
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। ऊर्जाधानी में प्रदूषण की समस्या आम हो गयी है। प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिये एनजीटी, सेपी तरह-तरह के निर्देश जारी करती है। इसके बाद भी जिले में प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2023 में कुल 85 दिन ऐसे रहे हैं, जब प्रदूषण का स्तर 201 एक्यूआई से अधिक रहा। जबकि इस साल 2024 में अब तक प्रदूषण वाले 95 दिन दर्ज हुये हैं। ये आंकड़े दुधिचुआ के एक्यूआई सेंटर के हैं। इसी प्रकार से जिला मुख्यालय वैदन में ट्रामा सेंटर में स्थापित एक्यूआई सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 के कुल 75 दिन के मुकाबले वर्ष 2024 में 89 दिन प्रदूषण का स्तर 201 एक्यूआई से अधिक दर्ज किया गया। बता दें कि प्रदूषण का एक्यूआई 201 से अधिक पहुंचने को प्रदूषण के खतरनाक स्तर की शुरूआत माना जाता है। जिसमें प्रदूषण वातावरण में ज्यादा असरदार हो जाता है और सांसों के माध्यम से शरीर में आसानी से प्रवेश कर तरह-तरह की बीमारियों को बढ़ावा देता है।
ननि व ग्रामीण अंचलों में प्रदूषण को बेअसर करने क्या करें—?
कोयला खदानों व पावर प्लांट एरिया के अलावा अन्य क्षेत्रों में प्रदूषण की सर्वाधिक समस्या सड़कों पर लगातार उठता धूल का गुबार भी है। जिसमें नगर निगम क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचल भी शामिल हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में अब जरूरत है वाटर स्प्रिंकलर से पानी का नियमित छिड़काव कराने की। साथ ननि के लिए तो कायदे से ऐसी स्वीपिंग मशीन की आवश्यकता क्षेत्र के है, जिसमें वैक्यूम व स्प्रिंकलर दोनों की सुविधा हो।
इस साल 400 तक नहीं पहुंचा एक्यूआई—
इस बार पिछले साल की तुलना में प्रदूषण की मार वाले दिनों की संख्या अधिक रही लेकिन एक राहत की बात ये भी सामने आयी है कि इस बार प्रदूषण का स्तर 400 एक्यूआई या इससे अधिक नहीं पहुंचा है। जिले में पिछले कुछ वर्षों से कोल परिवहन को सड़क मार्ग से कम करने के जो प्रयास चल रहे हैं। उसका प्रभाव माना जा सकता है। जिले में सड़क मार्ग से कोल परिवहन की बजाय सीएचपी से एनसीएल ने कोल डिस्पैच करना शुरू कर दिया है। एनसीएल में इस वर्ष 135 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था। जिसमें से करीब 120 मिलियन टन कोयले का परिवहन सड़क के बजाए अन्य सुरक्षित माध्यमों से हो रहा है।।