सिंगरौली

नगर पालिक निगम सिंगरौली में जारी हो रहे निलम्बन एवं बहाली के आदेश बने चर्चा का कारण

आयुक्त की कार्य प्रणाली को लेकर कयासों का बाजार हुआ गर्म

ऑपरेशन टाइम्स सिंगरौली।। नगर पालिक निगम सिंगरौली के वर्तमान आयुक्त द्वारा नगर पालिक निगम सिंगरौली में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों का थोक के भाव किये गये निलम्बन आदेश एवं कुछ ही दिनों बाद किये गये बहाली के आदेश चर्चा का कारण बने हुए हैं। चर्चाओं के अनुसार आखिर नगर पालिक निगम सिंगरौली में ऐसी क्या परिस्थितियां आन पड़ी कि अधिकारी-कर्मचारियों का थोक के भाव निलम्बन करना पड़ा। यदि यह निलम्बन अनियमित्ताओं के कारण किया गया था तो फिर निलम्बन आदेश के महज 15 दिन के अन्दर ही बहाली क्यों? कहीं यह नजराने के लिए खेला गया खेल तो नहीं था। इतना ही नहीं कई अधिकारियों के प्रभार भी छिने। लेकिन 15 दिवस के अन्दर ही पुन: उन्हें उन शाखाओं का प्रभार सौंप दिया गया। जिस शाखा से उन्हें पृथक किया गया था। आखिर यह सब करके आयुक्त नगर पालिक निगम सिंगरौली साबित क्या करना चाहते थे? यह आज तक अबूझ पहेली बना हुआ है।

39 लाख का फर्जी भुगतान बना गले की हड्डी—
जानकार सूत्रों के अनुसार नगर पालिक निगम सिंगरौली में वार्ड क्रमांक 32 शिवाजी शापिंग काम्पलेक्स मेें पाईप लाईन डालने एवं जल प्रदाय सामाग्री इत्यादि कार्य जीएसटी सहित कुल लागत 39 लाख 68 हजार 3 सौ 10 स्वीकृत होकर कार्यादेश दिया गया था। सूत्रों के अनुसार उक्त कार्य जमीन पर हुआ ही नहीं। लेकिन उक्त कार्य का सम्पूर्ण भुगतान नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा कर दिया गया। उक्त भुगतान में जहां नगर पालिक निगम सिंगरौली से प्रभारी उप यंत्री सहायक यंत्री एवं लेखाधिकारी को आयुक्त नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा निलम्बित किया गया था। वहीं वह भुगतान जांच रिर्पोट आने एवं भुगतान फर्जी पाये जाने के बाद भी संविदाकार को भुगतान वर्तमान आयुक्त द्वारा ही किया गया। लेकिन संबंधित अधिकारियों को निलम्बित कर आयुक्त द्वारा अपने आपको ईमानदार अधिकारी प्रदर्शित करने का असफल प्रयास अवश्य किया गया।

किन-किन पर गिरी गाज—
कार्यालय नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा जारी आदेश दिनांक 03.09.2024 को 5 आदेश जारी किये गये थे। जिसमें 38 लाख 68 हजार 3 सौ 10 रूपये के फर्जी भुगतान मामले में वार्ड क्रमांक 32 के प्रभारी उपयंत्री के रूप में कार्यरत अनुज सिंह पर यह आरोप लगे कि उनके द्वारा बिना कार्य पूर्ण किये ही उक्त राशि का भुगतान प्राप्त सामाग्री एवं पाईप लाईन बिछाने के कार्य का माप, माप पुस्तिका में दर्ज किया गया। जिसके आधार पर भुगतान किया गया। वहीं नगर पालिक निगम सिंगरौली मेंं कार्यरत पीके सिंह उपयंत्री को तत्काल प्रभाव से आदेश क्रमांक 3761 के द्वारा सभी प्रभारों से मुक्त करते हुए कार्यालय में संलग्न किये जाने का आदेश जारी किया गया था। इसी कड़ी में कार्यपालन यंत्री व्ही.बी. उपाध्याय को फर्जी भुगतान मामले में दोषी पाते हुए आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच किया जाना प्रस्तावित किया गया तथा उपरोक्त विभागीय जांच की कार्यवाही को दृष्टिगत रखते हुए कार्य पालन यंत्री को उनके मूल पद इलेक्ट्रिकल को छोड़ शेष समस्त प्रभार से तत्काल प्रभाव से पृथक किये जाने हेतु आदेश जारी किये गये। इतना ही नहीं दिनेश तिवारी प्रभारी सहायक यंत्री एवं लेखाधिकारी को भी उनके प्रभार से तत्काल मुक्त किये जाने हेतु आदेश जारी किया गया था। ज्ञातव्य हो कि नगर पालिक निगम सिंगरौली के इतिहास में शायद यह पहली घटना होगी जब एक ही दिन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हेतु आदेश जारी हुए हों।

पुन: हुई घर वापसी —
नगर पालिक निगम सिंगरौली के इतिहास में 03.09.2024 ही वह तारीख थी जिस दिन थोक के भाव सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ निलम्बन एवं प्रभार छिनने के आदेश जारी हुए तो 23.09.2024 वह तारीख बनी जिसमें एक मुस्त हुई कार्यवाही से प्रभावित अधिकारियों को पुन:उनके प्रभार यथावत सौंपे जाने का आदेश भी जारी हुआ। नगर पालिक निगम सिंगरौली से 23.09.2024 को जारी आदेश क्रमांक 4119 ,4109,4121,4114,4118 एवं 4116 द्वारा फर्जी बिल भुगतान मामले में दोषी पाये जाने वाले अधिकारियों को पुन: उनके प्रभार सौंप दिये गये। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि नगर पालिक निगम सिंगरौली के आयुक्त द्वारा 03.09.2024 को जिन-जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई थी। उन्हें पुन: 23.09.2024 को उनको बहाल किया गया। दोनों ही आदेश नगर पालिक निगम सिंगरौली के वर्तमान आयुक्त डी.के शर्मा द्वारा ही जारी किये गये हैं।

सजा एवं माफी के कारण भी समान—
आयुक्त नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा 03.09.2024 को नगर पालिक निगम सिंगरौली के अधिकारियों के खिलाफ की गई थोक बन्द कार्रवाई में जहां आरोप फर्जी बिल भुगतान मामले में संलिप्तता थी। वहीं माफी भी समान कारण ही दर्शाये गये हैं। कार्यालय नगर पालिक निगम सिंगरौली 23.09.2024 को जारी आदेश सभी आदेशों में एक ही बात का उल्लेख किया गया है कि उक्त कार्य में हुई अनियमित्ता की जांच कार्यवाही प्रचलित है। जिसमें सभी संबंधित अधिकारियों एवं संविदाकार के विरूद्ध आरोप पत्र आदि भी जारी किये जाकर सुनवाई उपरांत की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में अंतिम विनिश्चय किया जाना है। जिसमें समय लगने की संभावना है। जिसे देखते हुए सभी अधिकारियों को पुन: उनका प्रभार पूर्ववत् सौंप दिया गया। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जब उन्हें प्रभार सौंपना ही था यह तो कार्यवाही का दिखावा क्यों?

नजराने का बताया जा रहा खेला—
नगर पालिक निगम सिंगरौली में हाल ही में हुई कार्यवाही प्रभार छीनने की प्रक्रिया को जानकार नजराने का खेला बता रहे हैं। लोगों की इस बात में दम भी नजर आता है। लोगों के अनुसार जब होने वाली जांच एवं कार्यवाही में समय लगना था तो यह निलम्बन व छीनने का दिखावा क्यों? जन चर्चाओं के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम में बड़ा खेला हुआ। यह सब कुछ मात्र सुविधा शुल्क के लिए किया गया था। सुविधा शुल्क मिलते ही सबकी पुन: वापसी कर दी गई। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस फर्जी भुगतान मामले में आयुक्त नगर पालिक निगम सिंगरौली की भूमिका भी संदिग्ध थी। आयुक्त द्वारा स्वयं जांच टीम गठित कर जांच कराने एवं जांच रिर्पोट में यह प्रमाणित होने के बाद भी कि कार्य मौके पर नहीं हुआ भुगतान किया गया। जो जांच का विषय बना हुआ है।

संगठनों ने खोला मोर्चा—
नगर पालिक निगम सिंगरौली मे हाल फिलहाल हुए घटनाक्रम के बाद संयुक्त मोर्च ने मोर्चा सम्भाल लिया है। नगर पालिक निगम सिंगरौली के मुख्य गेट के सामने संयुक्त मोर्चा के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, तथा इस पूरे घटना क्रम की जांच अन्य विभाग के अधिकारियों से कराये जाने के साथ-साथ इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार अधिकारियों एवं आयुक्त नगर पालिक निगम सिंगरौली के खिलाफ कार्यवाही की मांग पर अड़े हुए हैं। देखना यह है कि आगे-आगे होता है क्या? फिलहाल गेंद अब राज्य सरकार के पाले मे है। हाल फिलहाल की घटनाओं से जनप्रतिनिधि भी रूष्ट है।

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