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जिले की सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहीं बिना परमिट व फिटनेस की बसें

भोपाल की घटना के बाद नींद से जागे परिवहन अमले ने शुरु की कार्रवाई

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जिले की सड़कों पर धड़ल्ले से बगैर परमिट फिटनेस के यात्री और स्कूल बसें दौड़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसी खटारा बसें यात्रियों की जान को जोखिम में डालकर सड़कों पर दौड़ रही हैं जो शायद ऑफ रोड हो चुकी हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। ये बात अलग है कि प्रदेश में जब कोई बड़ी घटना हो जाती है और संबंधित परिवहन विभाग के अमले पर शासन द्वारा कार्रवाई किये जाने के बाद हर जिले का परिवहन अमला सक्रिय हो जाता है और जांच अभियान चलाकर बगैर परमिट, फिटनेस, बीमा के चलने वाली बसों और अन्य वाहनों को निशाने पर लेता है। नियमों को दरकिनार कर चलने बाली यात्री बसें और अन्य वाहनों की नियमित रुप से जांच की जाये तो शायद हादसों की नौबत न आये।

ग्रामीण क्षेत्रों में दौड़ रहे कंडम वाहन—
शहरी क्षेत्र में तो परिवहन और यातायात पुलिस द्वारा वाहनों की जांच की जाती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अमला नहीं जाता है जबकि बगैर परमिट, फिटनेस, बीमा विहीन ज्यादातर यात्री और लोडिंग वाहन ग्रामीण क्षेत्रों में ही चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पिकअप और लोडिंग वाहनों में यात्री ढ़ोये जाते हैं। कई ऐसे कंडम वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं जिनका न तो बीमा हो सकता है न ही परिमट मिल सकता है। उनकी स्थिति भी चलने लायक नहीं है। उसके बाद भी धड़ल्ले से सड़कों पर वाहन दौड़ रहे हैं।

एक साल में 51 बसों को किया गया ऑफ रोड—
जिला परिहवन विभाग का दावा है कि जिले में कंडम और खटारा बसों को नहीं चलने दिया जा रहा है। दावा है कि पिछले एक साल के दौरान 51 खटारा और कंडम बसों को ऑफ रोड किया जा चुका है। ऑफ रोड की गई ज्यादातर बसों की समय अवधि समाप्त हो चुकी थी, उसके बाद भी सड़कों पर चलते मिली थीं, जिनको अब पूरी तरह से ऑफ रोड कर दिया गया है। वहीं बिना परमिट के चलते मिली 26 बसों पर कार्रवाई कर 9 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल किया गया है।

जिले में 5 सौ बसें हैं पंजीकृत—
जिले में स्कूल और यात्री बसों को मिलाकर परिवहन विभाग में 5 सौ बसें पंजीकृत है। जिसमें दो सौ बसें स्कूल, दो सौ यात्री और सौ बसें कंपनियों की हैं। जो जिले की सड़कों पर दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नई बसें आने पर 8 साल तक दो साल में फिटनेस प्रमाण-पत्र लेना होता है। 8 साल के बाद प्रति वर्ष बसों को फिटनेस करवाना अनिवार्य है। बगैर फिटनेस प्रमाण-पत्र के जो बसें सड़क पर चलती मिलती हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

भोपाल हादसे के बाद की जा रही जांच—
भोपाल में हुए हादसे के बाद एक बार फिर से जिले का परिवहन अमला और यातायात पुलिस सक्रिय हो गई है। पिछले चार दिनों से परिवहन और यातायात पुलिस द्वारा संयुक्त रुप से चेकिंग अभियान चलाकर बगैर परमिट, फिटनेस, बीमा, ओवरलोड चल रहे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। गुरुवार को जिला परिवहन अधिकरी विक्रम सिंह राठौर और यातायात थाना प्रभारी दिपेंद्र सिंह द्वारा अलग-अलग जगहों पर चेकिंग लगाकर बिना परमिट के चलते मिली दो बसों को जब्त किया है।

फैक्ट फाइल—

(1) जिले में 2 सौ यात्री बसें हैं पंजीकृत।

(2) दौ सौ स्कूल बसें और सौ कंपनियों की बसें पंजीकृत हैं।

(3) एक साल में 51 बसों को ऑफ रोड किया गया।

(4) बिना परमिट के चल रही 26 बसों पर कार्रवाई की।

इनका कहना है—
हमारी पूरी कोशिश रहती है कि जिले की सड़कों में बगैर परमिट, फिटनेस, बीमा के कोई भी वाहन न चले। पिछले चार दिनों के दौरान आधा दर्जन से अधिक यात्री बसों पर कार्रवाई की गई है। आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। पिछले एक साल के दौरान 51 से अधिक यात्री बसों को ऑफ रोड करने की कार्रवाई की गई है।
विक्रम सिंह राठौर, आरटीओ सिंगरौली

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