
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। राज्य सूचना आयोग ने सिंगरौली डायट प्राचार्य और तत्कालीन डीईओ रोहिणी प्रसाद पांडेय को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत सुनवाई के लिए तलब किया है। मामला आरटीआई आवेदन पर गलत जानकारी देने से जुड़ा है। आवेदक राघवेंद्र कुमार द्विवेदी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 9 अगस्त 2021 को आवेदन देकर 25 मार्च 2021 को संभागायुक्त कार्यालय में प्रस्तुत शिकायत पत्र पर की गई कार्यवाही से संबंधित जानकारी मांगी थी। संभागायुक्त कार्यालय ने आरटीआई आवेदन को कलेक्टर को भेज दिया था। आरटीआई के माध्यम से डीपीएस विंध्यनगर में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की शिकायत करते हुए जानकारी चाही गई थी। संभागायुक्त कार्यालय से आवेदन मिलने के बाद कलेक्टर ने उसे डीईओ को भेज दिया था। आवेदक का कहना है कि डीईओ ने 30 सितंबर 2021 को दिए पत्र में भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई। उन्होंने प्रस्तुत शिकायत पर अपने स्तर से की गई कार्यवाही की जगह अन्य किसी व्यक्ति की शिकायत पर की गई कार्यवाही की जानकारी दी थी।
29 अप्रैल को पेशी—-
आरटीआई आवेदन में मांगी जानकारी न मिलने पर आवेदक ने संभागायुक्त के यहां प्रथम अपील की। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने 13 अक्टूबर 2021 को जारी आदेश में कहा कि उनके कार्यालय में जानकारी न उपलब्ध होने के कारण प्रथम अपील निरस्त की गई है। ऐसे में आवेदक ने जानकारी दिलाने एवं लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने का अनुरोध किया था। राज्य सूचना आयुक्त ओंकार नाथ ने गत 25 फरवरी को इस प्रकरण में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं वर्तमान में जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान सिंगरौली के प्राचार्य रोहिणी प्रसाद पांडेय की व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि 29 अप्रैल को सुबह 11 बजे तय कर उन्हें तलब किया है।
आरटीआई की धारा 7 का किया उल्लंघन—-
राज्य सूचना आयुक्त ने नोटिस में कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा 29 सितंबर 2021 को अपने पत्र के माध्यम से भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई है। इस प्रकार उन्होंने अधिनियम की धारा सात का उल्लंघन किया है। यह कृत्य अधिनियम की धारा 20 के तहत कार्यवाही के योग्य है। ऐसे में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी रोहिणी प्रसाद पांडेय, वर्तमान प्राचार्य जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान सिंगरौली को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 (1) के तहत अधिकतम 25000 रुपये का जुर्माना अधिरोपित करने व धारा 20 (2) के अंतर्गत अनुशासनात्मक की अनुशंसा करने के लिए कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया जाए।