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सबके साथ आगे बढ़ता, जनजातीय समाज : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ऑपरेशन टाईम्स भोपाल।। मध्यप्रदेश में जनजातीय समाज सबके साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में सरकार ने जनजातीय वर्ग के समग्र विकास और कल्याण के लिए 40,804 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है। पीएम जन-मन योजना अंतर्गत प्रदेश में बहुउद्देश्यीय केन्द्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सडक़, समग्र शिक्षा एवं विद्युतीकरण कार्यों के लिए 1,607 करोड़ का प्रावधान बजट में रखा गया है। दूरस्थ क्षेत्रों में गंभीर बीमारियों से रोकथाम के लिए ‘पीएम जनमन योजना’ अंतर्गत 21 जिलों में 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट का शुभारंभहुआ है। 30 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2023 के तेंदूपत्ता संग्रहण के लाभांश 115 करोड़ की बोनस राशि का वितरण किया गया है। सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय 3000 रुपए प्रति बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए किया है। जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए धरती आवा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरुआत भी मध्यप्रदेश में हुई है। इसके अलावा छिंदवाड़ा में श्री बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय एवं जबलपुर में राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण किया गया। जबलपुर एयरपोर्ट और मदन महल फ्लायओवर का नामकरण वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर किया गया। विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं को सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस सेवाओं में भर्ती के लिए प्रशिक्षण हेतु जनजातीय बटालियन गठित करने का निर्णय भी सरकार ने लिया है। पीएम जन-मन योजना अन्तर्गत देश में सर्वप्रथम जन-मन कॉलोनी शिवपुरी में बनाकर मध्यप्रदेश योजना में अग्रणी है। देश की सबसे पहली जन-मन सडक़ बालाघाट जिले में बनकर तैयार हो गई है।

राजा भभूत सिंह के सम्मान में हुई कैबिनेट बैठक—
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने पचमढ़ी के राजा भभूत सिंह की स्मृति और उनके सम्मान में कैबिनेट बैठक की। राजा भभूत सिंह ने पचमढ़ी में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ 1857 में क्रांति की मशाल थामी थी और अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाकौशल में भी गौंडवाना की रानी दुर्गावती को समर्पित कैबिनेट बैठक पूर्व में की जा चुकी है। रानी दुर्गावती की वीरता की कहानियां स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं। जिन्हें हमारी भावी पीढ़ियां पढ़ेंगी। अन्य फैसले जनजातीय के हित में पचमढ़ी वन्य जीव अभ्यारण का नाम बदलकर राजा भभूत सिंह के नाम पर रखने का निर्णय। 9 जून को पीएम मोदी के कार्यकाल के 11 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजितकिए जाएंगे।

तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये अलग अलग विकास प्राधिकरण—
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में जनजातीय समाज के हित में लगातार कार्य किये जा रहे हैं। जनजातीय कार्य विभाग में विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये संचालक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष पिछड़ी जनजातीय समूहों के विकास के लिए योजना बनाने एवं इनका क्रियान्वयन के लिये एजेन्सी भी कार्यरत है। यह एजेन्सी सतत रूप से योजनाओं के अमल की मॉनिटरिंग भी करती है। एजेन्सी का कार्यक्षेत्र प्रदेश के 15 जिलों में हैं। विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये राज्य स्तरीय प्राधिकरण एजेन्सियों का गठन भी किया गया है। हर प्राधिकरण में विशेष पिछड़ी जनजातीय वर्ग के व्यक्ति को अध्यक्ष तथा तीन अशासकीय सदस्यों को मनोनीत किया जाता है। इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये योजना बनाने एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिये प्रदेश में 11 प्राधिकरण कार्यरत हैं। बैगा विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में 6 जिले (मण्डला, शहडोल, बालाघाट, उमरिया, डिण्डौरी एवं अनूपपुर) आते हैं। भारिया विकास प्राधिकरण में (पातालकोट) के कार्यक्षेत्र में छिन्दवाड़ा जिले के तामिया विकासखण्ड के पातालकोट क्षेत्र के 12 गांव आते हैं। सहरिया विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में 8 जिले (श्योपुरकलां, मुरैना, भिण्ड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, ग्वालियर एवं दतिया) आते हैं।

युवाओं को निःशुल्क कोचिंग—
युवाओं को यूपीएससी, पीएससी, सिविल जज, गेट, कैट आदि के लिए निःशुल्क कोचिंग का निर्णय मोहन सरकार ने लिया है। आकांक्षा योजना में जेईई, क्लैट, नीट जैसी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग एवं कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाएगी। छात्रावासों के विद्यार्थियों की समस्याओं के निराकरण एवं मार्गदर्शन हेतु 24म7 मित्र हेल्पलाइन प्रारंभ हुई है। इसके अतिरिक्त विदेश में उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए प्रत्येक वर्ष 50 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत 7,300 से अधिक जनजातीय बहुल ग्रामों में बुनियादी सुविधाओं के निर्माण और कौशल विकास के काम हो रहे हैं। आहार अनुदान योजना में विशेष पिछड़ी जनजातीय बहनों के खाते में जनवरी, 2024 से अन्न तक 325 करोड़ की राशि।

पेसा मित्रों से सशक्त हो रहीं मध्यप्रदेश की पेसा ग्राम पंचायतें—
मध्यप्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5,133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11,596 ग्राम पेसा क्षेत्र में आते हैं। मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, बड़वानी, झाबुआ एवं अलीराजपुर पूर्ण पेसा जिलों के रूप में चिन्हित हैं। जबकि बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, शहडोल, उमरिया, सीधी, बैतूल, बुरहानपुर, धार, खंडवा, नर्मदापुरम, खरगोन, श्योपुर, एवं रतलाम आंशिक पेसा जिले हैं। प्रदेश में ग्राम स्तर, पंचायत स्तर, विकासखंड, जिला एवं राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये पेसा एक्ट के क्रियान्वयन में तेजी से प्रगति आई है। पेसा मित्र इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। पेसा ग्राम पंचायतों में कार्यरत पेसा मित्रों ने न सिर्फ पंचायतों व वहां के रहने वालों को सशक्त बनाया है बल्कि उनका सामाजिक दायरा भी बढ़ाया है। यही नहीं समाज में सामूहिक जागरूकता और सहभागिता की भावना भी विकसित करने में सफलता पाई है। ऐसा हो, इसके लिए पेसा मित्रों ने ग्रामीण (विशेषकर जनजातीय) समुदायों को सरकार की योजनाओं से जोडने के साथ-साथ ग्राम पंचायतों में एक सशक्त सोशल नेटवर्क तैयार किया है, जो ग्राम स्तर पर सबके स्वावलंबन को बढ़ावा दे रहा है। पेसा मित्रों की इस पहल से ग्राम पंचायतों में सकारात्मक बदलाव दिख रहा है। ग्रामीण, जो पहले सरकारी योजनाओं से अनजान थे, अब न केवल इनसे परिचित हो रहे हैं बल्कि योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और वे स्वयं के जीवन को बेहतर बना पा रहे हैं। मध्यप्रदेश की सभी 5,133 पेसा ग्राम पंचायतों में इन दिनों एक नई सकारात्मक लहर देखने को मिल रही है। पेसा मित्रों या कहें पेसा मोबलाईजर्स का योगदान ग्रामीणों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं से जोडने में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। सूबे की 5,133 पेसा ग्राम पंचायतों में 4,665 पेसा मित्र कार्यरत हैं। ये पेसा मित्र न केवल ग्रामीणों को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं बल्कि उन्हें इन योजनाओं का लाभ उठाने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित भी कर रहे हैं।

शहडोल जिले में लिखी गई नई इबारत—
पेसा मित्रों ने ग्रामीण विकास को एक नई दिशा देने तथा सामूहिकता की भावना से पेसा ग्राम पंचायतों में काम किया। उससे शहडोल जिले में पेसा ग्राम पंचायतों के सशक्तिकरण की नई इबारत लिखी गई है। समाज में सामूहिक जागरूकता और सहभागिता की भावना विकसित हो शहडोल जिले में पेसा मित्रों ने ग्राम पंचायतों में जाकर जागरूकता अभियान चलाया। इससे ग्रामीणों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, कृषि और रोजगार जैसी योजनाओं के प्रति रूचि बढ़ी है। यही नहीं वे ग्रामीणों के सच्चे मददगार के रूप में सामने आए। पेसा मित्रों द्वारा शहडोल जिले में पेसा एक्ट में उल्लेखित हितग्राहीमूलक विकास कार्यों, समवा ई-केवाईसी, जनजातीय समुदायों को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित करना, खनिज समिति व मादक पदार्थ नियंत्रण समिति के तहत आर्थिक दंड वसूल करना जैसे अन्य विभिन्न कार्य प्राथमिकता के साथ किये जा रहे हैं। जिले के जयसिंहनगर ब्लॉक की ग्राम पंचायत ठेंगरहा के पेसा मित्र (मोबलाईजर) अजय सिंह परस्ते द्वारा इस ग्राम पंचायत क्षेत्र में जल समिति द्वारा मछली पालन, मादक पदार्थ समिति द्वारा लोगों को मादक पदार्थ का सेवन न करने के बारे में जागरूक किया गया। साथ ही बाजार समिति के जरिये ग्राम पंचायत द्वारा बाजार कर लेने का प्रस्ताव पारित करने में भी महती भूमिका का निर्वहन किया गया। समवा आई-डी, ई-केवाईसी, समग्र सत्यापन, समग्र में नाम जोडना, समग्र परिवार विभाजन, आवास रजिस्ट्रेशन, राशन पोर्टल में पात्र परिवारों की फीडिंग, पीएम जन-मन पक्का आवास रजिस्ट्रेशन, मनरेगा सबन्धित कार्यों का मस्टर रोल जारी करने, शांति एवं विवाद निवारण समिति के अंतर्गत समन्वय कार्य, पीएम जन-मन पक्का आवास का जियो-टैग जैसे कार्य किये गये। इसी प्रकार जयसिंहनगर ब्लॉक की पेसा मित्र (मोबलाईजर) सुश्री मुस्कान गुप्ता, सुश्री वेदकली पटेल, सुश्री कल्पना तिवारी, कुलदीप सिंह व अन्य पेसा मित्रों द्वारा केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित हितग्राही मूलक एवं समुदायमूलक योजनाओं का संबंधितों को लाभ दिलाने के लिए स्व-प्रेरणा से कार्य किये गये।

पेसा कानून और उसके सफल परिणामें से जुड़ी खास बातें—

(1) पेसा कानून वर्ष 1996 में नोटिफाइड हुआ था और मध्यप्रदेश में पेसा अधिनियम का क्रियान्वयन 15 नवंबर 2022 से नियम बनाकर लागू।

(2) पेसा कानून के क्रियान्वयन में हमारा मध्यप्रदेश आगे है।

(3) पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये प्रतिमाह उच्च स्तरीय समिति की बैठक ।

(4) प्रति 3 माह में राज्यपाल के नेतृत्व में स्टेडिंग कमेटी की बैठक ।

(5) पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पेसा कानून के लिये नोडल विभाग ।

(6) पेसा एक्ट कानून एक बड़ा क्षेत्र मध्यप्रदेश है। 20 जिलों के 88 विकासखण्डों की 5133 पंचायतों के 11,596 ग्रामों में पेसा एक्ट लागू ।

(7) मध्यप्रदेश में वृहद नेटवर्क, जिसमें 13 जिला समन्वयक, 81 विकासखण्ड स्तरीय समन्वयक और 4824 पेसा मोबलाइजर कार्यरत।

(8) पेसा कानून में अब तक ग्राम पंचायतों के निर्वाचन के बाद 165 नवीन ग्राम सभाओं का गठन हुआ है।

(9) पेसा कानून में सबसे महत्वपूर्ण विषय वित्तीय प्रबंधन है। जिसके तहत राज्य में अब तक सर्वाधिक 11,524 खाते खोले गए हैं।

(10) वनाधिकार के सामूहिक दावों के लिए कार्य हो रहा है। इंडीविजुअल रूप से पट्टे देने के काम में भी सफलता पाई है।

(11) भूमि प्रबंधन में अब तक लगभग 62 हजार 617 राजस्व एवं वन विभाग के खसरे को पेसा कानून के तहत समितियों को सौंपे गए हैं।

(12) 11,549 शांति एवं विवाद निवारण समिति, जिन्होंने 5365 से अधिक मामलों में बिना एफआईआर, आपसी सहमति से विवाद निपटाए।

(13) महिला उत्थान के लिए 20,532 सहयोगी मातृ समितियों का गठन।

(14) पेसा कानून के क्षेत्र में गौण खनिज समितियों को अब तक 131 खनिज खदानों की लीज के आवेदन प्राप्त हुए हैं।

(15) पेसा कानून की जागरूकता के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने मध्यप्रदेश अग्रणी।

(16) 16, 803 गांव (फलिया, मजरा, टोला भी शामिल) सघन प्रशिक्षण अभियान भी आयोजित किए गए।

(17) मप्र जन अभियान परिषद के सहयोग से 100 राज्य स्तरीय, 800 जिला तथा 35 हजार से अधिक जनपद स्तरीय प्रतिभागी प्ररशिक्षित किए।

(18) मादक पदार्थ नियंत्रण समितियों ने नशे की समस्या के समाधान के लिए 211 दुकानों का स्थानांतरण पेसा समितियों से कराया।

पेसा कानून तहत ग्राम सभाओं को मिले अधिकार—

(1) भू- अर्जन, खनिज सर्वे, पट्टा और नीलामी हेतु ग्राम सभा की सहमति और अनुशंसा अनिवार्य।

(2) गलत तरीके से आदिवासियों की जमीन खरीदने या कब्जा करने पर ग्राम सभा का हस्तक्षेप।

(3) उक्त अधिकार ग्रामसभा को मिलने अब आदिवासियों के साथ छल-कपट नहीं हो सकता।

(4) सार्वजनिक स्थानों पर शराब को प्रतिबंधित करने एवं अवैध बिक्री रोकने का अधिकार।

(5) लघु वनोपज और तेंदूपत्ता के संग्रहण और विपणन का भी अधिकारा।

(6) उक्त अधिकार मिलने से अब जन जातीय समुदाय स्वय अपनी लघु वनोपज का मूल्य तय करता है।

(7) जलाशयों में मछली पालन व सिंघाड़ा उत्पादन का अधिकार।

(8) गांव की जमीन और वन क्षेत्रों के दस्तावेज बिना तहसील कार्यालय जाए सीधे पटवारी और बीटगार्ड से प्राप्त हो रहे हैं।।

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