
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। कोल खदानों से विद्युत परियोजनाओं के लिए कोयला ढुलाई में लगे ट्रेलर सभी मानको को ताक पर रखकर लगे हुए है। इन ट्रेलर वाहनो में 18 चक्का की जगह 14 चक्का लगाकर निर्धारित से अधिक कोयला लोड कर मुख्य मार्ग पर सरपट दौड़ रहे हैं। जिससे आए दिन जहां दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं वहीं मुख्य मार्ग पर वायु एवं ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है। ऊर्जाचल में विभिन्न कोल परियोजनाओं से प्रतिदिन हजारों ट्रेलर कोयला ढुलाई में लगे रहते हैं। ट्रांसपोर्टर एवं वाहन मालिक अधिक कमाई के चक्कर में ट्रेलर वाहनों में 18 चक्के के स्थान पर 14 चक्का लगाकर कोल परिवहन कर रहे हैं। कोल परियोजनाओं में चलने वाले ट्रेलर 14 चक्का इस लिए लगाए हुए हैं कि एक तो टायर की खपत कम हो तथा दूसरी वजह टायर व एक्सल निकलवा देने से गाड़ी का वजन लगभग दो टन कम हो जाता है और इसके बदले वह दो-तीन टन कोयला अधिक परिवहन कर लेते हैं। ऊर्जाचल में 60 प्रतिशत ट्रेलरों में 18 की जगह 14 चक्का ही लगा हुआ है औ र इन 14 चक्के वाले ट्रेलरों पर 35 टन की जगह निर्धारित 40 टन से भी अधिक कोयला परिवहन किया जा रहा है।
टन के हिसाब से होता है हिसाब,इसलिए होती है ओवरलोडिंग—
ट्रांसपोर्टर व वाहन स्वामी को कोयला ढुलाई का भुगतान टन के हिसाब से होता है। ट्रेलर वाहन निर्माता द्वारा सभी बिदुओं को ध्यान में रखते हुए विशालकाय ट्रेलर को सडक़ पर सुचारू रूप से संचालित होने के लिए 18 चक्के के मानक निर्धारित किया गया है। कंपनी से जब ट्रेलर निकलते हैं तो उसमें 18 चक्के लगे रहते हैं। जब यह ट्रेलर कोल परिवहन में जुड़ जाते हैं तो इनके संचालक ट्रेलर से चार चक्के व उसके एक्सल को निकाल देते हैं। जिससे वाहन का वजन दो टन कम हो जाता है। जिसका यह उपयोग अधिक कोयला लोड करने के लिए करते हैं। ट्रेलर में चक्का कम हो जाने से सडक पर परिवहन के दौरान चालक द्वारा अचानक ब्रेक लगाने पर वह अनियंत्रित हो जाते हैं। जिससे अक्सर दुर्घटनाएं घटित होती रहती है।
कभी प्रतिबंधित तो कभी छूट—
जानकारी के लिए कोल वाहनों को कभी प्रतिबंधित कर दिया जाता है। तो कभी छूट दे दी जाती है। ऐसी स्थिति में ट्रांसपोर्टर जिला प्रशासन के आदेश को मानने के लिए तैयार नहीं रहते। वहीं पुलिस को पूरा संरक्षण मिला रहता है। कहीं कोई दिक्कत आए तो ट्रेलर वाहनों को छोडने के लिए पुलिस अधिकारियों की ओर से सिफारिश की जाती है।
यह है निर्धारित रूट—
अमलोरी, अलगावी, जयन्त, दुद्धीचुआ, खडिया, झिंगुरदाह से कोयला लेकर मोरवा होते हुए गोरबी से बरगवां पहुंचेंगे। इसके बाद बरगवां से तेलदह, नौगई होकर परसौना होते हुए खुटार, रजमिलान से प्लांटों में जाएंगे। यह रूट जिला प्रशासन की ओर से जारी किया गया है लेकिन इस रूट का पालन नहीं हो रहा है। बल्कि पुलिस अधिकारी व ट्रांसपोर्टरों की सांठगांठ से मनमानी रूट से कोल पविहन करने में कोई कसर नहीं छोड़ा जा रहा है।