सिंगरौली

देवसर तहसील के 26 गांवों में शासकीय भूमियों सहित उपखंड-जिला अभिलेखागार के रिकॉर्ड में हेराफेरी की जांच करेगी 4 सदस्यीय कमेटी

आवेदक के आवेदन पर कलेक्टर ने आदेश जारी कर कहा- दोषियों पर कार्यवाही संग दर्ज करें आपराधिक प्रकरण

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। देवसर तहसील के 26 गांवों में शासकीय भूमियों में हेराफेरी की जांच करने के लिए कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यही टीम उपखंड कार्यालय व जिला अभिलेखागार के रिकॉर्ड में हुई हेराफेरी की भी जांच करेगी। कलेक्टर ने देवसर के कटौली निवासी आवेदक अनुरोध शुक्ला के आवेदन पर गत 16 जनवरी को यह आदेश जारी किया है। आदेश में कलेक्टर ने कहा है कि 26 गांवों, उपखंड कार्यालय व जिला अभिलेखागार के रिकॉर्ड में हुई हेराफेरी की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही करने के साथ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। कलेक्टर को दिए गए आवेदन में अनुरोध शुक्ला ने आवेदन में कहा है कि तहसील देवसर (वर्तमान तहसील सरई) के कठदहा ग्राम के खसरा वर्ष 1980-85 और न्यायालय उपखंड अधिकारी देवसर का दायरा रजिस्टर वर्ष 2011-12 को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) रीवा ने 7 दिसंबर 2022 को जब्त किया गया है। उससे तहसील देवसर, उपखंड कार्यालय देवसर, जिला अभिलेखागार सिंगरौली में शासकीय भूमियों के रिकॉर्ड में हेराफेरी के प्रमाण मिले हैं। देवसर के तत्कालीन तहसीलदार ने अपने पत्र क्रमांक 369/ प्रवाचक/2013 दिनांक 19 मार्च 2013 में 29 ग्रामों में हेराफेरी करने का उल्लेख किया गया है। यह भी लेख किया गया है कि तीन गांवों कठदहा, करी, मझिगवां के मामलों में अपराध पंजीकृत किया गया है। मगर अन्य गांवों के रिकॉर्ड में हुई हेराफेरी पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इसलिए देवसर तहसील के अन्य 26 गांवों तथा उपखंड कार्यालय एवं जिला अभिलेखागार के रिकॉर्ड में हुई हेराफेरी की जांचकर दोषियों पर कार्यवाही करते हुए आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।

2010 के रिकॉर्ड में हेराफेरी का हो सकता खुलासा—
जांच टीम की अध्यक्षता अपर कलेक्टर पीके सेन गुप्ता करेंगे। इसके अलावा टीम में देवसर एसडीएम अखिलेश सिंह, डिप्टी कलेक्टर नंदन तिवारी व सौरभ मिश्रा शामिल किए गए हैं। टीम की जांच से देवसर उपखंड की देवसर-सरई तहसील के साथ ही जिला अभिलेखागार के रिकॉर्ड में वर्ष 2010 में हुई हेराफेरी का राज खुल सकता है। ईओडब्ल्यू द्वारा तीन गांवों के रिकॉर्ड में पकड़ी गई हेराफेरी इस जांच का आधार बन सकती है क्योंकि इसी तरह का कृत्य अन्य 26 गांवों के रिकॉर्ड में करने की बात कही जा रही है। जो जांच में प्रमाणित हो सकती है।

टीम को जांच करने एक माह का दिया गया समय—
कलेक्टर ने टीम को निर्देशित किया है कि आवेदन में वर्णित तथ्यों की जांच कर विस्तृत तथ्यात्मक प्रतिवेदन सुसंगत अभिलेखों और उनके अभिमत के साथ एक माह में प्रस्तुत करें। जांच के दौरान शिकायतकर्ता का उनका पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देने के लिए उन्होंने जांच टीम से कहा है। जानकारी के अनुसार देवसर तहसील के रिकॉर्ड में हेरफेर करने के मामले में तत्कालीन तहसीदार द्वारा कुछ फर्जी प्रविष्टियों को निरस्त भी किया गया था। हालांकि, अब तक केवल 3 गांवों के मामलों पर कार्रवाई हुई है। । शेष दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो पाई है। बताते हैं कि जिला अभिलेखागार में फर्जी रिकॉर्ड सफेद किए जा चुके हैं।

निर्दोष को फंसाकर सेवा से पृथक करने का है आरोप—
शिकायतकर्ता अनुरोध शुक्ला के अनुसार तत्कालीन हलका मझौली पाठ तहसील वैढ़न जिला सिंगरौली में पदस्थ होने के बाद भी उनके पिता को सेवा से पृथक किया गया। यह सब सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। इस मामले में एक निर्दोष को झूठा फंसाकर सेवा से पृथक कर दिया गया है। शिकायतकर्ता द्वारा कलेक्टर से आग्रह किया गया कि उनके पिता को न्याय दिलाया जाए और जांच कराकर इस मामले में शामिल मुख्य दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि जांच टीम को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए और रिकॉर्ड में हुई अनियमितताओं की विस्तार से जांच हो।

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