सिंगरौली

कोयला के साथ औद्योगिक इकाईयों के परिवहन में लगे सभी वाहनों पर लागू हो एक समान क़ानून

तत्कालीन डी एम के बनाये गये नियम में अब संशोधन की आवश्यकता

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से जिला क्षेत्र में लगातार हो रहे सड़क दर्घटनाओ से आये दिन डेथ क्लेम को लेकर चका जाम व धरना प्रदर्शन आम बात है. जाम व प्रदर्शन की वजह से पुलिस के साथ आम जन को भी काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे निजात पाने के लिए औद्योगिक इकाईयों में कोयला परिवहन के साथ अन्य वाहनों पर भी ऑन द स्पॉट डेथ क्लेम के नियम को जिला प्रशासन को लागू करना चाहिए। उक्ताशय पर जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों का ध्यान आकृस्ट कराते हुए मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ सिंगरौली के महासचिव व पत्रकार (पीटीआई) एसपी वर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में सबसे अधिक सिंगरौली जिले में सड़क दुर्घटनाये हो रही है कोल वाहनों के साथ औद्योगिक इकाईयो में अन्य सामानो का परिवहन करने वाले हैवी वाहनों से प्रतिदिन कोई ना कोई सड़क दुर्घटना का शिकार होकर काल के गाल में समा रहा है. सड़क दुर्घटना में जान गंवा चुके मृतक परिजन ऑन द स्पॉट डेथ क्लेम को लेकर चका जाम व प्रदर्शन करते हैं. कभी कभी तो प्रदर्शन व चका जाम इतना उग्र होता है कि पूरे दिन व रात सम्बंधित स्थानों पर आवागमान बाधित रहता है। महसचिव श्री वर्मा ने कहा कि फिलहाल चका जाम व धरना प्रदर्शन से निजात पाने जिला प्रशासन व जिले के जन प्रतिनिधियों को कोल वाहनों से दुर्घटना होने वाले मृतको के साथ परिवहन कार्य में लगे अन्य वाहनो के जद में आने वाले मृतको को भी डेथ क्लेम देने की व्यवस्था बनाना चाहिए। श्री वर्मा तत्कालीन संवेदनशील कलेक्टर अनुराग चौधरी द्वारा कोल परिवहन से हताहत मृतको के आश्रितो को तत्काल चार लाख रूप डेथ क्लेम देने का प्रवधान बनाया गया था, जो अब तक लागू है. उस समय उन्हें जो लगा उन्होंने अपने अभिनव प्रयास से डेथ क्लेम की एक व्यवस्था बनायी लेकिन अब परिस्थितियां अलग है। महासचिव श्री वर्मा के अनुसार जिले में स्थापित हो रही कई औद्योगिक इकाईयो का नव निर्माण कार्य चल रहा है जिसके निर्माण में लगने वाले हैवी मशीनरी व अन्य पार्ट्स का परिवहन हैवी वाहनों (हाइवा व ट्रेलर ) से जिला क्षेत्र में रोज हो रहा है, और कोल वाहनों से ज्यादा इन वाहनों के चपेट में आकर जिले के लोग अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं. लेकिन जिला प्रशासन गैर कोल वाहनों से दिवंगत लोगों को कोई क्लेम नही दे पाता। उदाहरण स्वरुप गत सप्ताह जिला क्षेत्र में आधा दर्जन सड़क दुर्घटना हुई लेकिन डेथ क्लेम के लिए उक्त स्थानों पर हो रहे चका जाम व प्रदर्शन को हटाने गयी जिला प्रशासन व पुलिस टीम धरनारत लोगों को यह कह दिलाशा देती रही कि यदि इस दुर्घटना में में कोल वाहन होता तो बिना किसी औपचारिकता के मृतक आश्रित को चार लाख का डेथ क्लेम तत्काल मिलता. चूकि यह गैर कोल परिवहन वाहन है इस लिए इस पर डेथ क्लेम देने का प्रावधान नही है और क्लेम देने जिला प्रशासन के पास कोई फंड नहीं हैं. ये अलग बात है कि उसके बाद शव पर क्लेम लेने देने का मोलभाव शुरू होता है जो 25 हजार से शुरू होकर 50 हजार पर जाकर समाप्त हो जाता है।

परसौना व बरगवां फोर लेन से पहले सभी ट्रांसपोर्ट वाहनो पर लागू हो एक नियम–
महासचिव श्री वर्मा ने प्रशासन से मांग की है कि परसौना से माड़ा, बांधोरा और परसौना बरगवां मुख्य मार्ग का फोर लेन जब होगा तब होगा, उससे पहले जिले के प्रतिनिधि व जिला प्रशासन को चाहिए कि कोल ट्रांसपोर्ट वाहनों की तरह अन्य ट्रांसपोर्ट वाहनों से दुर्घटना पर चार लाख का तत्काल डेथ क्लेम देने का प्रावधान बनाना चाहिए. इस व्यवस्था से दुर्घटना में जिसके घर का चिराग व जिस बहन की मांग उजड़ गयी है उसकी भरपाई तो नही होगी लेकिन तत्काल आर्थिक सहयोग से पहाड़ जैसे दुख पर थोड़ा सा मरहम जरूर लग सकता है, साथ ही डेथ क्लेम को लेकर होने वाले चका जाम व धरना प्रदर्शन से थोड़ी राहत भी मिल सकती है।

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