गुरुवार को हुई जिला पंचायत सामान्य सभा बैठक में खूब हुआ हंगामा, डीईओ-डीपीसी से नाराज जिला पंचायत सीईओ ने दी जेल भेजने की धमकी
भ्रष्टाचार की पोल खोलने पक्ष-विपक्ष में हुई तकरार तो डीईओ-डीपीसी ने बजाई ताली अशोक सिंह पैगाम ने डीईओ से कहा- नेतागिरी करनी है तो खुलकर आइए सामने, डीईओ ने कहा- लड़ेंगे चुनाव

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में भ्रष्टाचार की पोल खोलने पर पक्ष-विपक्ष में खुलकर तकरार होने पर खुशी जताते हुए डीईओ व डीपीसी ने ताली बजाकर सदन की मर्यादा को भंग किया है। सदस्यों के विरोध करने व निंदा प्रस्ताव लाने की मांग करने पर जिला पंचायत सीईओ ने दोनों लोगों को जेल भेजने की धमकी भी काम नहीं आई। डीईओ ने सदन में ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर डाली है। जिसको लेकर पूरी नेतानगरी में सन्नाटा पसर गया है। सभी भौचक होकर जिला पंचायत सीईओ व कलेक्टर को इसके लिए दोषी करार दे रहे हैं। दरअसल, गुरूवार को जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक के दौरान अशोक सिंह पैगाम ने शिक्षा विभाग में साढ़े तीन करोड़ खरीदी में बंदरबांट के अलावा शासन से आई मरम्मत की राशि में फर्जीवाड़ा किये जाने का मुद्दा सदन में उठाया था। उन्होंने शासन के नियम व राशि का ब्योरा पटल पर रखते हुए जांच कराने के साथ ही दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद जिला पंचायत सदस्य संदीप शाह ने बिजली विभाग द्वारा ग्रामीणों को शोषण किये जाने का मुद्दा सदन में उठाया था। संदीप शाह ने कहाकि ट्रांसफार्मर जल जाने के बाद नया ट्रांसफार्मर देने के लिए 20 से 25 हजार रूपए लिये जाते हैं। यही नहीं किसानों को ट्रांसफार्मर ले जाने के लिए अपना साधन देना पड़ता है। यदि बिजली विभाग का वाहन ट्रांसफार्मर पहुंचाता है तो उसके लिए अलग से वसूली की जाती है। संदीप शाह के इस आरोप पर सदन में बैठे जपं देवसर अध्यक्ष प्रणव पाठक ने विरोध किया। प्रणव पाठक ने कहाकि सीधे किसी पर कैसे आरोप लगा सकते हैं। दोनों लोगों के बीच टकराव बढ़ता रहा, जिससे खुश होकर डीईओ एसबी सिंह, डीपीसी राम लखन शुक्ला व उनके मातहतों ने ताली बजा दी। जिसके बाद मामला उल्टा हो गया।
एजेंडावार अधिकारी ही आते हैं बैठक में—
वन अधिकार समिति के सभापति अशोक सिंह पैगाम ने जिला पंचायत सीईओ की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहाकि सामान्य सभा की बैठक में सभी विभाग प्रमुखों के उपस्थित रहने का प्रावधान है। सदन में इसको लेकर प्रस्ताव भी पारित हो चुका है लेकिन उसका परिपालन नहीं होता है। सदन में हम लोग एजेंडा से अलग मुद्दा उठाते हैं तो जवाब देने के लिए अधिकारी ही उपस्थित नहीं रहते हैं। इसका मतलब है कि जिला पंचायत सीईओ जानबूझकर अपने अधिकारी व कर्मचारियों की करतूतों को ढंक रहे हैं।
सीईओ ने संभाला मोर्चा—
बताया जाता है कि डीईओ व डीपीसी के द्वारा सदन की मर्यादा तोडत्ते पर सभी सदस्य नाराज हो गये। जिसके बाद जिला पंचायत सीईओ ने डीईओ को डांट लगाते हुए सदन की मर्यादा बनाये रखने की हिदायत दी। इसी बीच अशोक सिंह पैगाम ने कहाकि यदि नेतागिरी ही करनी है तो नौकरी छोड़कर मैदान में आइए। जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने कहाकि चुनाव भी लड़ जाऊंगा। यह सुनते ही सदन में सन्नाटा पसर गया फिर जिला पंचायत सीईओ ने कहाकि मेरे पास तुम्हें यही से जेल भेजने का भी अधिकार है। अभी यहीं से जेल भेजने की कार्रवाई शुरू करता हूँ। वहीं सदस्य निंदा प्रस्ताव लाने पर अड़े रहे लेकिन जिला पंचायत सीईओ किसी तरह से मामला शांत कराने में कामयाब हुए है।
तीन फर्मों को सीधे दे दी राशि—
वन समिति सभापति अशोक सिंह पैगाम ने सदन में शिक्षा विभाग में हुए घोटाले की पोल खोलते हुए कलेक्टर को दिये आवेदन की प्रति पटल पर रखा था। इसके बाद उन्होंने उसे पढ़ते हुए कहा था कि शासन द्वारा प्रस्ताव मांग गया था कि किन स्कूलों की मरम्मत, बिजली व्यवस्था कराई जानी है, उसकी सूची डीपीआर के साथ भेजी जाए। सिंगरौली से 61 विद्यालयों की सूची भेजी गई थी। शासन द्वारा साढ़े तीन करोड़ रूपए स्वीकृत कर दिया गया था। यह राशि स्कूल के खाते में जानी थी। विद्यालय प्रबंधन एसएमडीसी व शाला प्रबंधन समिति के स्वीकृति के बाद उनके द्वारा खरीदी अथवा मरम्मत कार्य कराते लेकिन डीईओ ने नियमों को ताक पर रखते हुए सीधे तीन फर्मों के नाम पर राशि आहरित करवा दिया है। जिसमें श्रीप्रदा सेल्स कार्पोरेशन, श्री धनलक्ष्मी ट्रेडर्स, जगदम्बा इंटरप्राइजेज शामिल हैं। इसके बाद न तो मरम्मत हुआ और न ही कोई खरीदी की गई। पूरी राशि की बंदरबांट कर ली गई है, इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष, कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ करोड़ों रूपए की अनियमितता करने वाले के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करवाएं।