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राहुल गांधी का सदन में ऐतिहासिक भाषण

नई दिल्ली एजेंसी।। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार 3 फरवरी को सदन में एक ऐतिहासिक भाषण दिया। जिसमें आधुनिक विश्व में भारत को आगे ले जाने का पूरा खाका उन्होंने खींच दिया। लगभग पौन घंटे के भाषण में राहुल गांधी ने एक साथ कई पहलुओं को छुआ। विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता, चीनी वस्तुओं पर निर्भरता कम करना, इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, ऑप्टिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी भविष्य की तकनीकों को अपनाना, मेक इन इंडिया कार्यक्रम की कमियों को दूर करना और इसके साथ लोकतंत्र और संविधान को मजबूत करने के उपाय सब कुछ राहुल गांधी के भाषण में समाहित था। संसद के पिछले कई सत्रों में राहुल गांधी को आक्रामकता के साथ भाषण देते देखा गया है। खास कर नेता प्रतिपक्ष बनने या उससे पहले पिछली सरकार में जब उनकी संसद सदस्यता फिर से बहाल हुई थी। तब अडानी, हिंदुत्व, संविधान और लोकतंत्र पर हो रहे हमले, जातिगत जनगणना ऐसे कई मुद्दों पर राहुल गांधी तीखे तेवर के साथ भाषण देते थे। उनके भाषण अक्सर हिंदी में होते थे। जिसमें सत्तापक्ष काफी टोका-टाकी और व्यवधान डालने की कोशिश करता था। लेकिन इस बजट सत्र में राहुल गांधी का एकदम अलग अंदाज नजर आया। उन्होंने न अपनी आवाज ऊंची की न वे कहीं विचलित होते हुए दिखे। राहुल गांधी ने भाषण की शुरुआत में ही अपना चुटीला अंदाज भी दिखाया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने जब उनका नाम लिया। लेकिन कैमरे में नेता प्रतिपक्ष नजर नहीं आए तो उन्होंने थोड़ा रुककर इंतजार किया कि कैमरा उनकी तरफ घूमे और जब कैमरा उनकी तरफ आया तो उन्होंने ओम बिड़ला और कैमरा को मुस्कुराते हुए डबल थैंक्यू कहा, इस तरह राहुल गांधी ने दिखा दिया कि अब उन्हें उपेक्षित करने की मोदी सरकार की कोशिश कामयाब नहीं होगी। अपने पूरे संबोधन में राहुल गांधी ने अपनी बात कहने के लिए एक स्पष्ट रणनीति, एक सधी हुई भाषा-शैली और एक परिपक्व सोच का परिचय दिया। सरकार पर हमला या हल्ला बोलने की जगह इस बार उन्होंने सरकार की कमियां दिखाई, और उन्हें दूर करने ठोस व रचनात्मक सुझाव भी दे दिए। नेता प्रतिपक्ष ने डेटा, उत्पादन और एआई समेत कई मुद्दों पर केंद्र सरकार से कहा कि आपको डेटा पर काम करना चाहिए। हमारे पास प्रोडक्शन (उत्पादन) और कंजप्शन (खपत) तक किसी का भी डेटा नहीं है। अगर हमारे पास डेटा होता तो हमारे विदेश मंत्री को प्रधानमंत्री के निमंत्रण के लिए तीन बार अमेरिका नहीं जाना पड़ता। उनके इस बयान पर संसदीय कार्यमंत्री ने फौरन ऐतराज जताया, विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस बात के लिए राहुल गांधी की निंदा कर रहे हैं। हालाकि राहुल गांधी से पहले निमंत्रण का मुद्दा सुब्रमण्यम स्वामी उठाते रहे हैं, लेकिन भाजपा ने उन्हें कभी कुछ नहीं कहा। जहां तक राहुल गांधी के बयान का सवाल है, तो यह उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि अगर आज भारत तकनीकी तौर पर चीन जितना सक्षम होता तो अमेरिका के आगे कमजोर महसूस नहीं करना पड़ता।

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