डीएमएफ से विकास नहीं, अधिकारियों ने बनाया कमाई का जरिया
जिला शिक्षा केन्द्र, महिला बाल विकास सहित कई विभागों में हुई करोड़ों की खरीददारी

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। सिंगरौली जिले के विकास के लिए डीएमएफ फंड ऐसा खजाना है कि इसका सही तरीके से क्रियान्वयन हो तो सिंगरौली विकास की उड़ान भर सकता है। लेकिन यह खजाना अब अधिकारियों की कमाई का जरिया बन गया है। चाहे जिला शिक्षा केंद्र हो या फिर महिला बाल विकास विभाग जो सुर्खियों में मध्य प्रदेश तक छाया रहा। इन विभागों के अलावा और कई ऐसे विभाग हैं जहां डीएमएफ फंड से करोड़ों रुपए की खरीददारी और विकास दिखाया गया है। लेकिन जिस तरीके से डीएमएफ फंड मैं अधिकारियों ने सेंधमारी कर खुद मालामाल हुए और अब समूचे प्रदेश में सिंगरौली की जमकर किरकिरी हो रही है। गौरतलब हो खान एवं खनिज अधिनियम में संशोधन के माध्यम से 2015 में भारत सरकार ने खनन से प्रभावित सभी जिलों में जिला खनिज फाउंडेशन की स्थापना का प्रावधान किया था। जिसमें एमडीआर अधिनियम की धारा के तहत डीएमएफ की स्थापना एक गैर लाभकारी निकाय के रूप में करने और डीएमएफ के उद्देश्य और जिला खनिज फाउंडेशन की संरचना कार्यों को निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार की शक्ति का प्रावधान था। जिला खनिज फाउंडेशन का उद्देश्य था कि खनन संबंधी कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्र के हित और लाभके लिए राज सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से कार्य करना होगा। ताकि प्रभावित क्षेत्र का सही तरीके से समुचित विकास किया जा सके। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने क्षेत्र के विकास के लिए जिला अधिकारियों को निर्देशित किया था। ताकि सही तरीके से क्षेत्र का विकास किया जा सके। लेकिन अब सिंगरौली में खनिज प्रतिष्ठान के खजाने पर जिले के आला अधिकारियों की नजर इस कदर टिकी हुई है कि आखिर डीएमएफ के खजाने को किस तरह लूटा जा सके। तभी तो महिला बाल विकास विभाग में चम्मच खरीदी में करोड़ों रुपए की सेंधमारी की चर्चा भोपाल तक उछाल मारी थी। यह कोई महिला बाल विकास विभाग की ही बात नहीं है कई ऐसे विभाग हैं जहां डीएमएफ से सामानों की खरीददारी के साथ-साथ निर्माण कार्य भी हुए हैं। निर्माण कार्यों की भी हकीकत देखें तो ऐसे कार्य हुए हैं जो गुणवत्ता को नजर अंदाज किया गया है सिर्फ जिम्मेदार अधिकारी इस बात की पुष्टि करते हैं की जमीनी हकीकत पर यह दिखाना चाहिए की कार्य हुआ चाहे वह कार्य एक माह चले या एक साल इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है। यह बानिकी इसलिए दिखाना चाह रहे हैं। कि यह सिंगरौली की हकीकत है और इस घोटाले में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ही संलिप्त नहीं है बल्कि कई बड़े अधिकारी के साथ-साथ भोपाल तक तार जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि जांच के नाम पर कोरमपूर्ति का जो खेल खेला जा रहा है उसे आम जनता भी भली-भांति समझती है। यही वजह है कि सिंगरौली में हर आम और खास यही कह रहे हैं कि अब सिंगरौली का डीएमएफ फंड लूट का खजाना बन गया है। तभी तो ऐसे अधिकारियों की जमकर किरकिरी हो रही है।
महिला बाल विकास विभाग सुर्खियों में—
खनिज प्रतिष्ठान सिंगरौली के खजाने से महिला बाल विकास विभाग सिंगरौली के अधिकारियों की किस्मत चमक गई। चम्मच खरीदी के साथ-साथ कायाकल्प के नाम पर जो खेल जिम्मेदार अधिकारी ने खेला है उसकी चर्चा भोपाल तक है ऐसा भी नहीं है कि इस खेल में जिम्मेदारी अधिकारी की ही मिली भगत है इस खेल में भोपाल मैं बैठे आकांओ का भी तार जुड़ा हुआ है। सूत्र तो यह भी दावा करते हैं कि चम्मच खरीदी मैं सरकार की जमकर किरकिरी हुई है तभी तो ईओडब्ल्यू की टीम सिंगरौली पहुंची थी लेकिन दुर्भाग्य था कि जिम्मेदार अधिकारी भोपाल बैठे थे।