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मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा भारत लाया जाएगा, अमेरिका ने आतंकी के प्रत्यर्पण की मंजूरी दी

हेडली के साथ अटैक का प्लान बनाया था

नई दिल्ली।।पाकिस्तानी मूल का कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर राणा अभी अमेरिकी जेल में है। मुंबई हमले (26/11) के आरोपी तहव्वुर राणा को जल्द भारत लाया जा सकता है। अमेरिकी कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राणा को डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तहव्वुर राणा को 2009 में FBI ने गिरफ्तार किया था। 15 अगस्त 2024 को राणा ने प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ अपील की थी। जिसे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अमेरिकी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है। मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज है। इसके मुताबिक राणा ISI और लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर है। चार्जशीट के मुताबिक राणा हमले के मास्टरमाइंड मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमले किए थे। उनमें 166 लोग मारे गए और 300 घायल हुए थे। मरने वालों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी थे। एनकाउंटर में पुलिस ने 9 आतंकियों को मार गिराया और अजमल कसाब को गिरफ्तार किया था। 2012 में उसे फांसी दे दी गई।

राणा-हेडली ने तैयार किया था मुंबई हमले का ब्लूप्रिंट—
मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक राणा आंतकियों को हमले की जगह बताने और भारत में आने के बाद रुकने के ठिकाने बताने में मदद कर रहा था। राणा ने ही ब्लूप्रिंट तैयार किया था। जिसके आधार पर हमले को अंजाम दिया गया। राणा और हेडली ने आतंकवादी साजिश रचने का काम किया था। चार्जशीट में बताया गया कि मुंबई हमले की साजिश की प्लानिंग में राणा का रोल बहुत बड़ा रोल था।

15 अगस्त 2024 को खारिज हुई थी राणा की अपील—
प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ राणा की अपील को अमेरिकी अदालत ने 15 अगस्त को खारिज किया था। अमेरिकी अदालत ने 15 अगस्त को अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है। भारत को सौंपे जाने से बचने के लिए पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर राणा ने अमेरिका की कोर्ट में हेबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण दायर की थी। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का इस्तेमाल उस समय किया जाता है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कस्टडी में रखा जाए। हालांकि लॉस एंजिलिस के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जिन आरोपों को आधार बनाकर भारत ने तहव्वुर के प्रत्यर्पण की मांग की है। उन्हें देखते हुए उसके प्रत्यर्पण की इजाजत दी जा सकती है। अपने खिलाफ फैसला आने के बाद राणा ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में एक और याचिका दायर की थी। इसी पर गुरुवार को फैसला आया। जिसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करने को सही ठहराया गया। पैनल ने माना कि राणा का अपराध अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अंतर्गत आता है। भारत ने हमले को लेकर राणा पर लगाए गए आरोपों के पुख्ता सबूत दिए हैं। हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली के बचपन का दोस्त है तहव्वुर पिछले साल कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने तर्क दिया था कि तहव्वुर इस हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है और उसे पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहा है। हेडली की मदद करके और उसे आर्थिक मदद पहुंचाकर तहव्वुर आतंकी संस्था और उसके साथ आतंकियों को भी सपोर्ट कर रहा था। राणा को जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है। क्या बात कर रहा है। उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि राणा इस पूरी साजिश का हिस्सा था और इस बात की पूरी आशंका है कि उसने आतंकी हमले को फंडिंग देने का अपराध किया है।

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