
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। अपर सत्र न्यायाधीश देवसर ने दस्तावेजी साक्ष्य तथा साक्षियों के अहम कथन आधार पर दोषी सहायक बैंक मैनेजर यूबीआई शाखा सरई सहित दो अभियुक्तों को 10 वर्ष के सश्रम कारावास व अर्थदंड अधिरोपित किये जाने का फैसला सुनाया है। अपर सत्र न्यायाधीश विजय सोनकर के न्यायालय ने अभियुक्त द्वय रामाशंकर पनिका निवासी ग्राम पठारीदह थाना सरई एवं भागवत सिंह सहायक मैनेजर शाखा सरई निवासी करियाखेड़ा पोस्ट कुसुमी मानद थाना जेवरा जिला दमोह को भादंवि की धारा 409/34 के अंतर्गत 10 वर्ष का सश्रम कारावास सहित प्रत्येक को तीन हजार रूपए अर्थदंड अधिरोपित किये जाने का दंडादेश पारित किया है। न्यायालय ने अभियोजन की ओर से मामले में अपर लोक अभियोजक मार्कंडेय मुनि त्रिपाठी ने तार्किक ढंग से पक्ष रखा। उन्होंने उक्त गंभीर मामले में अभियुक्तों को कठोर सजा दिये जाने की न्यायालय से मांग की थी।
पीड़ित खाताधारक ने की थी शिकायत—
अभियोजन के अनुसार फरियादी संतलाल बैस निवासी ग्राम जमगढ़ी थाना सरई 27 अक्टूबर 2017 को थाने पहुंचकर मामले की शिकायत पुलिस से की थी। जिसमें कहा था कि यूबीआई शाखा सरई में उसके खाते से फर्जी तरीके से अज्ञात व्यक्ति द्वारा 25 हजार रूपए निकाल लिये गये हैं। जानकारी होने पर मैं बैंक के सहायक मैनेजर से पता लगाने के लिए पूछताछ की थी, लेकिन मुझे सही जानकारी नहीं दी गई थी। उसने बताया था कि कई लोगों ने बैंक के सहायक मैनेजर पर अनियमितता व संदिग्ध कार्यप्रणाली के संबंध में भी बताया था। फरियादी ने पुलिस ने उचित कार्रवाई कर न्याय दिलाने व खाता से निकाली गई राशि वापस दिलाने की मांग की थी।
शिकायत सही मिलने पर की गिरफ्तारी—
रिपोर्ट पर सरई पुलिस द्वारा मामले की जांच की गई। दस्तावेज भी खंगाले गये। जिसमें पाया गया कि आरोपी रामाशंकर पनिका द्वारा फरियादी संतलाल के खाते से फर्जी तरीके से 25 हजार रूपए की निकासी की गई थी। सहायक बैंक मैनेजर ने हस्ताक्षर मिलाने में जानबूझकर उदासीनता बरती थी। जिससे बैंक के सहायक मैनेजर भागवत सिंह द्वारा आरोपी से मिलीभगत व अनियमितता बरतने का खुलासा हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने थाना सरई में आरोपी द्वय के विरूद्ध भादंवि की धारा 420, 409/34 के तहत मामला दर्ज कर मय चालान आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
हस्ताक्षर का नहीं किया मिलान—
अभियोजन अधिकारी ने बताया कि आरोपी सहायक बैंक मैनेजर द्वारा न्यायालय में बचाव पक्ष की ओर से पेश बैंक कलर्क ने कोर्ट में बताया कि आधार कार्ड विदड्रावल फार्म पर हस्ताक्षर खाता धारक के हस्ताक्षर से मिलाने की पूरी जिम्मेदारी बैंक मैनेजर की होती है। इसके पश्चात ही बैंक मैनेजर के निर्देश पर कैशियर द्वारा ग्राहक को पैसा दिया जाता है। उक्त कथन पश्चात सहायक बैंक मैनेजर व आरोपी को मामले में न्यायालय ने दोषी करार दिया है।