
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में एक किसान ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर खुद की जमीन पाने के लिए न्याय की गुहार लगाई है। न्याय ना मिलने के बाद किसान ने इच्छा मृत्यु की मांग जाहिर की है। दरअसल यह पूरा मामला जमीनी विवाद का बताया जा रहा है। जो डेढ़ एकड़ जमीन का पूरा विवाद है। आरोप है कि देवसर भाजपा विधायक राजेंद्र मेंश्राम के द्वारा अपने दोनों बच्चे सरल एवं विरल के नाम से 10,10 डिसमिल जमीन करवा दिया गया है जबकि 1960 से लेकर अब तक पीड़ित किसान प्रभात तिवारी का उस जमीन पर लगातार कब्जा एवं पुस्तैनी निवास है। पूरा मामला सिंगरौली जिले के बरगवां इलाके के बरहवाटोला का है। जहां बताया जा रहा है कि 1960 से लेकर अब तक प्रभात तिवारी एवं शंकर लाल तिवारी का लगातार कब्जा रहा है। अभी तात्कालिक तौर पर सुनियोजित तरीके से देवसर भाजपा विधायक राजेंद्र मिश्राम अपने दोनों बच्चे सरल एवं विरल के नाम से रकवा नंबर 4 की जमीन मनोज अग्रवाल से खरीद कर 35 डिसमिल जमीन को अपने दोनों बच्चों के नाम करवाया है और अब विधायक द्वारा पीड़ित किसान प्रभात तिवारी की जमीन पर जबरन राजनीतिक दबाव बनाते हुए कब्जा कर रहे हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद राजस्व की टीम मौके पर पहुंची और स्थानीय पुलिस एवं राजस्व के दबाव पर विधायक के प्रति सारी कार्रवाई की गई। लिहाजा पीड़ितों का आरोप है कि उनकी जमा पूंजी की कमाई यह जो जमीन है डेढ़ एकड़ एवं 35 डिसमिल का कब्जा विधायक द्वारा कर लिया गया है। जिसकी कीमत तकरीबन इस समय पर 6 करोड रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। अगर अब यह जमीन पीड़ित किसान को नहीं मिलता है। तो वह तहसील में जाकर पेट्रोल डालकर पूरे परिवार सहित आत्महत्या करेंगे। वहीं मौके पर मौजूद भूतपूर्व सरपंच एवं ग्रामीणों से बात की गई तो वहां के स्थानीय भी बताते हैं कि बीते कई वर्षों से प्रभात तिवारी एवं शंकर लाल तिवारी का ही उस जमीन पर कब्जा था और वह उनकी पुस्तैनी जमीन थी। वहीं इस पूरे मामले पर जब देवसर विधानसभा के भाजपा विधायक राजेंद्र मिश्राम से बात की गई तो देवसर विधानसभा के भाजपा विधायक राजेंद्र मिश्राम ने बताया कि वह जमीन मनोज अग्रवाल से रकबा नंबर 4 की खरीदे हुए हैं और वह अपने रकवा नंबर 4 पर काबिज है जबकि प्रभात तिवारी की जमीन रकवा नंबर 112 में है। हालांकि इस पूरे मामले पर जब जिला कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला से बात की गई तो कलेक्टर का कहना है कि वह किसी भी विवाद पर जनप्रतिनिधि के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलेंगे। पीड़ित परिवार के द्वारा आवेदन दिया गया है। तो मैं तहसीलदार को बोलकर सही तरीके से जमीन की नापी कर दोनों पक्षों को संतुष्ट किए जाने का निर्देश जारी करूंगा।