
ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जो एक ओर ऊर्जा उत्पादन में देश की अग्रणी भूमि मानी जाती है, वहीं अब यह जिला धीरे-धीरे जिस्मफरोशी के गढ़ के रूप में बदनाम होता जा रहा है। जिले में खुलेआम संचालित हो रहे स्पा सेंटर अब सौंदर्य सेवाओं के नाम पर देह व्यापार के अड्डे बन चुके हैं। सिंगरौली मुख्यालय में जिला न्यायालय से महज़ कुछ कदम की दूरी पर ही संचालित कई स्पा सेंटर इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये गतिविधियाँ अब बेखौफ तरीके से हो रही हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
स्पा सेंटर या जिस्मफरोशी का अड्डा—
सूत्रों की मानें तो जिले में कई स्पा सेंटर ऐसे हैं, जो एक ही लाइसेंस के नाम पर कई शाखाएं चला रहे हैं। कुछ स्पा सेंटर तो बिना किसी वैध लाइसेंस के ही वर्षों से संचालित हो रहे हैं। प्रशासनिक निरीक्षण की कोई व्यवस्था न होने से यह धंधा अब मकड़ी के जाल की तरह पूरे जिले में फैल चुका है। रात के अंधेरे में इन स्पा सेंटरों का असली चेहरा सामने आता है। कथित रूप से लड़कियों को ‘डिमांड’ पर ग्राहकों को भेजा जाता है। कई बार इन केंद्रों से जुड़ी महिलाओं और युवतियों के अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने जैसे संगीन आरोप भी सामने आ चुके हैं।
पूर्व में हुई हत्या भी बनी चेतावनी—
पूर्व में स्पा सेंटर से जुड़े एक संचालक की हत्या ने पूरे शहर को झकझोर दिया था, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यह मामला मीडिया की सुर्खियां बना, मगर नतीजा आज तक शून्य है। यह सिर्फ अवैध धंधे की बात नहीं, बल्कि समाज के नैतिक पतन की भी त्रासदी है। स्पा सेंटरों के जरिए युवा वर्ग, खासकर किशोर अवस्था के लड़के, इस जाल में फंसते जा रहे हैं। नशे और यौन शोषण का यह चक्र उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रहा है।
प्रशासनिक जाँच की सख़्त ज़रूरत—
जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस तीनों ही विभाग इस बढ़ते अवैध व्यापार पर खामोश हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर किसके संरक्षण में ये गोरखधंधा फल-फूल रहा है? क्या प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह सब संभव है? सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों को सामने आकर इस अवैध व्यापार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। प्रशासन को भी चाहिए कि वह जांच कराए, अवैध स्पा सेंटरों को तत्काल सील करे और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।