
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले को ऊर्जा घानी कहा जाता है लेकिन यहाँ की यातायात व्यवस्था इन दिनों लचर स्थिति में है। गनियारी सहित जिले के कई हिस्सों में यातायात थाना प्रभारी की निष्क्रियता और लापरवाही से आम जनजीवन खतरे में आ गया है। दरअसल जिले में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने की जिम्मेदारी यातायात पुलिस पर है लेकिन वर्तमान हालात बता रहे हैं कि यह जिम्मेदारी सिर्फ नाम की रह गई है। गनियारी, बैढन समेत शहर के कई हिस्सों में नो एंट्री नियम पूरी तरह कागजों तक सीमित है। दिन-दहाड़े भारी वाहन डंपर, ट्रक और ट्रैक्टर बिना रोकटोक नो एंट्री जोन में दौड़ते नजर आते हैं। सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि इन भारी वाहनों में से कई बिना नंबर प्लेट के दौड़ रहे हैं और ट्रैक्टरों में नाबालिक बच्चे स्टेयरिंग संभालते देखे जा रहे हैं। मिट्टी, मुरूम और रेत के अवैध खनन में संलिप्त ये वाहन न केवल नियमों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि आम जनता की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मौखिक रूप से पुलिस प्रशासन को बार-बार शिकायतें दी गई लेकिन न कोई कार्रवाई हुई और न ही कोई जांच। यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि यातायात थाना प्रभारी और संबंधित पुलिसकर्मी इन अवैध कारोबारियों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। जिससे इनकी हिम्मत और बढ़ती जा रही है। गौरतलब है कि ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करना केवल नियम की बात नहीं, बल्कि यह आम नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा मसला है। लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारी ही अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ लें तो दुर्घटनाओं और अपराधों को कैसे रोका जा सकेगा? अब सवाल उठता है क्या पुलिस-प्रशासन इन अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाएगा? क्या नो एंट्री में दौड़ रहे भारी वाहनों को रोका जाएगा? नाबालिगों द्वारा वाहन संचालन पर कोई कार्रवाई होगी? सिंगरौली की जनता जिले के उच्च अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करें और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें।