सिंगरौली जिले में भूअर्जन अधिनियम की अनदेखी, ग्रामीण विस्थापितों का दमन जारी

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। सिंगरौली जिले में प्रशासन द्वारा भूअर्जन अधिनियम के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए भूअर्जन की कार्यवाही की जा रही है। जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस कार्यवाही को जिला कलेक्टर के आदेश के आधार पर अंजाम दिया जा रहा है जबकि कानूनी रूप से भूअर्जन की प्रक्रिया के लिए अधिनियम में स्पष्ट धाराएं निर्धारित की गई हैं।
प्रमुख बिंदु:—
👉 प्रशासन बिना उचित कानूनी प्रक्रियाओं के केवल जिला कलेक्टर के आदेश पर ही भूमि अधिग्रहण कर रहा है।
👉 अधिग्रहण के दौरान सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। जिससे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का माहौल है।
👉 विस्थापित ग्रामीणों की निजी भूमि को बेहद कम दाम पर कंपनी के पक्ष में सौंपा जा रहा है। जिससे कंपनी को सीधा लाभ पहुंच रहा है।
👉 इस कार्यवाही से प्रभावित ग्रामीणों ने इसका कड़ा विरोध किया है लेकिन प्रशासन ने उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की है।
👉 इस मुद्दे पर जब मीडिया ने प्रशासन से सवाल पूछे तो अधिकारी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके।
क्या है मामला—?
भूअर्जन अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए ग्रामीणों की सहमति और उचित मुआवजे का प्रावधान है। लेकिन सिंगरौली में प्रशासन ने इन प्रावधानों की अनदेखी करते हुए बिना किसी नोटिस और मुआवजे की स्पष्टता के जबरन अधिग्रहण की कार्रवाई की है। ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी जमीन को “कौड़ियों के दाम” में लेकर कंपनी के फायदे के लिए सौंपा जा रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल—
जब मीडिया ने इस पूरे मामले पर प्रशासन से प्रतिक्रिया मांगी तो अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। इससे प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों ने इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष की चेतावनी दी है। यह मामला प्रशासनिक मनमानी और कॉर्पोरेट हितों को साधने की कोशिशों को उजागर करता है। यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो इस विरोध के और बड़े स्तर पर फैलने की आशंका है।