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मोरवा विस्थापन को लेकर 18 मई को मोरवा में होगी विशाल आमसभा

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जिले के मोरवा में बरसों से शासकीय, वन अथवा अनुबंध की भूमि पर अपने आशियाने बनाकर जीवन गुजार रहे निवासियों का हृदय हृष्टरुकी विस्थापन प्रक्रिया से क्षुब्ध है। यह विडंबना ही है कि पट्टेदार बंधुओं के साथ-साथ इन भूमिहीन परिवारों को भी बेघर होने की त्रासदी झेलनी पड़ रही है। ऐसे में, उनके साथ दोहरे मापदंड अपनाने का तर्क समझ से परे है। इन सीमांतवासियों की वेदना अब एक हुंकार का रूप ले रही है। अपनी न्यायोचित मांगों को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए, सिंगरौली के ये नागरिक 18 मई 2025 की संध्या 4 बजे बस स्टैंड मोरवा में एक विशाल चेतावनी सभा आयोजित करने जा रहे हैं। आदरणीय पूर्व विधायक श्री रामलल्लू जी वैश्य के नेतृत्व में होने वाली यह सभा उनकी आवाज को बुलंद करेगी और भविष्य के आंदोलन की दिशा तय करेगी। इन परिवारों की मांगें अत्यंत न्यायसंगत और मानवीय हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें भी विस्थापित मानते हुए पट्टेदारों के समान सभी लाभ प्रदान किए जाएं। शासकीय, वन और अनुबंधित भूमि पर बने उनके घरों के लिए 15 लाख की सम्मानजनक राशि की मांग है, जो उनकी बरसों की गृहस्थी का उचित मूल्य है। प्रत्येक परिवार के पात्र सदस्यों के लिए 15- 15 लाख की आर्थिक सहायता इसलिए आवश्यक है ताकि वे एक नया भविष्य सुरक्षित कर सकें। उनके आवासों के संपूर्ण क्षेत्रफल का उचित सोलेशियम उनकी भावनात्मक और भौतिक क्षति की भरपाई कर सके। वर्तमान विस्थापन भत्ता 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की मांग इसलिए उठ रही है ताकि वे नए स्थान पर अपना जीवन सुगमता से पुनः आरंभ कर सकें। पुनर्वास स्थल के विकल्प के स्थान पर, इन परिवारों को कम से कम 15 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान करने का आग्रह किया जा रहा है, क्योंकि उनकी जड़ें इसी मिट्टी में गहरी हैं। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उन्हें भी प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की मांग उठाई गई है। अनुबंध की भूमि पर बने आवासों के मुआवजे की पूरी राशि सीधे भवन स्वामी के खाते में हस्तांतरित करने की मांग पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करेगी। सभी विस्थापितों को मेडिकल कार्ड और स्कूलों/कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए उचित शिक्षा व्यवस्था की मांग उनके मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। यह विस्थापन केवल कुछ घरों का उजड़ना नहीं है बल्कि एक समुदाय की पहचान और जीवनशैली का छिन्न-भिन्न होना है। ये शरीफ, गरीब, शोषित और वनवासी जन हमेशा शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते आए हैं। उनकी न्याय की यह पुकार मानवीय संवेदना और सामाजिक न्याय की कसौटी है। 18 मई की यह चेतावनी सभा उनकी सामूहिक आवाज बनेगी। जो सत्ता के गलियारों तक अपनी वेदना और न्याय की आकांक्षा पहुंचाएगी। अमित तिवारी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि इस महत्वपूर्ण घड़ी में सबकी उपस्थिति प्रार्थनीय है ताकि उनकी आवाज और बुलंद हो सके।

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