लामीदह में विस्थापित कॉलोनी के लिए प्रक्रिया को लगाया पलीता
बंधा कोल प्रोजेक्ट: प्रशासन ने भूमि के बदले ईएमआईएल से 25 करोड़ रुपये जमा कराए, मगर वर्षों से स्थित जस की तास

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। बंधा कोल ब्लॉक परियोजना के भूअर्जन में नियमों और प्रक्रिया की अनदेखी का आरोप प्रभावित ग्रामीण लगा रहे थे, वहीं अब लामीदह व देवरी में बसाई जा रही विस्थापित कॉलोनी की जमीन आवंटन में भी गड़बड़ी की बातें सामने आने लगी हैं। लामीदह 65 खसरा की 96 हेक्टेयर यानी 140 एकड़ व देवरी की 5 खसरा की 4 हेक्टेयर यानी 10 एकड़ भूमि पर वर्षों से काबिज एससी तथा एसटी वर्ग के लोगों को बिना मुआवजा, विस्थापन, पुनर्व्यवस्थापन का लाभ दिए बिना हटाने का मामला हाईकोर्ट जबलपुर में जनहित याचिका दायर होने के बाद चर्चा में आ गया है। जनपद वैढ़न अध्यक्ष सविता सिंह की ओर से अधिवक्ता ब्रहोंद्र पाठक द्वारा दायर जनहित याचिका पर गत वर्ष 17 दिसंबर को चीफ जस्टिस की पीठ ने सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस ने याचिका को अभ्यावेदन मानकर 4 सप्ताह में निराकरण करने का कलेक्टर को निर्देश दिया था। कहा था कि बिना निराकरण व काबिज लोगों को बिना उचित लाभ यानी प्रतिकर, विस्थापन, व्यवस्थापन किए बिना न हटाएं। याचिकाकर्ता सविता सिंह ने गत 23 दिसंबर को इस आदेश की कॉपी कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत की थी। जिसके बाद उन्होंने ईएमआईएल को नोटिस जारी कर 3 जनवरी सुनवाई की तिथि तय की। तीन को हुई सुनवाई में ईएमआईएल की ओर से पेश अधिवक्ता ने लामीदह और देवरी में के लोगों को पुराना वाशिंदा नहीं माना था। इसे मुआवजा माफिया व अराजकतत्वों द्वारा रचित प्रकरण बताया था। वहीं याचिका पर 17 जनवरी, शुक्रवार को कलेक्टर कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ब्रहाँद्र पाठक ने माफिया मुआवजा और अराजकतत्व जैसे शब्दों को असंसदीय बताते हुए प्रोसिडिंग से हटाने की बात कहते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के बाद कलेक्टर ने निर्णय सुनाने के लिए 5 फरवरी तिथि तय की है।
विस्थापितों की संख्या ना-पता और बसा रहे कॉलोनी—
बंधा कोल ब्लॉक से प्रभावित पांचों गांवों बंधा, पिड़रवाह, पचौर, देवरी व तेंदुहा में न भूअर्जन प्रक्रिया पूरी हुई, न अवार्ड पारित किए गए, इसके पहले लामीदह एवं देवरी में विस्थापित कॉलोनी बसाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। बंधा प्रोजेक्ट के पांचों गांवों में 776 हेक्टेयर निजी भूमि एवं 1800 एकड़ शासकीय जमीन का अर्जन होना है। वहीं विस्थापितों की कॉलोनी के लिए लामीदह में 65 खसरा की 96 हेक्टेयर और देवरी के 5 खसरा की चार हेक्टेयर भूमि एलॉटमेंट का आदेश फरवरी 2023 में कलेक्टर द्वारा जारी कर दिया गया। भू संहिता की धारा 247 के तहत जमीन आवंटन से पहले सभी प्रक्रियाएं पूरी नहीं की गईं। एसडीएम से निरीक्षण व जांच रिपोर्ट ले ली गई कि भूमि नजूल में शासकीय में दर्ज है। इसके बाद लोगों को सुनवाई का मौका व मुआवजे का वितरण किए बिना ईएमआईएल से 25 करोड़ रुपये मूल्य जमा कराकर भूमि आनन-फानन आवंटित कर दी गई।
टीएचडीसी का प्रकरण बनेगा लामीदह के लिए नजीर— अधिवक्ता ब्रह्मेद्र पाठक ने बताया कि टीएचडीसी ने पिड़रवाह के ऐसे ही मामले में शासकीय जमीन पर वर्षों से बसे लोगों को हटाने से पहले उसका मुआवजा दिया है। वहीं पुनर्वास नीति 2002 के पैरा 2:3:1 के तहत यह उल्लेख है कि जो व्यक्ति शासकीय जमीन पर 3 वर्ष या इससे ज्यादा समय से काबिज है उसे भूस्वामी की तरह माना जाएगा। उन्होंने कहाकि वे लामीदह व देवरी में बसे लोगों को हटाने से पहले जमीन व परिसंपत्ति का मुआवजा देने के साथ उन्हें विस्थापन एवं पुनव्यवस्थापन का भी लाभ ईएमआईएल को देना होगा, क्योंकि भू संहिता के तहत उसको किया गया भूमि आवंटन अनुषांगिक गतिविधि श्रेणी में आता है।
लामीदह में 78 मकान तोड़े अब और 25 को तोड़ने की तैयारी—
लामीदह व देवरी में एससी-एसटी वर्ग के लोग वर्षों से बसे हैं। वर्ष 1981-82 के खसरे के कॉलम 12 में इनका कब्जेदार में नाम दर्ज है। फसलों का उल्लेख है। इसके बाद भी ईएमआईएल व पुनर्वास कॉलोनी बसाने वाले संविदाकार के लिए लामीदह में 78 लोगों के मकान तोड़ दिए गए तो 25 तोड़ने की तैयारी है। इसी के विरोध में सविता सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका 39472/2024 दायर की है।