ईडी की 28 टीमों ने भोपाल, इंदौर, मंदसौर और जबलपुर समेत कई शहरों में छापा मारा
71 करोड़ के फर्जी बैंक चालान घोटाले में 28 टीमें कर रही जांच

ऑपरेशन टाईम्स भोपाल।। मध्यप्रदेश में 71 करोड़ रुपये के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल ईडी की 28 टीमों ने भोपाल, इंदौर, मंदसौर और जबलपुर समेत कई शहरों में छापा मारा है। ये टीमें कई शराब कारोबारियों और कुछ अधिकारियों के ठिकाने पर छापा मारा है।
71 करोड़ के फर्जी बैंक चालान घोटाले मामले में ED की बड़ी कार्रवाई—
71 करोड़ के फर्जी बैंक चालान घोटाले के आरोपी योगेन्द्र जयसवाल और विजय श्रीवास्तव के ठिकानों पर ईडी की कारवाई चल रही है। बता दें कि संजीव जीव दुबे के आबकारी आयुक्त रहते हुए चालन घोटाला हुआ था। वहीं चलान घोटाले की रिकवरी में 22 करोड़ नगद जमा किए थे। बता दें कि इंदौर में ईडी ने एक साथ 18 ठिकानों पर छापे मारे हैं। इनमें ज्यादातर शराब कारोबारी हैं। ईडी के सूत्रों के मुताबिक बसंत बिहार कॉलोनी, तुलसी नगर और और अन्य जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई की है। 71 करोड़ रुपये के आबकारी फर्जी चालान और आबकारी घोटाले को लेकर को लेकर यह कार्रवाई की जा रही है।
रिटायर्ड आबकारी अधिकारी सुरेन्द्र चौकसे के ठिकानों पर ED का छापा—
इंदौर के तुलसी नगर निवासी सुरेन्द्र चौकसे के घर भी ईडी की टीम पहुंची। फिलहाल चौकसे के घर A 296 पर ED की कार्रवाई जारी है। बता दें कि सुरेन्द्र चौकसे आबकारी अधिकारी के पद से रिटायर्ड हो गए हैं। सीआरपीएफ के जवान घर के बाहर तैनात किए गए हैं। वहीं स्थानीय प्रशासन को कार्रवाई की भनक नहीं लगी। मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी शराब कारोबारी के ठिकाने पर ईडी ने छापा मारा है। आज तड़के ईडी की टीम जनता कॉलोनी स्थित शराब कारोबारी अनिल त्रिवेदी के भाई बंटी त्रिवेदी के घर पहुंची। अधिकारी फिलहाल इस मामले में जांच कर रही है।
क्या है 71 करोड़ की फर्जी बैंक चालान घोटाला—
धन शोधन का मामला शराब ठेकेदारों के खिलाफ राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है। प्राथमिकी में वित्त वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2017-18 की अवधि में चालान में जालसाजी और हेरफेर के जरिए 49,42,45,615 रुपये के सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और अवैध रूप से शराब प्राप्त करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में रुपये अंकों में और रुपये शब्दों में लिखा गया था। अधिकारियों ने बताया कि ने बताया कि अंकों में रकम भरी गई थी लेकिन रुपये शब्दों में के बाद खाली स्थान छोड़ दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि राशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में लाख या हजार के रूप में बढ़ी हुई राशि लिख देता था और इस बढ़ी हुई राशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम में या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा की जाती थीं।