सिंगरौली

जब शहर में नही थम पा रहा अवैध रेत का परिवहन तो ग्रामीण क्षेत्रों का कैसा होगा हाल

ऑपरेशन टाइम्स सिंगरौली।। शहर में रेत का ओवरलोड परिवहन धड़ल्ले से किया जा रहा है। एक ट्रिप में हजार फीट तक रेत भरकर लाने के लिए उन्होंने हाइवा के ऊपर तक लोड कर लेते है। यह सभी हाइवा दिन व रात के समय जिले के विभिन्न मार्गों से होते हुए बॉर्डर पार पहुंचते हैं। जिले के पदाधिकारियों की सख्ती के अभाव में ओवरलोडेड वाहनों का परिचालन धड़ल्ले से हो रहा है। चाहे मालवाहक वाहन हों या यात्री वाहन धड़ल्ले से ओवरलोड का खेल चल रहा है। ऐसे में बिना रोक टोक गुजरने वाले वाहन सरकार को राजस्व के नाम पर लाखों रुपए का चुना प्रतिदिन लगा रहे हैं। जिसके तरफ न तो परिवहन विभाग सख्त है और नहीं प्रशासन की ओर से इसको लेकर कोई ठोस पहल किया जाता है। एक तरफ मालवाहक ओवरलोड वाहन जहां राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे है। वहीं हादसे को भी निमंत्रण दे रहा है। जिले में यात्री वाहनों में ओवरलोड धड़ल्ले से चल रहा है। लेकिन यातायात पुलिस और थाने की पुलिस सिर्फ दो पहिया वाहन चालकों का हेलमेट न होने, दस्तावेज पूरे न होने के ही चालान काट कर अपना लक्ष्य अधिकारियों तक पहुंचा रहे हैं। बता दें कि सिंगरौली जिले में हर दिन रेत, गिट्टी के लगभग हजारों हाइवा, डंपर/ट्रक आते हैं। मुख्य रास्तों के अलावा संकरे रास्ते से भी यह शहर में पहुंचते हैं। डंपर में लोड की सीमा से अधिक रेत भरी जा रही है। ये न केवल शहर में प्रवेश कर रहे हैं बल्कि कई सड़कें भी खराब कर चुके हैं। उच्च अधिकारियों के निर्देश के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाई जा सकी है।

यातायात पुलिस की नज़रों से होकर शहर में घुसते है ओवरलोड वाहन—
शहर की मुख्य सड़कों पर रात-दिन ओवरलोड वाहन फर्राटा भर रहे हैं। इसके कारण शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर जाम की स्थिति हो जाती है। जिले में ओवरलोड वाहन न केवल सड़कों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं बल्कि लोगों के जीवन के लिए भी खतरा बने हैं। सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ रहा है साथ ही शहर की सड़कें भी जर्जर हालत हो गई है। खास बात यह है कि प्रशासन की ओर से प्रत्येक माह होने वाली रोड ओवरलोड गाड़ी चलने से सड़क भी ध्वस्त होने के कगार पर है। इसके चलते धूल का गुबार उड़ने से कुछ भी दिखाई नहीं देता है। जिससे हमेशा दर्घटना की आशंका रहती है। अधिकतर ओवरलोड वाहनों पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे होते हैं। इससे रात के समय यह नजर नहीं आते हैं। कई वाहनों तो बगैर नंबर के ही चल रहे हैं। रात को इन वाहनों के चालक हेडलाइट बंद करके चलते हैं। सामने से वाहन आता तो अचानक डिपर देते हैं। जिससे अचानक आंखों में लाइट पड़ने से चालक असमंजस में पड़ जाता है और दुर्घटनाएं होती हैं।

चौराहों, तिराहों पर रहती है यातायात पुलिस की ड्यूटी—
सेफ्टी की बैठक में ओवरलोड वाहनों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए जाते हैं और कार्रवाई के नाम पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है।

बिना ढके चलते हैं रेत ओवरलोड—
वाहन शहर के मुख्य मार्ग पर पुलिस ड्यूटी करती है और चौराहों, तिराहों पर भी पुलिसकर्मी मुश्तैद रहते हैं। इसके बाद भी ओवरलोड वाहनों पर कोई रोक नहीं लगाई जाती। तय क्षमता से ज्यादा मामल लादने के बाद कभी भी वाहन के असंतुलित होने की संभावना रहती है, इससे बड़ा हादसा भी हो सकता है। जिसकी चपेट में खुद वाहन चालक व अन्य लोग आ सकते हैं। बता दे ओवरलोड रेत तिरपाल से ढके नहीं होते हैं जिससे राहगीरों, साइकिल, मोटरसाइकिल चालकों के आंखों में रेत के कण जाते हैं।।

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