
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। ऊर्जाधानी के नाम से सम्पूर्ण देश में विख्यात सिंगरौली अब व्यापक भ्रस्टाचार के लिए चर्चित होती जा रही है। गत सप्ताह महिला बाल विकास विभाग सिंगरौली में 5 करोड़ के हुए बर्तन घोटाले की खबर व उसके बाद ईओडब्लू की छापमार कार्यवाही की चर्चा पर अभी विराम भी नही लगा कि वहीं अब प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े नगर पालिक निगम सिंगरौली में पूर्व आयुक्त व उपायुक्त (वित्त) पर नगर निगम अधिनियम की धज्जिया उड़ा कर हुए साढ़े छः करोड़ की दो एफडीआर तोड़ कर घोटाला किये जाने का आरोप लग रहा है। एफडीआर की राशि किस मद में खर्च की हुई है। इसका कोई हिसाब नही मिलने से पूर्व आयुक्त व उपायुक्त (वित्त) के सामूहिक भ्रस्टाचार का मुद्दा गत माह परिषद की बैठक में महापौर सहित 10 मेयर इन काऊंसिल सदस्य व 24 पार्षदो ने ना केवल उठाया था बल्कि दोनों अधिकारियो से 18 प्रतिशत ब्याज की दर से राशि वसूली कराये जाने की मांग वर्तमान आयुक्त से की है। महापौर व पार्षदों के इस खुलासे के बाद ननि में एफडीआर घोटाले की जन चर्चा होने लगी है। जानकारी के अनुसार नगर पालिक निगम सिंगरौली के पूर्व आयुक्त सतेंद्र सिंह धाकरे व उपायुक्त (वित्त ) सत्यम मिश्रा द्वारा म. प्र. नगर पालिक निगम (वित्त एवं लेखा) नियम 2018 के नियम 251 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उल्लंघन कर महापौर/मेयर इन काऊंसिल / नगर परिषद (जन प्रतिनिधियों) से बगैर स्वीकृति प्राप्त एफडीआर क्रमांक kc 254409 राशि 2 करोड़ 50 लाख दिनांक 08/08/2022 व एफडीआर क्रमांक 610590 राशि 4 करोड़ 50 लाख को दिनांक 11/10/2023 को तोड़ा दिया गया। पूर्व आयुक्त श्री धाकरे व उपायुक्त श्री मिश्रा के पास राशि को किस मद में खर्च किया गया है। इसका कोई हिसाब नही है और ना ही दोनों के पास महापौर, मेयर इन काऊंसिल व निगम परिषद के स्वीकृति आदेश का कोई रिकार्ड है। नगर पालिक निगम सिंगरौली में जनता के पैसे का किस तरह से दुरूपयोग हो रहा है। इसका सहज़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूर्व आयुक्त व उपायुक्त ने जनप्रतिनिधियों के बगैर अनुमति के साढ़े छः करोड़ की राशि की एफडीआर तोड़ कर निकाल लिए और किसी को हवा तक नही लगा। इतना ही नही नगर पालिक निगम में उक्त राशि को किस मद में खर्च किया गया है। इसका कोई रिकार्ड भी नही है। आयुक्त व उपायुक्त पर एफडीआर घोटाला का आरोप महापौर, मेयर इन काऊंसिल सदस्य व पार्षदों ने सामूहिक रूप से लगाया है।महापौर व मेयर इन काऊंसिल ने हिसाब नही मिलने पर 18 प्रतिशत ब्याज के दर से वसूली की मांग की। गौरतलब हो कि नगर निगम सिंगरौली में इतनी बड़ी राशि की एफडीआर तोड़ कर पूर्व आयुक्त द्वारा किये गया एफडीआर घोटाला सामने आया। उसके बाद महापौर रानी अग्रवाल सहित 10 मेयर इन काऊंसिल व 24 पार्षद ने राशि को 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूली कराने निगमायुक्त से मांग की है। महापौर व मेयर इन काऊंसिल के अनुसार पूर्व आयुक्त व वर्तमान उपायुक्त (वित्त) नगर पालिक निगम सिंगरौली (मूल विभाग संचालनालय कोष एवं लेखा मप्र भोपाल) द्वारा म. प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 एवं वित्त लेखा नियम 2018 के नियम विरुद्ध एफडीआर तोड़े जाने से म प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 60 (2- iv अनुसार उपेक्षा या आदेशों के उल्लंघन द्वारा निगम पहुंची किसी भी आर्थिक हानि की सम्पूर्णतः या अंशतः वेतन में वसूली करना) एवं म. प्र. नगर पालिक निगम (अधिकारियो/ सेवको) नियम 2000 के नियम 13 सहपठित म. प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1956 के नियम 1956 के तहत राशि रुपये 6 करोड़ 50 लाख मात्र शास्ती आरोपित करते हुए समनुपातिक रूप से प्रत्येक अधिकारी से राशि 3 करोड़ 25 लाख 18 प्रतिशत वार्षिक मयब्याज राशि वसूली की जानी चाहिए। मेयर इन काऊंसिल द्वारा सर्व सम्मति से इसका निर्णय लेकर आयुक्त से नियमानुसार कार्यवाही की मांग की है।
खाता निर्धारण का अधिकार आयुक्त को, खर्च की नही दे सकते जानकारीः आयुक्त—
साढ़े छः करोड़ के एफडीआर तोड़ने के मामले में वर्तमान आयुक्त डीके शर्मा ने कहा कि इसमें जाँच कराने जैसा कोई विषय नही है। एफडीआर राशि में कोई अनियमितता नही है। दूसरा वित्तीय मामले की जानकारी हम साझा नही कर सकते और ना ही यह सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में ही आता है। श्री शर्मा के अनुसार महापौर, मेयर इन काऊंसिल व निगम परिषद को भले ही आयुक्त से अधिक राशि स्वीकृति का अधिकार है लेकिन खाता संधारण का पूरा अधिकार आयुक्त के पास है।।