बड़ी खबरमध्य प्रदेश
बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत से प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मचा हड़कंप
जांच के लिए एसआईटी व विशेष टास्क फोर्स की टीम हुई गठित


जानकारी के मुताबिक माहुर रोग से बचाव के लिए किसानों ने फसल में कीटनाशक छिड़का था। उसी फसल को हाथियों के झुंड खा लिया था। माना जा रहा है कि तभी से हाथियों की हालत बिगड़ने लगी थी। मामला उजागर उस समय हुआ जब 4 हाथियों की मौत हो चुकी थी। जबकि 6 हाथी गंभीर हालत में बेहोश पड़े मिले थे। इनमें से 3 हाथियों ने उसी रात को दम तोड़ दिया था। जबकि 3 हाथियों का इलाज चल रहा था। जिसमें एक हाथी ने बुधवार को जबकि एक एक करके दो हाथियों ने गुरुवार को दम तोड़ दिया। वही वन्यजीव टीम ने कहा कि शव परीक्षण और फोरेंसिक रिपोर्ट से जानकारी का सही पता लग पायेगा। दिल्ली से वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की पांच सदस्यीय टीम रिजर्व में है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नागपुर स्थित क्षेत्रीय अधिकारी सहायक वन महानिरीक्षक नंदकिशोर काले, स्थिति का प्रत्यक्ष अनुभव लेने के लिए यहां डेरा डाले हुए थे। अम्बाडे ने बताया कि हमारा राज्य टाइगर स्ट्राइक बल भी खोजी कुत्तों के साथ जांच कर रहा है। उन्होंने आसपास की कृषि भूमि, धान के खेतों, जल निकायों और उन खेतों से नमूने एकत्र किए हैं।

जहां हाथियों ने कोदो बाजरा खाया था। फोन पर संपर्क करने पर अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने कहा शव परीक्षण किया गया है और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पशु चिकित्सकों ने कहा है कि उनके पेट में विषाक्तता देखी गई है। पूर्वी मध्य के उमरिया और कटनी जिलों में फैले बांधवगढ़ में टस्करों की मौत की जांच कर रही राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय समिति के प्रमुख कृष्णमूर्ति ने कहा इसके अलावा (उनके पेट में) बहुत सारा कोदो बाजरा भी पाया गया है।

जब कृष्णमूर्ति से पूछा गया कि क्या मृत हाथियों ने कुछ जहरीले कीटनाशकों का सेवन किया था। तो उन्होंने कहा हमने हाथियों के नमूने (विसरा) को जांच के लिए जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) को भेज दिया है। केवल फोरेंसिक जांच से ही जहर का पता चलेगा। उन्होंने कहा सभी मृत हाथी 13 के झुंड का हिस्सा थे। जिसमें एक नर जंबो भी शामिल था। जिसकी मौत हो गई है। कृष्णमूर्ति ने बताया कि झुंड के बाकी तीन पचीडरम स्वस्थ हैं और जंगल में लगातार निगरानी में हैं।

उन्होंने बाद में एक बयान में कहा कि वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों और जबलपुर स्थित एसडब्ल्यूएफएच की टीमों ने नौ हाथियों का पोस्टमार्टम किया है और दसवें शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार को किया जाएगा। नमूने एकत्र कर लिए गए हैं और उन्हें भेजा जाएगा। विश्लेषण के लिए SWFH फोरेंसिक लैब। कृष्णमूर्ति ने कहा पशु चिकित्सकों ने कोदो बाजरा से जुड़े मायकोटॉक्सिन की संभावना का संकेत दिया है। मायकोटॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड उत्पन्न करता है। जो कोदो बाजरा में विषाक्तता का कारण बनता है। वन विभाग के वन्यजीव पशुचिकित्सक नियमित संपर्क में हैं और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून, राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, सागर और सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के विशेषज्ञों के साथ परामर्श भी कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हैदराबाद उक्त मायकोटॉक्सिन के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त करेगा।

भारतीय वन सेवा के अधिकारी ने कहा मध्य प्रदेश सरकार के फैसले के अनुसार एसआईटी और विशेष टास्क फोर्स की टीमें सभी संभावित कोणों से मामले की जांच कर रही हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक यह शायद देश का पहला मामला है। जहां तीन दिनों के भीतर दस वन्यजीव हाथियों की मौत हो गई है। मंगलवार को वन रक्षकों द्वारा नियमित गश्त के दौरान एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण रिजर्व के खितौली रेंज के अंतर्गत सलखनिया और बकेली क्षेत्रों में चार जंगली हाथी मृत पाए गए। इसके बाद बुधवार और गुरुवार को छह और जंबो की मौत हो गई। कृष्णमूर्ति के नेतृत्व वाले जांच पैनल को सरकार ने दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।