तौर पर पहुंचे हुए थे। 1896 से ओलम्पिक खेलों का आयोजन नियमित होता रहा है लेकिन प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के कारण 1916, 1940 तथा 1944 के ओलम्पिक आयोजन रद्द करने पड़े थे। यूनान (ग्रीस), ब्रिटेन, स्विट्‌जरलैंड, आस्ट्रेलिया तथा फांस ही पांच ऐसे देश हैं, जिन्होंने अब तक हर ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया है। ओलम्पिक खेलों के उद्घाटन के समय स्टेडियम में सबसे पहले ग्रीस की टीम प्रवेश करती है। उसके बाद मेजबान देश की भाषानुसार वर्णमाला के क्रम से एक-एक करके दूसरे देशों की टीमें स्टेडियम में प्रवेश करती है जबकि मेजबान देश की टीम सबके बाद स्टेडियम में पहुंचती है। अन्यथा वह उसे छोड़ नहीं सकता। पदार्थ-विरति भी उसी क्षण घटित हो सकती है, जिस क्षण आत्मा या चैतन्य के साथ उसका संबंध स्थापित हो जाता है। यह स्थिति पतंजलि के शब्दों में धारणा के रूप में निरूपित की गई है। धारणा की धाराप्रवाह प्रतीति ध्यान है और ध्यान में पूर्ण तन्मयता का नाम समाधि है। संयम की पूर्णता के लिए धारणा, ध्यान और समाधि तीनों ही आवश्यक हैं। ध्यान साधना के अनुशासन की पूरी प्रक्रिया शिविर-साधना को आगे बढ़ाती है। साधक की शारीरिक और मानसिक स्थिति में संयम या साधना के अनुशासन की पूर्ण स्वीक्ति ही शिविर-साधना का ठोस आधार है।

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