सिंगरौली

जिले में खदानों के अंदर और बाहर बिना परमिट व फिटनेस के दौड़ रही गाड़ियां, विभाग मेहरबान

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जिसे देश का ऊर्जा धनी क्षेत्र कहा जाता है। यहां स्थित विभिन्न कोयला खदानों, पॉवर प्लांट्स और उद्योगों में हजारों वाहनों का संचालन होता है लेकिन इन वाहनों की स्थिति को लेकर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार बड़ी संख्या में ऐसे वाहन कंपनियों में लगे हुए हैं। जो नियमों को ताक पर रखकर खदानों में दौड़ रहे हैं। इन वाहनों के पास न तो वैध परमिट है न फिटनेस प्रमाण पत्र और न ही ये परिवहन नियमों के अनुरूप हैं।

बिना परमिट और फिटनेस के दौड़ रही गाड़ियां—
सिंगरौली के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले ट्रक, डंपर, हाईवा बसें और अन्य व्यावसायिक वाहन बड़ी संख्या में चल रहे हैं। नियमों के अनुसार किसी भी व्यवसायिक वाहन को सड़कों पर उतारने के लिए परमिट, फिटनेस प्रमाण पत्र, बीमा, रोड टैक्स भुगतान जैसे दस्तावेज अनिवार्य होते हैं। लेकिन इन वाहनों की वास्तविक स्थिति पर ध्यान दें तो अधिकांश वाहन इन जरूरी दस्तावेजों के बिना ही संचालित हो रहे हैं। स्थानीय लोगों और परिवहन क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह लापरवाही महज़ प्रशासन की अनदेखी नहीं बल्कि एक सुनियोजित मिलीभगत का नतीजा है। जिला परिवहन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में अवैध वाहन कैसे बेधड़क चल रहे हैं?

महीने में होती है ‘गुप्त बैठक’, कंपनियों को मिलता है संरक्षण..?
सूत्र बताते हैं कि जिला परिवहन विभाग समय-समय पर ऑटो चालकों और स्कूल बसों पर कार्रवाई कर खुद की पीठ थपथपाता रहे है लेकिन जब बात बड़े उद्योगों और ठेकेदारों द्वारा संचालित वाहनों की होती है। तब विभाग की चुप्पी संदेहजनक हो जाती है। पिछले कुछ महीनों में सिंगरौली जिले में कई बार ऑटो, टेम्पो और स्कूल बसों की जांच कर जुर्माना लगाया गया जबकि भारी संख्या में चल रहे अवैध ट्रक, डंपर, हाईवा और बसों की जांच तक नहीं की गई। यह स्थिति दर्शाती है कि दबंग ठेकेदारों और कंपनियों के मालिकों को प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है। सूत्रों के अनुसार जिला परिवहन विभाग और कंपनियों के प्रबंधकों व ठेकेदारों के बीच महीने में एक बार बैठक होती है।जहां लेन-देन के बाद कंपनियों को खुली छूट दी जाती है। इसके चलते कंपनियों में बिना परमिट और फिटनेस के वाहन बेरोकटोक चलते रहते हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों और छोटे वाहन चालकों को होता है। छोटे व्यवसायी और निजी वाहन मालिक जब नियमों का पालन नहीं करते तो उन पर जुर्माना लगाया जाता है लेकिन बड़ी कंपनियों के अवैध वाहनों को छूट मिल जाती है। बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के चल रहे इन वाहनों के कारण सड़क दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। कई बार ऐसे जर्जर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। जिससे मजदूरों और स्थानीय लोगों की जान पर बन आई है। इसके बावजूद जिला परिवहन विभाग की आंखें बंद हैं।।

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