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सीनियर को जूनियर और जूनियर को पद देकर अपनी प्रशासनिक अक्षमता साबित कर रहे हैं जीतू पटवारी

क्या मध्यप्रदेश में जीतू राज के साथ कांग्रेस का पतन चालू होगा विधानसभा उपचुनाव में हार के साथ?

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। लगभग दस माह पूर्व कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने जिस उम्मीद के साथ प्रदेश की कमान प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के हाथ में सौंपी थी फिलहाल वह उम्मीद कहीं से कहीं तक पूरी नहीं होती दिखाई दे रही है। कभी पार्टी नेताओं में आपसी खींचतान तो कभी मनभेद और मतभेद में ही पार्टी ने अपने बेशकीमती दस माह बिता दिये। अब जब प्रदेश के दो प्रमुख जिलों में उपचुनाव की बारी आई तो आनन फानन में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक ऐसी फौज तैयार कर दी जिसे क्या काम करना है यह बात न तो पटवारी को समझ आ रही है और न ही फौज के सदस्यों को। यहां फौज से आशय प्रदेश कार्यकारिणी समिति में शामिल हुए 150 से अधिक उन कार्यकर्ताओं और विधायकों से हैं जिन्हें पार्टी ने प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान दिया है। इतनी बड़ी संख्या में प्रदेश कार्यकारिणी के निर्माण के पीछे पार्टी का क्या उद्देश्य है यह तो समझ से परे है। लेकिन एक बात तो तय है कि इतनी बड़ी फौज लेकर कोई भी नेता पार्टी का समन्वय बेहतर ढंग से चलाने में सक्षम होगा यह दमखम फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के उच्च स्तरीय नेताओं में तो दिखाई नहीं दे रहा। जबकि कमलनाथ के समय भी प्रदेश कार्यकारिणी बनाई गई थी। उस समय ऐसा माहौल नहीं बना था। किसी भी प्रकार का असमंजस नहीं था। एक सधी हुई कार्यकारिणी बनाई गई थी जिसमें समरूपता का समावेश था। क्‍योंकि हम मानते हैं कि कमलनाथ एक अनुभवी राजनेता है। उन्‍हें पता होता है कि किस नेता को किस तरह की जिम्‍मेदारी दी जानी है जिससे पार्टी का फला हो सके।

युद्ध संख्या बल से नहीं बुद्धिमानी से जीता जाता है—

कांग्रेस पार्टी और जीतू पटवारी को यह बात समझ लेना चाहिए कि कोई भी युद्ध संख्या बल से नहीं बल्कि बुद्धिमानी से जीता जाता है। भले ही आज पटवारी के कहने पर पार्टी आलाकमान ने सभी नाराज नेताओं को संतुष्ट करने के लिये प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान दे दिया हो लेकिन हकीकत तो यह है कि अगर यह सब नेता कार्यकारिणी का सदस्य होने के कारण रोज भोपाल आते जाते रहे तो मैदानी स्तर पर काम कैसे होगा। जनता के बीच तक नेता और कार्यकर्ता कैसे पहुंचेंगे। और अगर मैदानी स्तर तक नेता और कार्यकर्ता नहीं पहुंचे तो निश्चित ही वह दिन दूर नहीं जब पार्टी को बड़ नुकसान हो सकता है।

अनुभवी नेताओं को मिलना था स्थान—
प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भले ही पार्टी आलाकमान ने दिग्विजय सिंह, कमलनाथ सहित कई दिग्गज नेताओं को स्थान दिया है लेकिन देखा जाये तो पार्टी को वहीं कार्यकारिणी को दोबारा से कार्य करने का अवसर देना चाहिए था जो पूर्व में कमलनाथ के समय में थी। यह वही कार्यकरिणी के सदस्य थे जिन्होंने राज्य में कांग्रेस को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में अपना परिश्रम लगाया था। यही नहीं इन्हीं सदस्यों के बल बूते पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल खड़ा किया और चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरे थे। लेकिन अब पार्टी ने ऐसे विधायकों की फौज तैयार करके मैदान में खड़ी कर दी है जिनके बीच समन्वय करने में ही प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का समय निकल जायेगा और पार्टी को भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।

विवेकानंद जी का कथन आता है याद—
प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या को देखकर मुझे स्वामी विवेकानंद जी का कथन याद आता है वह कहते थे कि मुझे समाज में यदि परिवर्तन लाना है तो लोगों की भीड़ नहीं बल्कि फुटबॉल टीम के जितने 11 खिलाड़ी की काफी है। यह बात कमलनाथ के समय तैयार हुई कार्यकारिणी पर बिल्कुल सटीक बैठती है जहां उन्होंने गिनती के लोगों को अपने टीम में स्थान दिया और सभी ने कड़ी मेहनत, परिश्रम और योग्यता के बल पर कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश में नया मुकाम दिया था।

क्या उपचुनाव जिता पाने में सफल होगी कार्यकारिणी—
जिस हिसाब से पार्टी आलाकमान ने पटवारी के कहने पर कार्यकारिणी की एक लंबी फेहरिस्त तैयार की है उसे देखकर मन में सवाल उठता है कि क्या यह सभी सदस्य बुदनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर होने वाले विधानसभा चुनाव को जिता पाने में सफल होंगे। मुझे तो कार्यकारिणी के सदस्यों की उदासीनता देखकर प्रतीत होता है कि न सिर्फ उपचुनाव बल्कि आगामी समय में होने वाले अन्य चुनावों में पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है। इसलिये बेहतर है कि कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या पर एक बार पुनः विचार करें और नये स्तर से कार्यकरिणी तैयार कर अनुभवी नेताओं को प्रमुख जिम्मेदारी सौंपने की पहल करें।

अनुभवी कमलनाथ उठाते हैं जनता से जुड़े मुद्दे—
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही पिछले 10 महीनों से प्रदेश की सक्रिय राजनीति से दूर हैं लेकिन जनता के दिलों में वे आज भी बसते हैं। छिंदवाड़ा भले ही उनसे भाजपा ने छल-बल से छीन लिया हो लेकिन छिंदवाड़ा की जनता आज भी उन्हें अपना भगवान मानती हैं और उनसे प्रेम करती है। यही कारण है कि समय मिलते ही कमलनाथ सीधे छिंदवाड़ा पहुंचते हैं और जनता के बीच जाकर उनकी परेशानियों को हल करने का काम करते हैं। पिछले दिनों कमलनाथ ने अपने का ट्वीट में लिखा कि लाड़ली बहना योजना में नए हितग्राही नहीं जोड़े जा रहे। लाड़ली बहना योजना में नए हितग्राहियों को जोड़ने का श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा काम शून्य है। पुराने हितग्राहियों की छटनी तेजी से जारी है। जनता को मिलने वाली विभिन्न वित्तीय सहायताओं को रोककर केवल एक योजना में राशि जारी करना भोली-भाली जनता से इस शातिर सरकार की बजाय ठगी है। परिवार के हर सदस्य की जेब काटना और फिर लूट के उसी का एक छटा सा हिस्सा जनता को लौटाकर वाहवाही लूटना इस सरकार की आदत बन चुकी है।

कमलनाथ कांग्रेस के सच्‍चे सिपाही बनकर काम कर रहे हैं—
मध्‍यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ आज भले ही कोई प्रमुख भूमिका में न हों लेकिन आज वो कांग्रेस के एक सच्‍चे और ईमानदार सिपाही की तरह अपनी भूमिका निभा रहे हैं। पद और लालसा के बगैर सच्‍चे मन से पार्टी का हित चाह रहे हैं। एक अच्‍छे राजनेता का परिचय देते हुए किसी भी प्रकार का विवादास्‍पद बयान नहीं देते हैं। जिससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़े। जो कोई भी बयान देते हैं वह बहुत ही सटीक और सारगर्भित होते हैं। यही वजह है कि सरकार और पार्टी में उनके बयानों का काफी तवज्‍जों दी जाती है। खुद सरकार भी उनके बयानों से सकते में आ जाती है। कमलनाथ की शैली की विपक्षी पार्टी भी तारीफ करती है। मैं जानती हूं कि बीजेपी के ऐसे कई नेता हैं जो कमलनाथ की तारीफ करते हैं। यदि कांग्रेस को प्रदेश में आगे बढ़ना है तो कमलनाथ जैसे नेताओं की बहुत जरूरत है जो खुद की नहीं बल्कि पार्टी का हित चाहते हैं।

लक्ष्मण सिंह ने नई कार्यकारिणी पर उठाए सवाल—
मध्यप्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई और पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह ने जीतू पटवारी की टीम पर सवाल उठाए हैं। लक्ष्मण सिंह ने एक वीडियो जारी कर कहा कि कमरे में बैठकर कार्यकारिणी बनाई गई है इसमें कई कार्यकर्ताओं को इसमें जगह नहीं दी गई है। आपको बता दें कि नई प्रदेश कार्यकारिणी में ऐसे कई नेता हैं जिन्‍होंने कार्यकारिणी का विरोध किया है। इंदौर के एक नेता ने जिला अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा दे दिया है।

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