FIR-झूठे केस फाईल करने वाले वकीलों पर भी अब होगी कार्यवाही, सर्वोच्च न्यायालय के 11 निर्देश

नई दिल्ली एजेंसी।। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा झूठे केस फाइल करने वाले वकीलों के संबंध में 12 ऐसे निर्देश जारी किए गए हैं। जिसे सुनकर आप जागरूक तो होंगे ही। साथ ही में जो वकील आपके खिलाफ़ झूठे केस फाइल करता है। उसके खिलाफ़ बार काउंसिल में कंप्लेंट भी कर सकते हैं और उनके खिलाफ़ कार्रवाई भी करवा सकते हैं। किसी भी केस को माननीय न्यायालय में लड़ने के लिए आपको एक वकील की आवश्यकता पड़ती है लेकिन आज के समय में कई वकील ऐसे हैं जो कि झूठे केस फाइल करने में भी विश्वास रखते हैं और लगभग करते भी हैं। उनके झूठे केस फाइल करने से लोगों को काफी समय बर्बाद होता है और कुछ ऐसे हैं। जो पक्षकार को सारी चीजें क्लियर नहीं बताते हैं और उन्हें भटका कर रखते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 11 ऐसे दिशा निर्देश जारी किए हैं जो कि वकीलों को फॉलो करने ही करने हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा उनके ऊपर कार्रवाई भी की जा सकती है। तो अगर आपकी साथ में ऐसी स्थिति आती है तो आप संबंधित वकील यानी अधिवक्ता की शिकायत बार काउंसिल ऑफ इंडिया में भी कर सकते हैं।
(1)—पक्षकार को सलाह देने के दौरान नैतिक मानकों का पालन करना चाहिए—
पहला निर्देश यह है कि अधिवक्ताओं को पक्षकार को सलाह देने के दौरान नैतिक मानकों का पालन करना चाहिए। उन्हें ऐसी बात नहीं बतानी चाहिए। जो कि प्रैक्टिकल में संभव नहीं है और यह कोशिश करना चाहिए की अगर उनका मामला कोर्ट में ले जाने लायक नहीं है। तो उसे बातचीत करके ही निपटा दिया जाए। पक्षकारों को किसी भी प्रकार के झूठे वादे करने का अधिकार किसी भी अधिवक्ता को नहीं है।
(2)—पक्षकार को गुमराह नहीं करना चाहिए—
दूसरा दिशा निर्देश यह है कि किसी भी अधिवक्ता को अपने पक्षकार को सलाह देने के दौरान या उनके मामले को लड़ने के दौरान उसे गुमराह नहीं करना चाहिए। उन्हें वही बात बतानी चाहिए जो कि माननीय न्यायालय में जज के द्वारा कही जाती है या फिर विधि में संभव है। उनसे फीस लेने के लिए या उनका विश्वास जीतने के लिए झूठ-मूठ की ऐसी कोई बात नहीं बतानी चाहिए कि हम तुम्हें इस तरह से फायदा करवा देंगे या तुम्हें उस तरीके से केस जीता देंगे। अगर कोई भी अधिवक्ता ऐसा करता है तो आप उनकी शिकायत बार काउंसिल ऑफ इंडिया में बतौर सबूत कर सकते हैं।
(3)—गैर पेशेवर सलाह नहीं देनी चाहिए—
किसी भी अधिवक्ता के पास अगर कोई पक्षकार वादी या प्रतिवादी अपना मामला लेकर पहुंचता है। तो उसे गैर पेशेवर सलाह नहीं देनी चाहिए। यानी की संबंधित अधिवक्ता को वही सलाह देनी चाहिए। जिस मामले में वह एक्स्पर्ट है। अगर वह क्रिमिनल मामले में एक्स्पर्ट हैं तो उन्हें सिविल की सलाह नहीं देनी चाहिए और अगर वह सिविल के मामले में एक्स्पर्ट हैं तो उन्हें क्रिमिनल की सलाह नहीं देनी चाहिए। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि जिस मामले की जानकारी उनको हैं या जिस फील्ड में वो काम कर रहे हैं। उसी से संबंधित सलाह उन्हें देनी चाहिए।
(4)—सौहार्दपूर्ण समाधान के प्रयास करने चाहिए क्योंकि मुकदमे में दो व्यक्तियों का जीवन शामिल है—
संबंधित अधिवक्ता के पास जब कोई मुकदमा या मामला लेकर कोई भी व्यक्ति आता है और अगर वह मामला फर्जी है या फिर इस तरीके से है कि बातचीत करके उसे निपटाया जा सकता है तो आपसी सौहार्दपूर्ण वातावरण में उसका समाधान करने का प्रयास एक अधिवक्ता को करना चाहिए क्योंकि मुकदमे में दो व्यक्तियों का जीवन शामिल होता है। अगर संबंधित अधिवक्ता यह समझ जा रहा है कि जो मामला उसके पास आया है। वह फर्जी है तो उसे संबंधित व्यक्ति को आगाह भी करना चाहिए कि इसके परिणाम काफी भयानक हो सकते हैं और इसकी सजा संबंधित व्यक्ति को भी मिल सकती है।
(5)—मुवक्किल से निर्देश प्राप्त करने चाहिए—
संबंधित अधिवक्ता को मुवक्किल से निर्देश प्राप्त करने चाहिए मनमाने आचरण नहीं करने चाहिए उन्हें मुकदमे में हो रही प्रगति के बारे में बताना चाहिए और वह क्या चाहते हैं। उस संबंध में जानकर आगे काम करना चाहिए। ऐसा ना हो कि दूसरे पार्टी से मिलकर उसके हिसाब से काम करने लगे। अगर ऐसा होता है तो आप इसकी शिकायत भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया में कर सकते हैं लेकिन आपके पास सबूत होना चाहिए।
(6)—निर्दोष व्यक्ति को फंसाने से रोकना चाहिए—
अगर कोई व्यक्ति किसी अधिवक्ता के पास जाता है और कहता है कि मुझे फलां व्यक्ति को इसलिए फसाना है क्योंकि वह मेरा काम नहीं कर रहा है या मैंने कोई भ्रष्ट काम किया है। इसलिए वह मुझे शिकायत करके परेशान कर रहा है। इसलिए मुझे-झूठे मुकदमे में उसे फंसाना है तो ऐसी स्थिति में अधिवक्ता को उसे समझना चाहिए कि अगर तुम सामने वाले व्यक्ति के खिलाफ़ झूठा मुकदमा दर्ज करवातें हो और कल या मुकदमा साबित नहीं होगा तो तुम्हारे ऊपर भी झूठा मुकदमा करने का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। संबंधित व्यक्ति को इस बात के प्रति पूरी तरीके से आगाह करना चाहिए और उनसे सबूत की मांग करनी चाहिए। कुल मिलाकर किसी भी स्थिति में निर्दोष व्यक्ति को फंसाने से बचना चाहिए।
(7)—झूठे मुकदमे दर्ज करने पर उचित परिणाम की जानकारी भी क्लाइंट को देनी चाहिए—
संबंधित अधिवक्ता के पास अगर कोई व्यक्ति आता है और वह किसी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ़ झूठे मुकदमे दर्ज करने के लिए कहता है या फिर झूठे परिवाद दायर करने के लिए कहता है। तो मामला न्यायालय में साबित नहीं होने पर संबंधित व्यक्ति के ऊपर क्या कार्रवाई हो सकती है। इस उचित परिणाम की जानकारी भी संबंधित अधिवक्ता को क्लाइंट को देनी चाहिए। अगर पत्नी ही अपने पति के खिलाफ़ झूठे दहेज एक्ट के मामले को लेकर आती है। तो पत्नी को यह बताया जाना चाहिए की अगर आप इस मामले को साबित नहीं कर पाती है। तो आपके ऊपर भी मुकदमा दर्ज होगा। जिससे कि आप जेल भी जा सकती है।
(8)—पार्टियों की मदद करने से बचना चाहिए, पुलिस को सूचित करना चाहिए—
अगर कोई आपराधिक प्रवृति का व्यक्ति है। जिसके ऊपर गंभीर मामलों में मुकदमा दर्ज हो गया है। तो उस व्यक्ति की मदद करने से संबंधित अधिवक्ता को बचना चाहिए। अगर उस व्यक्ति के संबंध में अधिवक्ता को जानकारी प्राप्त होती है। तो इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। जिससे की पुलिस उसे गिरफ्तार करे और गिरफ्तार करने के बाद माननीय न्यायालय में पेश करे। उस दौरान चाहे तो संबंधित अधिवक्ता उसका बचाव कर सकता है।
(9)—निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए—
किसी भी अधिवक्ता को निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए। दो पार्टियों के बीच में अधिवक्ता को मध्यस्थता नहीं करनी चाहिए। अगर अधिवक्ता अपने क्लाइंट की ओर से न्यायालय में पक्ष रख रहा है तो उसे अपने क्लाइंट के प्रति ईमानदार होना चाहिए। ऐसा न हो कि दूसरे यानी की विरोधी पक्ष के क्लाइंट से आर्थिक लाभ लेकर उसके पक्ष में काम करने लगे और अपने क्लाइंट को नुकसान पहुँचाए। एक अधिवक्ता को किसी भी स्थिति में निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।
(10)—झूठे शिकायत देने पर अगर कोई व्यक्ति उतारू हैं तो विरोधी पक्ष को उसकी सड़क के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करें—
अगर कोई व्यक्ति बार-बार झूठी शिकायत देने पर उतारू है तो उससे समझा-बुझाकर यह बताएं कि झूठी शिकायत करने का परिणाम क्या होगा और उसे उसकी सनक के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करे और बताए की झूठी शिकायत का कोई सिर पैर नहीं है और यह कोर्ट में नहीं चल पाएगी। जिससे कि किसी दूसरे व्यक्ति का जीवन बर्बाद होने यानी की जीवन मुश्किल में जाने से बच सकें।
(11)—झूठी शिकायत तैयार करने वाले अधिवक्ता भी दोषी—
अगर कोई अधिवक्ता झूठी शिकायत तैयार करता है और उसी मामले में पेश करता है या पुलिस के समक्ष देता है तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को संबंधित अधिवक्ता के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। यही निर्देश समस्त राज्य के बार काउन्सल के लिए भी है।