
ऑपरेशन टाईम्स हनुमना।। (1) सुकवरिया हत्याकांड में पुलिस की लीपापोती से जनता में फैला था रोष—
थाना हनुमाना के कैलाशपुर में हुए सुकवरिया हत्याकांड की जांच में निष्पक्षता न होने से पुलिस पर सवाल उठे थे। परिजनों और ग्रामीणों के आरोप के बाद भी पुलिस असली दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही थी। जिससे जनता में आक्रोश बढ़ा। जब लोग अनशन में बैठे तब पुलिस की आंख खुली और उसकी पुनः फाइल खोली गई। जिसमें कई अन्य लोग आरोपी बने। पूर्व में एक नाबालिक को आरोपी बनाकर फाइल को बंद कर दिया गया था लेकिन जब जनता का आक्रोश बड़ा और कलेक्टर कार्यालय के सामने अनशन में परिजन बैठे। तब उन्हें न्याय मिल पाया।
(2) बरांव में मादक पदार्थ तस्करों के बीच गोलीकांड, पुलिस पर मिलीभगत का आरोप—
बरांव में नशे के सौदागरों के बीच हुए गोलीकांड ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की डौल और तस्करों से मिलीभगत के चलते अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। वही इस घटनाक्रम में कई ऐसे लोगों को आरोपी बनाया गया था। जो घटना में शामिल नहीं थे। घटना में पाई गई गाड़ी नई गढ़ी थाने में खड़ी कराई गई थी। जिसको पुलिस ने जप्ती नहीं दिखाई और उसमें एक बड़ा खेल हुआ। जो आज भी सवालों के घेरे में है कि आखिर जिस गोली कांड में वाहन को पुलिस ने बरामद किया। उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की थी और किसके दम पर बेगुनाहों को आरोपी बनाया गया था। जांच में कहीं ना कहीं हीला हवाली की गई। जिससे पुलिस के प्रति नफरत बढ़ी।
(3) तत्कालीन थाना प्रभारी शाहपुर बीसी विश्वास पर हमले का मामला दबाने के प्रयास—
वरांव में तत्कालीन थाना प्रभारी शाहपुर बीसी विश्वास पर हुए हमले को लेकर भी पुलिस की कार्रवाई संदेह के घेरे में है। हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई न होने से आम जनता में पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
(4) ऊमरी दोहरे हत्याकांड में पुलिस जांच पर उठे सवाल—
ऊमरी में हुए दोहरे हत्याकांड में पुलिस की जांच पर स्थानीय लोगों ने संदेह जताया है। आरोप है कि पुलिस प्रभावशाली लोगों के दबाव में निष्पक्ष जांच नहीं कर पाई। जिससे अपराधियों के बच निकलने की आशंका है। घटनास्थल पर मौजूद चप्पल और अन्य निशान देहो पर काम न किया जाना भी पुलिस को शक के दायरे में लाया और जनता में पुलिस के प्रति अविश्वास बड़ा है।
(5) देवरा महदेवन में राजनीतिक दखल के कारण दर्ज हुए फर्जी अपराध—
देवरा महदेवन क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण फर्जी मामलों के दर्ज होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। आम जनता को झूठे मामलों में फंसाए जाने की शिकायतें बढ़ रही हैं। जिससे प्रशासन के प्रति अविश्वास गहराता जा रहा है। जिस तरह झूठ की राजनीति पर देवरा महादेवन में माहौल बनाया गया और लोगों में भय पैदा किया गया। वह कहीं ना कहीं पुलिस के कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है और पुलिस के प्रति नफरत पैदा करने का कारण बनता है। जिसको समय रहते रोका जाना आवश्यक है। देवरा महदेवन में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश की गई जो असफल रही। न्यायालयीन हस्तक्षेप से मामला कुछ समय के लिए टल गया है।
(6) अशोक कोल की मृत्यु में पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल—
अशोक कोल की मौत में पुलिस की निष्क्रियता और मामले को दवाने की कोशिशों से जनता में नाराजगी बढ़ थी। पीड़ित परिवार ने निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग कई बार की लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिससे पुलिस के प्रति नफरत बढ़ता गया। आज भी वह परिवार निष्पक्ष जांच की बाट जोह रहा है। निष्पक्ष जांच न होने से परिवार के साथ-साथ समाज भी उत्तेजित हुआ और गडरा में बलवा की स्थिति पैदा हुई।
(7) गडरा दोहरे हत्याकांड में प्रशासनिक लापरवाही से उपजा बवाल—
गडरा में हुए दोहरे हत्याकांड में प्रशासनिक चूक और निष्क्रियता के चलते हिंसात्मक घटनाएं बढ़ी हैं। पुलिस की अकर्मण्यता से उपजे जनाक्रोश के कारण कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हुई। जिस तरह से अब यह मामला राजनीतिक हस्तक्षेप से आगे बढ़ाया जा रहा है। वह कहीं ना कहीं वर्ग संघर्ष की ओर मऊगंज को ले जा रहा है। यदि प्रशासन ने इस पर रोक नहीं लगाया तो स्थिति और भी आगे विकट हो सकती है। एक वर्ग विशेष को जिस तरह भयभीत किया जा रहा है। वह मऊगंज के लिए हितकर नहीं है। गडरा में सामान्य स्थिति बहाल करना पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
(8) नए पुलिस अधीक्षक के सामने चुनौती, फर्जी मामलों को रोककर जनता का विश्वास जीतना होगा—-
मऊगंज जिले में लगातार बढ़ती हिंसात्मक घटनाओं और फर्जी मामलों को लेकर जनता में असंतोष व्याप्त है। यदि नए पुलिस अधीक्षक निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करते तो गडरा जैसे और भी गंभीर अपराध होने की आशंका बनी रहेगी। पुलिस को जनता में विश्वास बहाल करने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। जिस तरह से जिले में मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों की संलिप्तता पुलिस अधिकारियों के बीच में है उसे भी रोकना एक बड़ी चुनौती होगी। वहीं जिले के पुलिस थानों में फर्जी अपराधों के बढ़ने पर रोक लगाना भी एक बड़ी चुनौती है। जिस तरह मऊगंज जिले में फर्जी अपराध और सही अपराध करने वालों को बचाने के षड्यंत्र होते हैं। इस पर यदि रोक नहीं लगी तो मऊगंज जिला आग की भट्टी पर सुलगता रहेगा। प्रशासन को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचना भी जरूरी है और निष्पक्ष कार्यवाही प्रशासन के लिए एक चुनौती होगी। जिले में धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर भी शक्ति दिखानी होगी।।