मोरवा से लेकर गोंदवाली तक चल रहे अवैध कोयला कारोबारियों के आगे पुलिस व प्रशासन है नतमस्तक
हर रात निकल रही चोरी के कोयलो की गाड़ियां

ऑपरेशन टाइम्स सिंगरौली।। जिले में कोयले का अवैध कारोबार करने वालों के सामने जिले का खनिज विभाग एवं जिला प्रशासन सहित पुलिस प्रशासन पूरी तरह से नतमस्तक हो चुका है। सिंगरौली से कम्पनियों के लिए जाने वाला कोयला जिले में अवैध कारोबार का प्रमुख व्यवसाय बन गया है। जिसे पुलिस व प्रशासन का भरपूर संरक्षण प्राप्त है। गौरतलब है कि यहां से निकलने वाला चोरी का कोयला पड़ोसी जिला सीधी के बहरी में पहुंच रहा है। जहां संचालित अवैध कोल यार्डों में खपा दिया जा रहा है। जो जग जाहिर है परंतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस ओर नजर नहीं दौड़ाई जा रही है। जिससे यह स्पष्ट है कि इस पूरे अवैध कारोबार में पुलिस व राजस्व के आला अधिकारियों की भी संलिप्तता पूरी तरह से है। बताया जा रहा है कि बहरी बाजार क्षेत्र में संचालित एक अड्डे के अलावा कई अन्य छोटे बड़े अड्डों पर कोयले का यह अवैध कारोबार व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है। जिनके द्वारा रंगीन जाली लगाकर कोयले के इस कारोबार को ढंक दिया जाता है। हालांकि राष्ट्रीय राजमार्ग से सटा होने के चलते इस कारोबार पर राह से निकलने वाले हर व्यक्ति की नजर रहती है। हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग में संचालित होने के बाद भी पुलिस व राजस्व अधिकारियों की नजर इन पर नहीं पड़ रही है या फिर ये कहें कि यह कारोबार इन्ही के संरक्षण में फल फूल रहा है।
हर महीने थानो में पहुंच रहा नजराना—
जिले के थाना मोरवा, चौकी गोरबी से लेकर बरगवां जियावन होते हुए झोखो यातायात चौकी को पार कर चोरी के कोयलों की गाड़ियां हर रात निकल रही है। जिसकी जानकारी हर थाने की नाइट पेट्रोलिंग टीम को रहती है। या यूं कहे कि पेट्रोलिंग टीम की पहरेदारी में ही ये गाड़ियां निकल रही है। सूत्रों की माने तो कोयला कारोबारियों व पुलिस के बीच आपसी सांठ-गांठ बनी हुई है। जिनके द्वारा इस अवैध कारोबार से अर्जित धन की एकमुस्त राशि प्रत्येक माह थाना प्रभारी व संबंधित पुलिस स्टाफ को उपलब्ध कराई जा रही है। जिसके चलते पुलिस विभाग द्वारा इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सत्ताधारीयों की सलिंप्तता दे रहा बल —
जिले के इन थाना क्षेत्रों में चल रहे कोयले के काले खेल में सत्ताधारी दल के नेता भी इस कारोबार में पूरी तरह से संलिप्त हैं। विश्वस्थ सूत्रों की मानें तो सत्ताधारी दल के नेताओं के संलिप्तता होने के कारण इस कारोबार पर किसी भी तरह की आंच नहीं आ रही है। बता दें कि उक्त कारोबार इन दिनों खूब फल-फूल रहा है। जिसकी काली कमाई छोटे अधिकारियों से लेकर बड़े अधिकारियों तक पहुंच रही है। साथ ही सत्ताधारी सफेदपोशों के पास भी इस काले कारोबार का पैसा पहुंच रहा है। जिसकी वजह से कार्रवाई करने में अधिकारियों का पसीना छूट रहा है।।
नजराना की सेटिंग का होगा पोल खोल……..
शेष अगले अंक में ——–