
नई दिल्ली एजेंसी।। भारत और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान जब आमने सामने थे। तब तुर्की खुलकर पाकिस्तान और आंतकियों का साथ दे रहा था। जिसके बाद एहसानफरामोश तुर्किए को लेकर भारत में काफी रोष देखने को मिला। देश के अलग अलग राज्यों में व्यापारियों ने तुर्की का विरोध करने का फैसला किया। कई भारतीयों ने तुर्किए जाने के अपने फैसले को कैसिल कर बॉयकाट का ऐलान किया। हालांकि बॉयकाट कोई सरकार की तरफ से नहीं बल्कि लोगों की व्यक्तिगत इच्छा से हुआ था। लेकिन अब भारत ने अपने अंदाज में अहसानफरामोश तुर्किए को जवाब देने का सोचा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा के निमंत्रण पर जी 7 सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं। दरअसल कनाडा के खालिस्तानी पहले से ही पीएम मोदी की यात्रा को लेकर हैरान-परेशान हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कनाडा जाते वक्त पीएम मोदी का विमान तेल रिफ्यूलिंग के लिए एक छोटे से देश साइप्रस में रुकेगा। पीएम मोदी का विमान रिफ्यूलिंग के लिए कहीं और भी रुक सकता था। लेकिन इस बार बड़ी रणनीति के तहत सायप्रस को चुनाव हुआ है। पीएम मोदी का विमान जैसे ही सायप्रस उतरेगा, तब तुर्किये, पाकिस्तान और अजरबैजान पागल हो जाएंगे। भारत का ये कदम खास तौर से तुर्किये को ध्यान में रखकर लिया गया है। साइप्रस जिसे आधिकारिक तौर पर साइप्रस गणराज्य कहा जाता है, पूर्वी भूमध्य सागर में स्थित एक द्वीप देश है। यह ग्रीस के पूर्व में और तुर्की के दक्षिण में मौजूद है। 1821 में ग्रीस को ओटोमन्स से आजादी मिलने तक ग्रीक और तुर्की साइप्रस अपेक्षाकृत शातिपूर्ण तरीके से रहते थे। 1974 को ग्रीस के समर्थन से सैन्य तख्तापलट हुआ।
आमतौर पर ग्रीन लाइन के रूप में जाना जाता है—
अगस्त 1974 से युद्ध विराम रेखा साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र बफर जोन बन गई और आमतौर पर ग्रीन लाइन के रूप में जाना जाता है। स्वाभाविक रूप से, तुर्की के साथ संप्रभुता, समुद्री सीमा और अन्य मुद्दों पर उनके बड़े मतभेद हैं। तुर्की जहां पाकिस्तान के साथ खड़ा रहता है, वहीं भारत ने साइप्रस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया है। साइप्रस आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।