श्रीराम कथा के तीसरे दिन भगवान राम के जन्मोत्सव कथा को श्रवण कर भावविभोर हुए श्रोता

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। सिंगरौली जिला मुख्यालय बैढ़न के एनसीएल ग्राउंड में आयोजित श्रीराम कथा यज्ञ के तीसरे दिन परम् पूज्य श्री राजन जी महाराज ने भगवान राम के जन्म की अलौकिक कथा का वर्णन करते हुए भक्तो को श्रवण कराया। इससे पहले कथा के दूसरे दिन भगवान भोले शंकर और माता पार्वती के शुभ विवाह की कथा सुनाकर भक्तो को आनन्दित किया था। कथा की शुरुआत भगवान भोलेनाथ से माता पार्वती द्वारा भगवान श्रीराम के पूर्ण लीला की कथा सुनने की इच्छा व्यक्त करने से की गई। भोलेनाथ ने नारद मोह प्रसंग सुनाते हुए कहा भगवान विष्णु के द्वारा धारण किये गये विश्वमोहिनी रूप पर मोहित होकर देवर्षि नारद ने भगवान से सुंदर शरीर मांगा ताकि विश्व मोहिनी से शादी कर सके।
भगवान विष्णु ने नारद ऋषि के इस मोह को दूर करने के लिये बन्दर का चेहरा दे दिया। जब नारद जी खुश होकर निकले और देवता लोग हंसने लगे। उनसे हसने का कारण जानने पर नारद बहुत दुखी हुए और भगवान पर अत्यंत क्रोधित हो उन्हे श्राप दे दिया। कहा जिस रूप को आपने मुझे दिया है। वही रूप आपको रामावतार में सहयोग करेंगे। आज जिस तरह पत्नी के वियोग में तड़प रहा हूँ। आप भी तड़पेंगे। तब यही बन्दर आपको इस दुख से बाहर निकालेंगे।
जब भगवान ने अपनी माया वापस की तो नारद जी ने कहा भगवान मैं तो आपका भक्त हूं। आपने तो मुझे भी अपनी माया से मोहित कर दिया। तब भगवान ने कहा आप मेरे आराध्य भोलेनाथ का जप कीजिये। आपको मेरी माया नही व्याप्त होगी। इसके बाद पूज्यवर आचार्य राजन जी महाराज ने रावण के जन्म, लंका का राज और पृथ्वी पर रावण के फैले आतंक का संक्षिप्त वर्णन करने के बाद प्रभु श्रीराम के जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया और इसके परिणाम स्वरूप राजा दशरथ के राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन जैसे चार पुत्र उत्पन्न हुए।
श्री राजन जी महाराज ने गर्भ गृह में चतुर्भुजधारी भगवान विष्णु और माता कौशल्या के संवाद को पहले भक्त और भगवान के रूप में वर्णन किया। वही लोक लीला के लिये मनुष्य तन धारण करने वाले श्री हरि ने माया से माता कौशल्या से पुत्र रूप की कामना कराकर शिशु रूप में रोदन करने और महल में खुशी के माहौल को आनन्दित करने वाली अपनी वाणी से सुनाकर सभी भक्तों को जहां मंत्रमुग्ध कर दिया। वही सभी के हृदयों में भक्ति रस की गंगा को मचलने के लिये विवश कर दिया। भगवान को शिशु रूप में रोदन करते ही मानो राजमहल में खुशियों की बरसात होने लगी। पुत्र होने की खबर सुनते ही चक्रवर्ती महाराज दशरत मानो बेसुध हो गये। स्वयं ही बाजा बजाने वालो को बाजा बजाने के लिये कहने लगे और निछावर लुटाने लगे। पूरी अयोध्या में उत्सव होने लगा। देवता गंधर्व किन्नर सभी मनुष्य रूप धारण कर भगवान श्री हरि की मनुष्य रूप में छटा देखने के लिये अयोध्या आने लगे। भगवान भोलेनाथ माता पार्वती से कहते है देवी मैं आप से एक बात छुपायी थी।वह भी बताता हूँ। अपने आराध्य के धरती पर अवतार लेने की खबर सुनकर मुझसे रहा नही गया और मैं कागभुसुंडि जी के साथ चुपके से अयोध्या जाकर अपने आराध्य का दर्शन कर आया हूँ।।