
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। कम समय में अधिक काम कराने के लिए रेलवे के ठेकेदार ने बरगवां आरओबी निर्माण में सुरक्षा मापदंडों को दरकिनार कर दिया है। इतना ही नहीं रेलवे में सुरक्षा और संरक्षा प्रथम को भी मूलमंत्र भुलाकर आरओबी के स्पॉन की ढलाई करने के लिए दर्जनों श्रमिकों को 30 फीट की ऊंचाई पर चप्पल पहना कर चढ़ा दिया है। उनके सिर पर न हेलमेट है और न ही हाथों में दस्ताने। निहायत जरूरी सेफ्टी शूज और हाइट सेफ्टी बेल्ट से लेकर अन्य सुरक्षा उपकरण नदारद हैं। रेलवे में निर्माण कार्य कराने वाले ठेकेदार से यह उम्मीद नहीं थी कि श्रमिकों की सुरक्षा की अनदेखी की जायेगी। बरगवां रेलवे क्रॉसिंग क्रमांक-105 में आरओबी का निर्माण कार्य दो हिस्सों में किया जा रहा है। कुल 720 मीटर बॉयोडक्ट वाले पुल में रेलटॉप पर पुल का निर्माण कार्य पमरे जबलपुर के निर्माण विभाग की ओर से किया जाना है और बाकी का कार्य पीडब्ल्यूडी सेतु रीवा संभाग के द्वारा कराया जा रहा है। जिसे दिल्ली की पीआरएल इंफ्रा के द्वारा किया जा रहा है। रेलवे पार्ट का निर्माण रेलवे अपनी देखरेख में करा रहा है। जिसका बाजार की तरह तीन पिलर वाले टॉप पर ढलाई का कार्य चल रहा है और इसी निर्माण कार्य में संरक्षा धज्जियां उड़ाई जा रही है। बताया जा रहा है कि इन पुल पर के निर्माण कार्य में स्थानीय श्रमिकों को लगाया गया है। जिनकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गये हैं। करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य में अस्थायी श्रमिकों की संख्या, उनको दिए जाने वाले वेजेज और सुरक्षा के इंतजाम को देखने वाले श्रम विभाग को पता ही नहीं है कि यहां पर क्या कैसे चल रहा है। लोगों का कहना है कि श्रम विभाग साइट निरीक्षण करने भी नहीं पहुंचा है और ऑल इज वेल के नाम पर सब कुछ चल रहा है।
तो फिर कौन बनेगा जिम्मेदार—?
वैसे तो कोई यह नहीं चाहेगा कि मेहनत और मजदूरी करके अपने परिवार को पालने वाले किसी भी श्रमिक को थोड़ी सी भी चोट पहुंचे। जरा सी चोट न पहुंचे और सुरक्षापूर्वक कार्य हो जाए इसलिए सभी प्रकार की सुरक्षा उपाय पूर्ववत किए जाने चाहिए। फिर भी यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? यह सवाल बड़ा है दुर्घटना के मामले में कोई भी ठेकेदार यह भी नहीं कहना चाहते हैं कि वह मेरी साइट पर काम कर रहा था। इसलिए रेलवे संविदाकार को सुरक्षा उपकरणों के बिना किसी भी श्रमिक को ऊंचाई पर चढ़ाकर कार्य नहीं कराना चाहिए।
क्यों अनदेखी कर रहा पमरे जबलपुर—
मझौली और बरगवां के बीच बना रहे इस क्रॉसिंग क्रमांक 105 पर आरओबी के निर्माण कार्य में पमरे जबलपुर के संबंधित रेल अधिकारी भी श्रमिकों की सुरक्षा की क्यों अनदेखी कर रहे हैं? क्या वे किसी भी दुर्घटना के बाद स्वयं जिम्मेदारी लेंगे या फिर संविदाकार का श्रमिक कह कर उस पर ही पूरी जिम्मेदारी थोप देंगे। साइट से नदारद रहने वाले रेलवे के अधिकारियों व संबंधित कर्मचारियों को आरओबी निर्माण के दौरान जिस प्रकार मैटेरियल और निर्माण कार्य में गुणवत्ता पूर्ण कार्य कराने की जिम्मेदारी होती है। उसी प्रकार कार्य करने वाले श्रमिक से लेकर इंजीनियर तक की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होता है।
तो संविदा शर्तों में नहीं थी सुरक्षा शर्तें—
जिस प्रकार आरओबी का रेल पार्ट बनाने वाले ठेकेदार के द्वारा सुरक्षा नियमों की अनदेखी की जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि रेलवे ने सुरक्षा की कोई शर्त ठेकेदार पर नहीं लगायी है। वैसे भी जिले में आए दिन हो रही दुर्घटना और मौतों से जिला प्रशासन सकते में है, तो दूसरी तरफ छोटी छोटी बचत के लिए कई करोड़ रुपये की लागत में किए जाने वाले कार्य के ठेकेदार श्रमिकों की सुरक्षा को दरकिनार कर ऊंचाई पर कार्य कर रहा है।
कम से कम इतनी सुरक्षा तो देनी ही चाहिए—
आरओबी में कार्य करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा मापदंडों की सरेराह अनदेखी हो रही है। आरओबी में सड़क से लगभग 30 फीट की ऊंचाई पर स्पॉन ढलाई का कार्य चल रहा है। जह पर श्रमिक आरसीसी को भरने के लिए पाइप सहित अन्य भारी भरकम सामान उठाने का कार्य कर रहे हैं। श्रमिक सुरक्षा के लिहाज से श्रमिकों को हाइट में काम करने के लिए हाइट सुरक्षा बेल्ट, सेफ्टी हेलमेट, रिफ्लेक्टिव जैकेट, सेफ्टी गोगल्स उच्च गुणवत्ता के सेफ्टी शूज, लेदर हैंड ग्लव्स उपलब्ध करवाने चाहिए परन्तु साधारण चप्पल पहन कर इतनी ऊंचाई पर मजदूर काम करते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं।