कितने दागी नेताओं को राहत दी : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से ऐसे दागी नेताओं की लिस्ट मांगी जिन पर से उसने चुनाव लड़ने से बैन के पीरियड को कम कर दिया या हटा दिया। कोर्ट ने ईसी से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। वहीं याचिकाकर्ता से कहा कि ईसी से जानकारी मिलने के बाद 2 हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करें। दरअसल रिप्रजेंटेंशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 में प्रावधान है कि दागी नेता 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। भले ही उसे जमानत मिल गई हो या फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट में मामला चल रहा हो। इसी एक्ट की धारा 11 के तहत ईसी के पास ताकत है कि वह किसी मामले में इस अवधि को कम या पूरी तरह हटा सकता है। ऐसा करने पर स्पष्ट कारण भी दर्ज करना होगा। कोर्ट ने ऐसे ही मामलों की जानकारी मांगी है। बता दें कि एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में जनहित याचिका दायर करके रिप्रजेंटेंशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 की धारा 8 और 9 की वैधता को चुनौती दी थी। याचिका में सांसदों-विधायकों के खिलाफ केसों का जल्द से जल्द निपटान करने और दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। 26 फरवरी 2025 को केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध का विरोध किया। साथ ही केंद्र ने कहा- दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि क्या चुनाव आयोग ऐसा नियम नहीं बना सकता कि राजनीतिक पार्टियां गंभीर अपराध मे सजा पाए लोगों को पार्टी पदाधिकारी नहीं नियुक्त कर सकतीं।।