बेफिक्र होकर चैन की नींद सो रहे बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण और मॉनीटरिंग के जिम्मेदार

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। प्रदेश के सर्वाधिक प्रदूषित जिलों में सुमार होने के बाद ऊर्जाधानी में प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के प्रयास तो हुये लेकिन इन प्रयासों का कुछ खासा असर जमीनी स्तर पर देखने को नहीं मिल रहा है। ऊपर से प्रदूषण के प्रतिदिन के आंकड़ों को मुख्यालय क्षेत्र में डिस्प्ले द्वारा सार्वजनिक किए जाने की व्यवस्था आज तक नहीं बन सकी है। खुले में कहीं भी कूड़ा-कचरा जलाने, मेडिकल वेस्ट को जलाने के मामले आये दिन सामने निकलकर आते रहते हैं। सड़कों पर जगह-जगह साफ-सफाई नहीं होने से धूल के दिन-रात उठते गुबार भी परिक्षेत्र की आबो-हवा को दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। कुछ यही हाल प्रदूषण के प्रमुख बड़े स्रोतों को लेकर बना हुआ है और इससे ऐसा लगता है कि प्रदूषण को रोकने व इसकी मॉनीटरिंग के जो जिम्मेदार हैं। वे बेखौफ सो रहे हैं।
जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर का इंडेक्स नहीं बता रहा प्रदूषण की स्थिति—
गौरतलब हो कि जिला मुख्यालय वैढ़न में प्रदूषण मापने का इंडेक्स ट्रामा सेंटर में लगाया गया है। जो पिछले कई सप्ताह से लगातार बंद पड़ा है। इससे यहां के प्रदूषण की प्रतिदिन की रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर साझा नहीं हो रही है। वहीं इसके अलावा यहां आज तक प्रदूषण रिपोर्ट सार्वजनिक करने वाला डिस्प्ले नहीं लगाया गया है। यहां की जिम्मेदारी एनटीपीसी की है।
खुले मैदान में जलाए जा रहे मेडिकल वेस्ट—
वैढ़न में एनसीएल बाउंड्री ग्राउंड बिलौंजी के मैदान में खुले में मेडिकल वेस्ट को जलाने की एक तस्वीर मंगलवार को सामने आयी है। जिसमें काफी मात्रा में मेडिकल वेस्ट यहां खुले में पड़ा है और कुछ में आग लगाकर उसे जलाया भी जा रहा है। सभी को पता है कि खुले में मेडिकल वेस्ट या कूड़ा-कचरा जलना प्रतिबंधित है क्योंकि इससे प्रदूषण फैलता है लेकिन इसके बाद भी जिस तरह से यहां मेडिकल वेस्ट को जलाया जा रहा है। उससे ये खुद ही प्रतीत होता है कि ऐसा करने वालों को तो पर्यावरण की कोई फिक्र ही नहीं और न ही इसकी मॉनीटरिंग करने वालों को है।
प्रदूषण पर अनदेखी नहीं रुकी तो न्यायालय की शरण में जायेंगेः फौजी सेवा संगठन—
जिले में प्रदूषण के हालातों पर चिंता जाहिर करते हुये फौजी सेवा संगठन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को मंगलवार को पत्र दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि जिले में प्रदूषण को लेकर हालात कुछ खास ठीक नहीं है। इसके बाद भी धड़ल्ले से कंपनियों को पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी जा रही है जबकि प्रदूषण रोकने के एक्शन प्लान पर कार्य पूर्ण होने के बाद ही स्वीकृति देने का पूर्व में निर्देश था। प्रदूषण का ग्राफ जिले में पिछले कई वर्षों से 300 एक्यूआई के पार पहुंच जाता रहा है। ऐसे में इसका प्रतिकूल प्रभाव जिलेवासियों की सेहत पर पड़ेगा। कंपनियों एस्सार पावर प्लांट को जब नो गो जोन प्लांट सीपीसीबी ने घोषित कर दिया था तो अब क्या उस प्लांट को अडानी के लेने से प्रदूषण के मानक खत्म हो जायेंगे? संगठन जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा है कि इन मामलों में उचित कार्यवाही नहीं की जाती तो वे न्यायालय में जाने के लिए बाध्य होंगे।
इनका कहना है —
हमारे कार्यालय द्वारा किसी को कोई पर्यावरण स्वीकृति नहीं दी जाती है, ये सब दिल्ली से होता है। खुले में मेडिकल वेस्ट जलाने की जरूर जांच करायेंगे व उचित कार्यवाही की जाएगी। ट्रामा सेंटर में प्रदूषण रिपोर्ट बताने वाला इंडेक्स चालू कराने का निर्देश एनटीपीसी को दिया गया है।
संजीव मेहरा आरओ
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सिंगरौली