
ऑपरेशन टाईम्स जबलपुर।। जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण जिला न्यायालय ने एक प्रकरण में मिली जमानत को निरस्त कर दिया था इसी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। एक आपराधिक मामले में रीवा के याचिकाकर्ता को जमानत दी गई थी लेकिन शर्तों का उल्लंघन करने के कारण जमानत निरस्त कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने जमानत निरस्त के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।
‘निचली अदालत के फैसले को रखा बरकरार’—
हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि न्यायालय को जमानत रद्द करने की शक्ति का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए
इसे यांत्रिक तरीके से रद्द नहीं किया जा सकता है। जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण उसे निरस्त करने में जिला न्यायालय ने कोई गलती नहीं की है।
टिकुरी गांव के सरपंच ने दायर की थी याचिका—
रीवा जिले के टिकुरी गांव के सरपंच महेश साकेत की तरफ से दायर की गई थी कि याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उसे निशाना बनाया जा रहा है। उसके खिलाफ झूठे आपराधिक प्रकरण में उसे आरोपी बनाया जा रहा है। कुछ समय पहले दर्ज एक आपराधिक प्रकरण में मिली जमानत को निरस्त करवाने के लिए ऐसा किया गया है। जिला न्यायालय ने मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में नहीं रखते हुए आपराधिक प्रकरण में मिली जमानत को निरस्त कर दी है।
‘साजिश के तहत दर्ज कराया प्रकरण’—
याचिकाकर्ता सरपंच महेश साकेत की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि अनावेदक महेंद्र सिंह का पूर्व में दर्ज आपराधिक प्रकरण से कोई संबंध नहीं था। जमानत मिलने के बाद उसने साजिश के तहत उसके खिलाफ गढ़ थाना में प्रकरण दर्ज करवाया। गढ़ थाना के एसएचओ विकास कपीस ने उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज करवाया है।एसएचओ ने उसे सरपंच पद से हटाने के लिए संबंधित अधिकारियों को भी लिखा था। इसके बाद अनावेदक ने पूर्व में दर्ज अपराधिक प्रकरण में मिली जमानत को निरस्त करने के लिए आवेदन दिया था। जिला न्यायालय ने मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में नहीं रखते हुए 17 जनवरी को जमानत निरस्त करने के आदेश जारी कर दिये।।