बुंदेलखंड की ‘अयोध्या’ में राजा राम की सरकार

ऑपरेशन टाईम्स ओरछा।। ऐतिहासिक शहर ओरछा बेतवा नदी के तट पर बसा है। भारत के हृदय में बसा ये शहर इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का खजाना है। यह भव्य महलों और नक्काशीदार मंदिरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे महलों का शहर भी कहा जाता है। ओरछा का शाब्दिक अर्थ है ‘छिपी हुई जगह’ और यह अपने नाम के अनुरूप ही है। यहां के खूबसूरत स्मारक, सुंदर महल और सम्राटों के बीच युद्धों की कहानियों को उजागर करने वाला ओरछा अपने आप में समृद्ध है। ओरछा के महल और मंदिरों की मध्ययुगीन वास्तुकला, पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। बुंदेलखंड की ‘अयोध्या’ कही जाने वाली ओरछा नगरी में साल भर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। यूं तो बुंदेला राजाओं ने इसे अपनी राजधानी के तौर पर बसाया था। लेकिन वर्तमान में इसे राजा राम की नगरी के रूप में जाना जाता है। यहां एक तरफ राजशाही दौर में तैयार ऐतिहासिक इमारतें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, दूसरी तरफ नैसर्गिक सौंदर्य लोगों के मन में बस जाता है। किंवदंती है कि माता जानकी के साथ साक्षात विराजे भगवान श्रीराम हर दिन अपना दरबार सजाकर भक्तों की सुनवाई करते हैं। यही वजह है कि ओरछा में विराजे श्रीराम को राजा राम के रूप में पूजा जाता है। आज भी ओरछा की चारदीवारी में किसी भी वीवीआईपी को सलामी नहीं दी जाती है। यहां पर श्रीराम राजा सरकार ही चलती है। राम राजा सरकार की चारपहर आरती होती और उन्हें सशस्त्र सलामी भी दी जाती है। अयोध्या ही नहीं ओरछा की धड़कनों में भी राम बसे हैं। रामजी का ओरछा आगमन 16 वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मकुरशाह की महारानी कुंवरी गणेश अयोध्या से रामलला को ओरछा ले आई थी। कहां जाता है कि ओरछा के शासक मकुर शाह कृष्ण भक्त थे। जबकि, उनकी महारानी कुंवरी राम उपासक। इस बात को लेकर दोनों में अक्सर विवाद होता रहता था। एक बार महाराज मकुर शाह ने महारानी से वृंदावन जाने का आग्रह किया तो महारानी ने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तब राजा ने उनसे व्यंग्य करके कहा कि अगर तुम्हारे राम सच में हैं, तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ! इस पर महारानी कुंवरी अयोध्या के लिए रवाना हो गई। अयोध्या में महारानी कुंवरी ने 21 दिनों तक कठोर तपस्या की। लेकिन, जब उनके आराध्य प्रभु राम प्रकट नहीं हुए तो उन्होंने सरयू नदी में छलांग लगा दी। पौराणिक आख्यान है कि महारानी की भक्ति देखकर भगवान राम जल में ही प्रकट हो गए। महारानी ने भगवान राम से ओरछा चलने के लिए निवेदन किया। बताते हैं इस पर प्रभु ने ओरछा चलने के लिए तीन शर्तें रखीं। पहली शर्त यह थी कि मैं जिस जगह पर बैठ जाऊंगा वही विराजमान हो जाऊंगा। दूसरी शर्त यह कि ओरछा के राजा के रूप में विराजित होने के बाद किसी और की सत्ता नहीं रहेगी। तीसरी शर्त थी कि उन्हें बाल रूप में पैदल संतों के साथ ले जाना होगा। महारानी ने यह तीनों शर्तों सहर्ष स्वीकार कर ली। कहा जाता है कि तभी से भगवान राम ओरछा के राजा के रूप में विराजमान हो गए। ओरछा में भगवान राम को लेकर एक दोहा आज भी प्रसिद्ध है कि राजाराम सरकार के दो निवास, खास दिवस ओरछा रहता है रैन अयोध्या वास। ओरछा के केंद्र में भव्य राम राजा मंदिर है, जो भक्ति और आस्था का प्रतीक है। 16वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर की अद्भुत विशेषता है। इस मंदिर की वास्तुकला में हिंदू और इस्लामी शैलियों का मिश्रण है, जो बुंदेला शासकों के शासनकाल के दौरान प्रचलित सांस्कृतिक समन्वय को दर्शाती है।