
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। आरोपी युवक ने मासूम बच्ची से न केवल ज्यादती की बल्कि अप्राकृतिक यौन संबंध भी बनाये। इस घृणित वारदात को अंजाम देने के मामले में दोषी को विशेष न्यायाधीश पाक्सो कोर्ट ने ताजिंदगी कैद की सजा का फैसला सुनाया है। विशेष न्यायालय ने पीडिता के कथन और चिकित्सकीय साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को मामले में दोषी करार दिया। विशेष न्यायाधीश के न्यायालय ने अभियुक्त रंगलाल उर्फ सिब्बू पनिका निवासी वार्ड नंबर-3 जगमोरवा थाना मोरवा को (धारा- 5 एम) सहपठित धारा-6 पाक्सो एक्ट के अंर्तगत आजीवन कारावास (शेष प्राकृत जीवन काल के लिए कारावास की सजा) सहित 5 हजार रूपये अर्थदंड अधिरोपित किये जाने का दंडादेश पारित किया है। न्यायालय ने अभियुक्त को भादंसं की धारा 377 के तहत भी 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा मुकर्रर की है। इसी तरह भादंसं की धारा 450 के अधीन भी 5 वर्ष के सश्रम कारावास सहित 1 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। न्यायालय ने माना की यद्यपि अभियुक्त का अपराध गंभीर है, लेकिन विरल से विरलतम अपराध श्रेणी में नहीं आता है, लिहाजा उसे दी गई उपरोक्त सजा पर्याप्त है। न्यायालय ने आदेशित किया है कि अभियुक्त को दी गई मूल कारावासी सजायें साथ-साथ भुगताई जायें।
अभियोजन ने की कठोर सजा देने की मांग—
न्यायालय में अभियोजन की ओर से उक्त मामले में आनंद कमलापुरी विशेष अपर लोक अभियोजन अधिकारी ने तार्किक ढंग से पक्ष रखा। उपरोक्त मामले गंभीरता पर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराते हुये आरोपी को कठोर सजा दिये जाने की मांग की है। न्यायालय में पुलिस विवेचक एवं नोडल अधिकारी शीतला यादव और राम मिलन तिवारी ने मामले में समस्त विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुये आरोपी को गिरफ्तार कर मय चालान न्यायालय समक्ष पेश किया था।
पीड़िता के साथ मां ने थाने जाकर लिखाई थी रिपोर्ट—
अभियोजन के अनुसार मोरवा थाना क्षेत्र के उक्त मामले में मासूम पीड़िता को लेकर उसकी मां थाने पहुंचकर आरोपी के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें उल्लेख किया था कि 30 जून 2023 की सुबह की उक्त घटना है। घर में उसके तीनों बच्चे थे और सिब्बू पनिका भी साथ टीबी देख रहे थे। पीड़िता की मां ने बताया कि वह साढ़े नौ बजे सब्जी लेने बाजार जा रही थी। घर से कुछ दूरी पर पहुंची थी कि घर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। वह वापस घर आई तो बेटी रो रही थी। पूछने पर उससे आरोपी की करतूत बताई। पुलिस ने पीड़िता की कम उम्र के मद्देनजर मेडिकल परीक्षण व अन्य आवश्यक पहलुओं पर गौर करते हुये विधिक प्रक्रिया का पालन किया और आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर मय चालान न्यायालय के समक्ष तत्परता से पेश किया था।