सिंगरौली

डीएस के बाद महाकाल के पीछे हटने के बाद अब रेलवे ही बताएगा कि यह कोयला किसका है, जाँच जारी

गोंदवाली कोल साइडिंग से जब्त कोयले का मालिक होने से महाकाल कंपनी ने भी कर दिया इंकार

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। पश्चिम मध्य रेल जबलपुर मंडल के बरगवाँ स्टेशन के समीप गोंदवाली साइडिंग से बिना अनुमति रखा करीब 4 हजार टन कोयला किसका है, रेलवे इस बात का अभी तक पता नहीं लगा पाया है। वहीं दूसरी ओर डीएस कंपनी के बाद अब महाकाल लोडिंग कंपनी ने भी इस कोयले का मालिक होने से इंकार कर दिया है। कंपनी के प्रतिनिधि का कहना है कि अगर कोयला उनका होता है तो रेलवे अब तक उनके विरूद्ध कार्रवाई कर चुकी होती। वहीं इस इंकार के बाद मामला पूरी तरह से रेलवे के पाले में साइडिंग में आखिर बिना अनुमति आया कोयला किसका है। दूसरी ओर चर्चा यह भी है कि लंबे समय से इस साइडिंग में महाकाल ट्रांसपोर्ट के अलावा यहाँ कोई दूसरी फर्म लोडिंग का काम नहीं कर रही है। यह बात अलग है कि इतने बड़े पैमाने में कोयला पकड़े जाने के बाद यह कंपनी अपना पल्ला झाड़ रही है। इस पूरे मामले में रेलवे अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए है। रेल प्रशासन का कहना है कि अभी जाँच जारी है। जाँच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। गौरतलब है कि विगत दिनों रेलवे विजीलेंस द्वारा गोंदवाली साइडिंग में कार्रवाई कर यहाँ बिना अनुमति रखा गया करीब एक रैक कोयला बरामद किया है। इस कार्रवाई के बाद गोंदवाली के साथ ही अन्य साइडिंगों में भी हड़कंप की स्थिति है।

बालाजी के खिलाफ हो सकती है जाँच—
सूत्रों की मानें तो गोंदवाली साइडिंग से जब्त किए गए कोयला मामले में बालाजी ट्रांसपोर्ट के खिलाफ भी जाँच हो सकती है। बताया जाता है कि पूर्व में बालाजी कंपनी द्वारा एस्सार पावर को कोयले की आपूर्ति की जाती थी मगर एस्सार पावर को अडाणी फर्म द्वारा खरीद लिया गया बकायेदारी बालाजी के ऊपर आ गई और तो रेलवे की कुछ रेलवे ने उस बकाया रकम के एवज में इन्हें यहाँ से कोयला नहीं उठाने दिया। फिलहाल तो संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि यह कोयला बालाजी का हो सकता है मगर जब तक हकीकत सामने नहीं आती, तब तक महाकाल और बालाजी दोनों ही फर्म रेलवे के निशाने पर हैं।

पेनाल्टी तक का है प्रावधान—
जानकारों की मानें तो रेलवे के कोयला लोडिंग और अनलोडिंग को लेकर नियम काफी सख्त है। एक रैक लोड करने के लिए स्टैंडर्ड टाइम साढ़े तीन घंटे का होता है लेकिन यहाँ 5 से 6 घंटे में लोड हो पाता है। नियम यह भी है कि कोलयार्ड में जब रैक लग जाएगा तभी ट्रांसपोर्टर कोयला अपने डंपिंग यार्ड से निकालकर कोलयार्ड में लाएगा और लोड होगा। इसमें ज्यादा वक्त लगने पर पेनाल्टी सहित कई तरह के दंड का प्रावधान है। इन सबके बावजूद यहाँ पहले से बिना अनुमति कोयले का स्टॉक रखा गया था और रेलवे अधिकारियों द्वारा किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी।

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