कलेक्टर की संवेदनशीलता ने” निराश” छात्रा में भरा “उमंग” पारिवारिक आर्थिक तंगी से निराश हो चुकी थी छात्रा

ऑपरेशन टाईम्स सिंगरौली।। कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला की प्रशासनिक सूझ-बूझ एवं मानवीय संवेदनशीलता ने जहां आगे “पढने” के मार्ग में पारिवारिक आर्थिक तंगी को बाधक जान अपने जीवन से ही निराश हो चुकी एक ग्रामीण छात्रा को नव-जीवन प्रदान किया वहीं उसकी पढ़ाई में भरपूर सहयोग के आश्वासन के साथ समाज में एक सुखद संदेश की मिसाल भी कायम किया। कलेक्टर श्री शुक्ला ने अपने माता-पित्ता की आर्थिक विपन्नता के चलते पूर्णतया निराश हो लगातार “रो” रही छात्रा को यह कहते हए संबल प्रदान किया कि तुम बहादर लड़की हो… रोओ मत और डरों भी नहीं…तुम कलेक्टर के पास बैठी हो… तुम्हारी शिक्षा संबंधी सभी “बाधाओं” का निदान होगा। जिला क्षेत्र के हर आम और खास को सुखद अहसास से भर देने वाली यह घटना गत बुधवार को कलेक्टर कार्यालय में उस समय घटित्त हुई जब कलेक्टर श्री शुक्ला अपने चेम्बर में आम जनमानस की समस्याओं को सुन रहे थे कि इसी बीच छात्रा वहां पहुंच रोने-विलखने लगी। छात्रा की गंभीर हालत को भांप श्री शुक्ला ने महिला तहसीलदार-सविता यादव एवं वन स्टाप सेण्टर की महिला ‘काउंसलर’ को बुलाकर उसे सम्झाते हुए उसकी शिक्षा व्यवस्था प्रशासनिक सहयोग से कराने एवं अध्यन के दौरान रहने की व्यव्स्था छात्रावास में कराने का आश्वासन दिया। सुबह से भूखी-प्यासी बच्ची को भोजन कराते हुए उसमें जीवन के प्रति फिर से “उमंग” भरने का प्रयास किया गया। इसी बीच जिला मुख्यालय से लगभग 35- 40 किलोमीटर दूर बंधौरा गांव से छात्रा के परिजनों को बुलाकर आगे पढ़ने हेतु बच्ची को प्रोत्साहित प्रोत् करते रहने की समझाइश भी दी गई। छात्रा के संतुष्ट होने पर उसे और उसके परिजनों को तहसीलदार की गाड़ी से सकुशल उनके घर भेजवाया गया।
कहीं पारिवारिक लिंग भेद का मामला तो नही—
‘बेटी प्ढ़ाओ-बेटी बचाओ” बेटा-बेटी एक समान जैसे आकर्षक संदेश के साथ बेटा-बेटी में भेदभाव जैसी कुरीति के उन्मूलन हेतु शासन- प्रशासन के तमाम प्रयासों के बीच इस तरह की घटना का सामने आना पारिवारिक लिंग भेद के पनपने जैसे यक्ष प्रश्न को भी जन्म देत्ता प्रतीत हो रहा है। क्यों कि उपलब्ध वीडियो में इस संकेत को भी बल मिल रहा है।