
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। कई वर्षों से जमे अधिकारियों- कर्मचारियों को हटाये जाने और निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव के समय या अन्य किसी माध्यम से स्थानांतरित किये गये अधिकारियों कर्मचारियों कि बार-बार सिंगरौली जिले में वापसी के विरुद्ध कांग्रेस नेता भास्कर मिश्रा ने पिछले 3-4 वर्षों से लगातार मुहिम छेड़ रखी है। जिसके तहत विधायकों, मंत्रियों और भोपाल में पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिदेशक और सचिवालय में बैठे मुख्य सचिव के साथ विभागीय प्रमुख सचिवों के साथ ही मुख्यमंत्री तक को लगातार ज्ञापन सौंपा और पत्राचार किया साथ ही सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से भी जिम्मेदारों तक अपनी बात पहुंचाते रहे। प्रयास कि पराकाष्ठा तो तब हो गई जब श्री मिश्रा ने अपने सिंगरौली डेमोक्रेटिक फ्रंट के बैनर तले लगभग 200 लोगों को लेकर डीजिपी कार्यालय को घेरने भोपाल पहुंच गए जिससे भोपाल में हड़कंप मच गया और तत्कालीन डीजीपी सुधीर सक्सेना जी मिलने और पूरी बात सुनने को मजबूर हो गए और साथ ही जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, भास्कर मिश्रा यही नहीं रुके उन्होंने भोपाल के “नाइन मसाला” सभागार में एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जिसमें कुछ को छोड़कर सभी प्रमुख मीडिया ने कवरेज किया जिसका परिणाम रहा कि सिंगरौली में लंबे समय से जमे अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर होना सुरू हुआ। यद्यपि ज्यादातर चुनाव आयोग द्वारा ही निर्वाचन के समय ही हटाये गये लेकिन सिंगरौली वासियों को उम्मीद जगी थी कि अब स्थानांतरित हुए अधिकारियों-कर्मचारियों कि पुनः वापसी नहीं होगी लेकिन चुनावों बाद आश्चर्यजनक तरीके से पुनः वापसी सुरु हो गई अतः भास्कर मिश्रा ने पुनः अपने मुहिम को गति देते हुए सिंगरौली जिले के सभी विधायकों, मंत्री और प्रभारी मंत्री के साथ ही भोपाल स्तर के संबंधित अधिकारियों, मंत्रीयो और मुख्यमंत्री से मिलकर या ज्ञापन भेजकर अधिकारियों-कर्मचारियों के वापस सिंगरौली आने के लिए रोकने का निवेदन किया बावजूद इसके चार टिआई पुनः जिले में वापसी करने में सफल हो गए फलस्वरूप भास्कर मिश्रा ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष जनहित याचिका लगाने के लिए मजबूर हो गए,जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने 17/12/2024 को सुनवाई किया और मांगों को सही ठहराते हुए याचिका कर्ता के पक्ष में निर्णय दिया।
हाई कोर्ट ने क्या कहा……?
भास्कर मिश्रा कि ओर से हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री लवकुश प्रसाद मिश्रा जी ने जनहित याचिका लगाया जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन, पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश पुलिस, गृह सचिव मध्य प्रदेश शासन गृह विभाग और पुलिस अधीक्षक सिंगरौली को पार्टी बनाते हुए मांग किया है कि
(1)— पूर्व में विभिन्न विभागों में जो अधिकारी/कर्मचारी सिंगरौली जिले में पदस्थ रह चुके हैं और उन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा या अन्य किसी कारण से अन्य जिलों में स्थानांतरित किया गया है। उन्हें पुनः सिंगरौली जिले में वापस पदस्थ नहीं किया जाये।
(2)— लगातार आवेदनों/निवेदन के माध्यम से विरोध के वावजूद,जिन चार पुलिस निरीक्षकों कि पुनः वापसी सिंगरौली जिले में हुई है उनके स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाय ।
(3)— विभिन्न विभागों में तीन वर्ष से अधिक समय से सिंगरौली जिले में पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों को तत्काल दूसरे जिलों में स्थानांतरित किया जाय।
जिस पर माननीय उच्च न्यायालय डबल बेंच में माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री सुरेश कुमार कांत और माननीय जज श्री विवेक जैन ने आदेश जारी करते हुए उक्त चारों पक्षकारों को निर्देश दिया है कि चार सप्ताह में याचिका कर्ता के मांग पर निर्णय लिया जाए और निर्णय के तीन दिवस के भीतर संबंधित को सूचित किया जाय। यदि याचिका कर्ता निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं तो पुनः माननीय न्यायालय के समक्ष आवेदन कर सकते हैं और अनिर्णय कि स्थिति में याचिका कर्ता के समक्ष सारे कानूनी विकल्प खुले हैं।
क्या कहती है वर्तमान ट्रांसफर पालिसी (24जून 2021)
स्थानांतरण नीति 24 जून 2021 कि—
(1)– धारा 37 के अनुसार जिस जिले में अधिकारी पूर्व में पदस्थ रह चुके हों, वहां उनकी उसी पद पर पुनः पदस्थापना नहीं की जाए।
(2)— धारा 25 का भाग कहता है कि, किसी अधिकारी/कर्मचारी को शिकायत या अन्य प्रशासनिक कारणों से किसी स्थान से पूर्व में स्थानांतरित किया गया हो तो उसे पुनः उसी स्थान पर पदस्थ नहीं किया जायेगा।
अब गेंद मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और सिंगरौली एसपी के पाले में हैं। अब देखना है कि उक्त जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा चार सप्ताह में सिंगरौली के हित में निर्णय लिया जाता है या कि नहीं। वहीं भास्कर मिश्रा का स्पष्ट कहना है कि यदि आवश्यकता हुई तो कंटेंप्ट आफ कोर्ट या री-पिटीशन का आप्शन हमारे पास खुला है और इस बार संबंधित पदों पर बैठे अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाया जायेगा और यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक भी लड़ी जाएगी। वहीं जमीनी लड़ाई में मुख्यमंत्री शर्म करो अभियान के तहत हस्ताक्षर अभियान कराया जायेगा और मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, जिम्मेवार अधिकारियों को नाक डुबोने के लिए चुल्लू भर पानी जनता से एकत्र कर भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री और संबंधितों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।