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ASI शहीद, 8 पुलिसकर्मी घायल, पुलिस और पब्लिक के बीच पथराव, फायरिंग

ऑपरेशन टाईम्स रीवा।। मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले में होली के दूसरे दिन बड़ा कांड हो गया। आदिवासियों ने एक युवक को बंधक बना लिया। उसे मुक्त करने पहुंची पुलिस पर हमला किया और पुलिस को भी बंधक बना लिया। पुलिस और आदिवासियों के बीच यह लड़ाई 4:30 बजे से लेकर 8:30 बजे तक चली। इसमें एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर रामगोविंद गौतम, हमलावर आदिवासियों से लड़ता हुआ शहीद हो गया। आठ पुलिस कर्मचारी घायल हो गए।

मऊगंज कांड की कहानी – शुरू से अब तक–
स्थानीय लोगों ने बताया कि रजनीश द्विवेदी की गड़रा गांव में जमीन है। गांव का ही रहने वाला अशोक कोल (आदिवासी) उनके यहां अधिया पर काम करता था। कुछ दिन पहले अशोक ने इसी जमीन से लगी भूमि को खरीद लिया था। लोगों का कहना है कि सनी और उसके परिवार वालों को यह बात अच्छी नहीं लगी। करीब दो महीने पहले अशोक रजिस्ट्री करवाने के लिए हनुमना गया था। बाइक से लौटते वक्त सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई थी। परिवार वालों का आरोप था कि सनी ने उसकी हत्या की है।

पुलिस जांच के बाद भी द्विवेदी परिवार से दुश्मनी ठान ली थी–
शाहपुर थाने के तत्कालीन टीआई जगदीश ठाकुर ने बताया था कि अशोक की बाइक भैंस से टकरा गई थी। इसी कारण वह गिर गया था, जिससे गंभीर घायल होने से मौत हुई है। अशोक के परिवार वाले ने हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इसी के बाद से अशोक के परिवार वालों ने द्विवेदी परिवार से दुश्मनी मान ली।

शनिवार को हत्या करने के बाद आदिवासियों को इकट्ठा कर लिया–
लोगों का कहना है कि दोपहर करीब 1:30 बजे सनी घूमते हुए आरोपियों के मोहल्ले में चला गया। इसी दौरान अशोक के परिवार वालों ने उसे पकड़ कर बंधक बना लिया। मारपीट भी की। इससे उसकी मौत हो गई। इस बीच कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी। इधर अशोक के परिवार वालों ने आसपास के गांव के आदिवासी समाज के लोगों को बुला लिया। करीब 250 लोग इकट्‌ठा हो गए।

परिवार वालों को मिलने तक नहीं दिया–
मृतक सनी द्विवेदी के भाई रोहन ने बताया कि रात में पिताजी के पास कॉल आया कि अशोक कोल के बेटे ने मेरे भाई सनी को घर में बंद किया है। जैसे ही मैं वहां पहुंचा, तो उन्होंने कहा कि जब तक एसपी-कलेक्टर नहीं आएंगे, इसे नहीं छोड़ेंगे। इतने में पिताजी आ गए। उन पर भी हमला कर दिया। मुझे भी पीटा। मेरी बहन भी आ गई।

पुलिस टीम आई तो उसे भी बंधक बनाकर पीटा–
बंधक बनाकर युवक की पिटाई की सूचना मिलते ही शाहपुर थाना प्रभारी संदीप भारतीय अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जैसे ही कमरे को खुलवाया गया तो देखा कि युवक सनी द्विवेदी की मौत हो चुकी है। फोर्स को देखकर आदिवासियों ने पुलिसवालों पर भी डंडे और पत्थरों से हमला कर दिया। हमले में थाना प्रभारी संदीप भारतीय, हनुमना तहसीलदार कुंवारे लाल पनिका, एएसआई बृहस्पति पटेल, ASI राम चरन गौतम, एसडीओपी अंकिता सूल्या और 25वीं बटालियन के जवाहर सिंह यादव समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

महिला SDOP और SI ने खुद को कमरे में बंद किया–
पुलिस टीम को बचाने के लिए ​​​​एसडीओपी अंकिता शूल्या और एसआई आरती वर्मा ने एक्शन लिया तो उन पर भी हमला कर दिया गया। हमलावर आदिवासियों से जान बचाने के लिए दोनों महिला अधिकारियों ने खुद को गांव में ही एक कमरे में बंद कर लिया। उन्होंने पुलिस हैडक्वाटर को इमरजेंसी अलर्ट दिया और बैकअप फोर्स की मांग की। आधे घंटे बाद बाद भारी पुलिस फोर्स पहुंचा। फायरिंग करते हुए पुलिस अंदर घुसी और बंधक बनी एसआई-एसडीओपी को बाहर निकाला। सनी द्विवेदी के शव को भी बाहर लाया गया। रात 8:00 बजे रीवा से भी भारी संख्या में बैकअप फोर्स आ गया था। यह देखकर सभी 250 आदिवासी घटनास्थल से फरार हो गए।

ASI रामगोविंद गौतम शहीद, TI-तहसीलदार समेत 10 घायल–
आमने-सामने के इस संघर्ष में हमलावर आदिवासियों से बंधक बनाए गए पुलिस अधिकारियों की रक्षा करते हुए एसएएफ के एएसआई रामगोविंद गौतम शहीद हो गए। घटना में घायल शाहपुर थाना प्रभारी शाहपुर संदीप भारती, हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका, एएसआई जवाहर सिंह यादव, राम केवट, राम लखन मिश्रा को रीवा रेफर किया गया है। वहीं, विकास पांडेय, प्रीति यादव, रामवचन यादव, देववती सिंह, बृहस्पति पटेल को सिविल अस्पताल और आशीर्वाद हॉस्पिटल मऊगंज में भर्ती कराया गया है। मृतक एएसआई रामगोविंद गौतम, 25वीं बटालियन भोपाल में थे। वे सतना के कोठी थाना इलाके के पवैया गांव के रहने वाले थे और आठ महीने बाद उनका रिटायरमेंट था।

6 माह में पुलिस पर दूसरा हमला–
एसपी रसना ठाकुर के कार्यकाल में यह दूसरा मौका है जब शाहपुर थाने की पुलिस पर दूसरा हमला हुआ है।इससे पहले सितंबर माह में बरांव में अवैध शराब जब्त करने एसआई विश्वास के साथ बल लेकर एसडीओपी अंकिता सुल्या गयी थी। तब भी विश्वास समेत कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। उसे समय यदि कड़ी कार्रवाई की गई होती तो आज यह घटना नहीं होती। पुलिस अधीक्षक की लापरवाही के कारण कानून और व्यवस्था की स्थिति खतरे में आ गई।

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