
ऑपरेशन टाईम्स रीवा।। लोकायुक्त कार्यालय में लगी भीषण आग फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोकायुक्त कार्यालय में भयंकर आग लग गई जिसके कारण पुराने दस्तावेज जलकर राख हो गए हैं। सिविल लाइन थाना प्रभारी कमलेश साहू द्वारा बताया गया कि फायर ब्रिगेड द्वारा आग पर काबू पा लिया गया है। इसकी जानकारी नहीं है। क्या क्या नुकसान हुआ। ये जांच के दौरान पता चलेगा। शिल्पी प्लाजा बिल्डिंग में आग पर नियंत्रण के लिए जो सुरक्षा व्यवस्था होना चाहिए वह नहीं है। जिसकी वजह से यहां पर व्यापार करने वाले लोगों के मन में दहशत का माहौल बना हुआ है। शहर का शिल्पी प्लाजा मार्केट जिसका निर्माण दो ब्लाकों में हुआ है। शहर ही नहीं यह विंध्य क्षेत्र का सबसे आकर्षक मार्केट है। यहां पर आग से बचने के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम लगाए गए थे। जब से यह बना है। उसके बाद से एक बार भी माकड्रिल नहीं की गई है। धीरे-धीरे सिस्टम में लगाए गए उपकरण चोरी होते गए और अब वह कबाड़ हो चले हैं। यदि आज की तरह कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो बचाव के लिए कोई खास इंतजाम यहां पर नहीं है। नगर निगम के फायर ब्रिगेड पर ही निर्भर रहना होगा। जबकि निगम के पास भी कोई आधुनिक संसाधन वाले फायर ब्रिगेड नहीं हैं। कई बड़े शहरों में हुई आगजनी की घटना ने यहां के लोगों को भी झकझोर दिया है। इन्हें भी खतरे की आशंका लगने लगी है। पूर्व में विंध्य सत्ता समाचार पत्र की टीम ने शिल्पी प्लाजा के फायर फाइटिंग सिस्टम की पड़ताल की तो पता चला था कि यह केवल औपचारिकता तक सीमित रह गया है। पूरी तरह से अब यह कबाड़ के लायक बचा है। चोरों की नजर इस पर है। अधिकांश प्रमुख उपकरण चोरी हो चुके हैं। वहीं व्यापारियों ने बताया कि उनके मन में भी दहशत का भाव है कि यदि अचानक कोई हादसा हुआ तो कैसे बचेंगे। पूर्व में यहां आगजनी की घटनाएं होती रही हैं। इसलिए चिंता बढने लगी है।
आपातकालीन सीढियां बंद—
किसी भी आपदा से बचाने के लिए भवन में आपातकालीन सीढियां भी बनाई गई थी। यह बंद कर दी गई हैं। सीढियों में कचरे का ढेर जमा है और गेट भी वर्षों से बंद हैं। साथ ही अनाधिकृत रूप से कब्जा भी है। जिससे जरूरत पडने पर इन सीढियों का उपयोग नहीं किया जा सकता।
पांच प्रतिशत राशि जमा कराई गई थी—
प्रशासन की ओर से तैयार कराए गए इस शापिंग काम्पलेक्स में दुकानों का आवंटन करने के दौरान पांच प्रतिशत अतिरिक्त राशि सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर जमा कराईगई थी। दुकान लेने वालों ने कलेक्टर के नाम पर डीडी जमा की थी। यह राशि अब भी कलेक्टर के खाते में जमा है। इससे व्यापारियों को कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।
नियमित बैठकें नहीं करता प्रशासन—
शिल्पी प्लाजा मार्केट लोकार्पण के समय कहा गया था कि व्यवस्थाओं को लेकर व्यापारियों के साथ प्रशासन नियमित बैठकें करेगा। कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को नियमित भ्रमण करने का भी प्रावधान किया गया था। इस मार्केट की व्यवस्था को लेकर बीते तीन वर्षों से कोई भी प्रयास जिला प्रशासन की ओर से नहीं की गई है।
इनका कहना है —
इस पर पूर्व हुजूर एसडीएम विकास सिंह ने कहा था कि आगजनी की घटनाओं को लेकर प्रशासन सतर्कता बरत रहा है, जल्द ही बैठक बुलाकर संयुक्त रणनीति तैयार की जाएगी। लेकिन मामला ढाक के तीन पात ही निकला था। आज तक किसी भी तरह की कोई भी व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं बनाई गई।
शंकर सहानी, सचिव व्यापारी संगठन
इनका कहना है —
मेरी बी-ब्लाक में मोबाइल की दुकान है, फायर फाइटिंग सिस्टम खराब है। आज की घटना के बाद से हम सब के मन में दहशत है। यदि कोई बड़ा हादसा होता है तो यहां कोई बचाव के इंतजाम नहीं हैं। शहर में भी ऐसी व्यवस्था नहीं, जिससे राहत पहुंचाई जा सके।
अफजल खान, व्यवसाई
इनका कहना है —
सुविधाएं तो फायर सिस्टम की दी गई थी लेकिन उन्हें देखने का समय प्रशासन के पास नहीं है। काम्पलेक्स में कोई दुर्घटना होती है तो बचाव कर पाना मुश्किल होगा। हम सब मौत केवल मुहाने पर हैं, प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
विजय मांडव, व्यवसाई
फायर सिस्टम शिल्पी प्लाजा का शो पीस बनकर रह गया है। जब सूरत की घटना हुई थी, तब से हम सभी को चिंता सताने लगी है। हमारी मांग प्रशासन से है कि कभी यहां आकर हमारी समस्याओं को भी देखा करें, ताकि कोई हादसा होने से पहले ही बचा जा सके।