
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।।निजी स्कूलों की फीस व किताबों के चयन में मनमानी रोकने के लिए गत दिनों कलेक्टर ने टीम गठित कर निरीक्षण का निर्देश दिया था। जिसने कई स्कूलों की जांच की और विसंगतियां पकड़ी थीं। इसके बाद उम्मीद जगी थी कि बुक्स की मोनोपोली पर लगाम लगेगी लेकिन डीपीएस निगाही में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने कलेक्टर व डीईओ को जो शिकायती पत्र दिया है वह कह रहे है कि अब भी सब नियमों के तहत नहीं हो रहा है। खासकर किताबों के मामले में। कलेक्टर व डीईओ को दिए आवेदन में दर्जनभर से ज्यादा अभिभावकों ने कहा है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल निगाही द्वारा जिन पुस्तकों के पब्लिकेशन का चयन किया गया है वे बहुत महंगी हैं। छोटे बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए वे बहुत भारी हैं। ज्यादा पेज होने से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। बाल वाटिका 1 (नर्सरी) के लिए अन्य स्कूलों में किसी प्रकार की पुस्तक नहीं चलाई जाती। यदि कोई स्कूल बुक्स चला रहा है तो वे बहुत सस्ती हैं। वहीं डीपीएस निगाही की बाल वाटिका 1 की पुस्तकें 2800 से लेकर 3200 रुपये में मिलती हैं। उनका वजन भी साढ़े तीन किलोग्राम से ज्यादा है और बच्चों के लिए भारी हैं। पुस्तकों के साथ बच्चों को टिफिन, पानी की बॉटल भी ले जानी होती है। स्कूल में स्मार्ट क्लास के लिए बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हुई है। जिसकी अलग से फीस अभिभावकों से ली जाती है। इसके बाद भी पुस्तकें खरीदने कहा जाता है।
एनसीईआरटी के साथ निजी प्रकाशकों की किताबें भी जारी—
वहीं सभी कक्षाओं में डीपीएस स्कूल ने एनसीईआरटी के साथ निजी प्रकाशकों की किताबों का निर्धारण किया है, जिससे बच्चों पर अत्यधिक भार पड़ रहा है और अभिभावकों को भी ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। अनावश्यक पुस्तकों से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में निवेदन है कि केंद्र व राज्य सरकार ने जो मापदंड बनाए हैं उसी के अनुसार एनसीईआरटी या एनसीईआरटी के मूल्य वाली पुस्तकें चलाई जाएं। जिन अभिभावकों ने महंगी किताबें खरीदी हैं उनके पैसे वापस कराने की भी गुहार लगाई गई है। शिकायती पत्र देने वालों में विजय सिंह परमार, बीके मिश्रा, डीएन महतो, एमएम श्लोक, संतोष महतो, धर्मेंद्र सिंह, जे. सिंह, कमलेश कुमार, संतोष पांडेय एवं अशोक सिंह आदि लोग हैं।