
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। देवसर तहसील के ढोंगा गांव में पिछले दिनों एक जमीन की फर्जी रजिस्ट्री का सनसनी खेज मामला सामने आने के बाद प्रमुख आरोपी स्टांप वेंडर व रजिस्ट्री लेखक आलोक द्विवेदी अभी भी कार्यवाही से दूर है जबकि मामले की शिकायत तमाम प्रशासनिक दफ्तरों में की गई थी दरअसल मामले के संबंध में बताया जाता है कि पट्टेदार महिला के नाम पर दूसरी महिला दिखाकर जमीन की रजिस्ट्री करा दी गई थी कूट रचित दस्तावेज तैयार कर जमीन की रजिस्ट्री करने का मामला कुंदवार पुलिस चौकी सहित कलेक्टर सिंगरौली की संज्ञान में पहुंचाया गया था फिर भी अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है जिस वजह से आरोपियों की मनमानी अभी जारी है इधर पीड़ित काफी परेशान हैं।
मामले पर एक नजर—
देवसर तहसील के ढोंगा निवासी राम सुरेश केवट पिता स्वर्गीय वंश पति केवट ने शिकायत पत्र देते हुए आरोप लगाया है कि उनकी माता तिलरनीया उर्फ दुलरनिया केवट पति स्वर्गीय वंश पत्ति केवट की मानसिक स्थिति सही नहीं होने के कारण अपने घर से वर्ष 2012 में गुमशुदा हो गई है लेकिन उनके नाम ग्राम ढोंगा की आराजी नंबर 989/1/1 रकबा 0.5400 हेक्टेयर भूमि को दादू लाल माझी पिता वंश पति के द्वारा धोखाधड़ी कर किसी दूसरी महिला को खड़ा कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाया गया है रजिस्ट्री पंजीयन क्रमांक एमपी 508462022 ए 1915272 दिनांक 06/09/2022 को रजिस्ट्री हुई है।
कूट रचित दस्तावेज तैयार कर हुई रजिस्ट्री—
बताते हैं कि इस फर्जी रजिस्ट्री की कहानी योजनावद्ध तरीके से गढ़ी गई पट्टेदार महिला जो पिछले 10 वर्षों से गायब है उसकी जगह किसी दूसरी महिला जो नौगई गांव की बताई जा रही है उसी महिला को बुलाकर कूट रचित दस्तावेज तैयार किया गया चूंकि पट्टेदार महिला का आधार कार्ड ना होने की वजह से मतदाता परिचय पत्र का सहारा लिया गया और रजिस्ट्री में जरूरी दस्तावेज के कॉलम में आधार कार्ड लिखा गया है तथा आधार नंबर की जगह मतदाता सूची का नंबर दशार्या गया है इसके अलावा भी अन्य दस्तावेज भी कूट रचित तरीके से तैयार किए गए हैं।
रजिस्ट्री लेखक के कार्यालय में गढ़ी गई पूरी कहानी—
बताते हैं कि यह फर्जी रजिस्ट्री करने की पूरी कहानी रजिस्ट्री लेखक व स्टांप वेंडर आलोक द्विवेदी के देवसर मुख्यालय स्थित कार्यालय में गढ़ी गई जमीन के क्रेता और स्टांप वेंडर ने मिलकर इस पूरे खेल को अंजाम दिया और फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेधड़क रजिस्ट्री करा दी।
उप पंजीयक को किए थे गुमराह—
इस पूरे मामले में तत्कालीन उप पंजीयक गंगाराम पांडे को भी आरोपी बनाया जा सकता है लेकिन इसमें प्रमुख आरोपी स्टांप वेंडर व रजिस्ट्री लेखक आलोक द्विवेदी को ही माना जा रहा है क्योंकि देवसर मुख्यालय स्थित स्टाम्प वेंडर के कार्यालय में पूरी कहानी गढ़ी गई बताते हैं कि क्रेता एवं स्टांप वेंडर ने योजना बनाकर कूट रचित दस्तावेज तैयार करने के साथ गलत तरीके से रजिस्ट्री लिखी गई और उपपंजीयक के सामने जब पेश किया गया तो उन्हें वास्तविक स्थिति से अवगत नहीं कराया गया और वे रजिस्ट्री करने के बाद इस खेल से अवगत हुए थे