वो कुंभ मेला, जिसमें 800 लोगों की हुई थी मौत, मच गई थी भगदड़

प्रयागराज एजेंसी।। साल 1954 में आयोजित कुंभ मेले में भारत की सबसे बड़ी भगदड़ घटना हुई थी। यह कुंभ दो वजहों से खास है। पहला आजाद भारत का सबसे पहला कुंभ होने की वजह से और दूसरा त्रासदी होने की वजह से। भारत 1947 में आजाद हुआ था। आजाद भारत का पहला कुंभ साल 1954 में आयोजित किया गया था। 1954 का कुंभ मेला भारत के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी, लेकिन इसे एक त्रासदी के रूप में भी याद किया जाता है। इस कुंभ में भगदड़ मचने से 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
कब हुआ था हादसा—?
कुंभ मेले की यह त्रासदी 3 फरवरी 1954 को इलाहाबाद में हुई थी। मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े थे। यहां श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई, जिसकी वजह से लोग नदी में डूबकर या तो कुचलकर मर गए।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस भगदड़ घटना में 350 लोगों की मौत हुई। वहीं, The Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक 800 लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे। अब आप ये सोच रहे होंगे कि मेले में अचानक ऐसा क्या हुआ था कि श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। आइए जानते हैं…
कैसे हुआ था हादसा—?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू संगम क्षेत्र में आए थे। उसी दिन संगम क्षेत्र में एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण हादसा हुआ था। तभी से कुंभ में हाथी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। सिर्फ इतना ही नहीं, देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ही कुम्भ के प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसी वजह से आज भी कुम्भ, महाकुम्भ, अर्द्धकुम्भ के बड़े स्नान पर्वों के दिन वीआईपी के जाने पर रोक है। 1954 के बाद साल 2013 के कुंभ मेले में भी भगदड़ हो गई थी। प्रयागराज में आयोजित अर्धकुंभ मेले के दौरान, 10 फरवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर, रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी!,जिसमें 36 लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए थे।