
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। अपर सत्र न्यायाधीश विजय सोनकर के न्यायालय ने हत्या एवं हत्या के साक्ष्य छिपाने के एक चर्चित मामले में परिस्थिति जन्य साक्ष्य सहित समस्त पहलुओं पर गौर करते हुए चार अभियुक्तों को दोषी पाये जाने पर आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया है। न्यायालय ने अभियुक्तों प्रदीप कुमार यादव, बिहारी लाल यादव, चंद्रवती उर्फ चंद्रकली यादव निवासी सजहर ग्राम थाना जियावन तथा लीलावती यादव निवासी सरौंधा को भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत आजीवन कारावास की सजा सहित पांच हजार रूपये अर्थदंड अधिरोपित किये जाने का दंडादेश पारित किया है। इसी तरह न्यायालय ने हत्या का साक्ष्य छिपाने के अपराध में अभियुक्तों को भादंवि की धारा-201 के तहत तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास सहित अर्थदंड की सजा मुकर्रर की है। गौरतलब है कि जियावन थाना क्षेत्र के सजहर ग्राम निवासी विवाहिता महिला तारा देवी की हत्या कर आरोपियों द्वारा मृतका के शव को फांसी के फंदे में लटका दिया गया था ताकि आत्महत्या का रंग दिया जा सके। 5 मई 2021 को मामले की रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज की गई थी। न्यायालय में अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजन अधिकारी मार्कंडेय मणि त्रिपाठी ने तार्किक ढंग से पक्ष रखा। उन्होंने न्यायालय से आरोपियों को कठोर सजा देने का अनुरोध किया था। मामले में पुलिस विवेचक नेहरू सिंह खंडाते ने अंधी हत्या के राज का पर्दाफाश करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
वसीयत को लेकर था विवाद—
मामले में अभियोजन के अनुसार विवेचना के दौरान आये तथ्यों के आधार पर पुलिस ने संदेही मृतका के परिजनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। जिस पर आरोपियों ने यह स्वीकार कर लिया था कि 29 अप्रैल 2021 की रात 12 बजे तारादेवी की लाठी-डंडे से मारपीट के बाद गला दबाकर हत्या कर दी थी। वहीं उसे कमरे लेकर जाकर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था ताकि लगे कि मृतका ने आत्महत्या कर ली है। जानकारी में यह घटना की वजह भी सामने आई कि मृतका को उसके पुश्तैनी परिजनों द्वारा जिस जमीन को दिया था, उक्त जमीन पर मृतका के ससुरालवालों की निगाह टिकी थी। लेकिन तारा देवी ने अपने उक्त जमीन को वसीयत के जरिए लड़की मीना के नाम कर दी थी। जिससे आरोपी नाराज थे। वह अवसर विवाद व मारपीट किया करते थे। इसके बावजूद बात न मानने पर एक दिन हत्या करने में सफल हुए थे।