मुद्दे की बात लक्ष्मण चतुर्वेदी के साथसिंगरौली

बंधौरा में मुआवजे को लेकर विस्थापितों में कई दिनों से सुलग रही थी आग

महान एनर्जेन के लिए कुछ दिन पहले भी जमीन खाली कराने को लेकर हुई थी मारपीट

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। बंधौरा में महान एनर्जेन कंपनी और विस्थापितों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुआवजा, नौकरी, भत्ता आदि की मांग को लेकर नगवां, कसुआलाल, बंधौरा आदि गांवों के विस्थापित कंपनी प्रबंधन की नीतियों से खुश नहीं हैं। यही वजह है कि आये दिन वाद-विवाद की स्थितियां निर्मित हो रही हैं। सोमवार को जो विवाद व मारपीट हुई उसके पीछे की मुख्य वजह मुआवजा वितरण है। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा कुछ लोगों को ज्यादा मुआवजा दिया गया तो कुछ लोगों मुआवजे की मांग करने पर लाठी-डंडे मिल रहे हैं।


सोमवार को नगवां स्थित जमीन पर ऐश डाइक बनाने के लिए कंपनी प्रबंधन द्वारा सुरक्षाकर्मी लगाकर जमीन का समतलीकरण किया जा रहा था। जिसका विरोध करने के लिए ग्रामीण पहुंचे। विरोध के दौरान एक गांव की एक महिला को कंपनी की महिला बाउंसरों ने धक्का दे दिया। इसी बात को लेकर कहासुनी शुरु हुई और दोनों पक्षों के बीच देखते ही देखते लाठी डंडे व पत्थरबाजी होने लगी। जिससे मौके पर अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया। मारपीट में कंपनी के कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों के साथ कई ग्रामीण भी घायल हुए हैं। दरअसल बंधौरा में एस्सार द्वारा पावर प्लांट की स्थापना की गई थी। एस्सार कंपनी ने कई गांवों के किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया था। जिसमें कुछ किसानों को जमीनों का समुचित मुआवजा न दिये जाने की बात करते हुए विस्थापित समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं।


विगत वर्षों के दौरान एस्सार पावर को महान एनर्जेन कंपनी ने खरीद लिया लेकिन जिन किसानों को शुरुआत में उचित मुआवजा नहीं मिला था। इस कारण किसान व ग्रामीण लगातार मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे। विस्थापितों का कहना है कि मुआवजा वितरण के साथ नौकरी देने में कंपनी प्रबंधन द्वारा भेदभाव किया गया। इन्ही सब मांगों को लेकर विस्थापित अड़े हैं। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि पूर्व में सभी विस्थापितों को पूरा मुआवजा और अन्य लाभ दिया जा चुका है। विस्थापित जान-बूझकर हंगामा खड़ा करते हैं। सोमवार को जो घटनाक्रम हुआ वह ग्रामीणों द्वारा जान-बूझकर किया गया ताकि कंपनी अधिग्रहित जमीनों पर काम शुरु न कर पाये। फिलहाल, मामला जो भी हो। अगर समय रहते निराकरण नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में वाद विवाद की स्थितियां बनती रहेंगी।


कई वाहन और मशीनें भी हुईं क्षतिग्रस्त—
सोमवार को विवाद व पत्थरबाजी के दौरान नगवां में कंपनी के कर्मचारियों की कई चारपहिया गाडियों में तोड़फोड़ की गई है। वहीं जमीनों को समतल करने में लगी मशीनों को भी नुकसान पहुंचा है। मारपीट व पत्थरबाजी में घायल कंपनी के कर्मचारियों को जिला अस्पताल व एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। वहीं घायल ग्रामीण अपने स्तर पर इलाज करा रहे हैं।

इसके पहले भी हो चुकी है भिड़ंत—
साल 2007-08 में कंपनी की स्थापना के लिए जब जमीनों का अधिग्रहण चल रहा था उस समय भी जमकर विवाद हुआ था। जिसमें ग्रामीणों के साथ-साथ राजस्व और पुलिस महकमे के लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। कुछ महीने पहले भी विस्थापितों की जमीन में कब्जे को लेकर कंपनी कर्मचारियों और विस्थापितों के बीच जमकर विवाद हुआ था और एक-दूसरे के बीच लाठी डंडे चले थे। ग्रामीणों का आरोप था कि कंपनी प्रबंधन धन-बल का उपयोग करते हुए जबरन जमीनों पर कब्जा किया था। उसी समय से अंदर ही अंदर विस्थापितों में आक्रोश पनप रहा था। सोमवार को जब कंपनी के कर्मचारी जमीनों में कब्जा करने पहुंचे तभी दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरु हो गया। जिसमें दोनों पक्षों से एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं।

इनका कहना है —
विवाद की जानकारी लगते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। विवाद के पीछे मुआवजे की बात सामने आई है। दोनों पक्षों से शिकायतें मिली हैं। जांच की जा रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।
केके पांडेय,एसडीओपी मोरवा

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